India-US Trade Deal Talks: अमेरिका ने भारत पर ऊंचे आयात शुल्क (High Tariffs) लगाने के बाद अब अपने रुख में नरमी दिखाई है। अमेरिकी वित्त मंत्री हावर्ड लटनिक (Howard Lutnick) ने संकेत दिए हैं कि अमेरिका भारत समेत कई देशों के साथ समझौता करना चाहता है। उन्होंने कहा कि हमें ब्राजील और स्विट्जरलैंड जैसे देशों से भी बातचीत करके समाधान निकालना होगा।
कुछ दिन पहले ही लटनिक ने कड़ा बयान देते हुए दावा किया था कि भारत को अमेरिका से माफी मांगनी पड़ेगी और एक-दो महीने में वह बातचीत की टेबल पर आ जाएगा। लेकिन भारत ने इस मुद्दे पर सख्त रवैया अपनाते हुए अमेरिकी धमकियों को नजरअंदाज किया और नए विकल्प तलाशने शुरू कर दिए। यही वजह है कि अब अमेरिका खुद बातचीत का इच्छुक दिखाई दे रहा है।
अमेरिका की बदलती रणनीति : लटनिक ने कहा कि भारत की नीतियां अमेरिका के लिए नुकसानदेह नहीं होनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि भारत रूस से तेल खरीद रहा है, जो उनके अनुसार “हास्यास्पद” है। उन्होंने सवाल उठाया कि भारत को यह तय करना होगा कि वह अमेरिका के साथ है या रूस के साथ।
अमेरिका बार-बार अपने उपभोक्ता बाजार (US Consumer Market) की ताकत का हवाला देता रहा है। लटनिक ने दोहराया कि आखिरकार सभी देशों को अमेरिकी ग्राहकों के पास लौटना ही होगा क्योंकि “ग्राहक हमेशा सही होता है।”
भारत का कड़ा रुख : भारत ने अमेरिकी टैरिफ और दबाव की रणनीति को चुनौती दी है। सरकार ने साफ किया है कि वह अपने राष्ट्रीय हितों से समझौता नहीं करेगी। भारत ने रूस से कच्चे तेल की खरीद जारी रखी और व्यापारिक साझेदारी के नए रास्ते तलाशे। इस रवैये से अमेरिका के लिए स्थिति असहज हो गई है।
पृष्ठभूमि: ब्रिक्स देशों की बैठक और वैश्विक चिंता : न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 80वें सत्र से इतर भारत की अध्यक्षता में BRICS Foreign Ministers Meeting आयोजित हुई। इसमें सभी सदस्य देशों ने व्यापार प्रतिबंधात्मक नीतियों पर चिंता जताई। उनका कहना था कि Tariff Hike, Non-Tariff Barriers और Protectionism जैसे कदम वैश्विक व्यापार को प्रभावित करते हैं। इनसे सप्लाई चेन बाधित होती है और अंतरराष्ट्रीय आर्थिक गतिविधियों में अस्थिरता पैदा होती है।
इस संदर्भ में भारत का रुख और भी अहम हो जाता है क्योंकि वह अमेरिका के दबाव के आगे झुकने को तैयार नहीं दिख रहा।
मुख्य बातें (Key Points)
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अमेरिका ने भारत पर भारी-भरकम टैरिफ लगाए, लेकिन अब डील की तलाश में नरम पड़ा।
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अमेरिकी वित्त मंत्री हावर्ड लटनिक ने कहा – भारत, ब्राजील और स्विट्जरलैंड के साथ समझौता जरूरी।
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भारत ने सख्त रुख अपनाते हुए अमेरिकी धमकियों को नजरअंदाज किया और नए विकल्प खोजे।
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ब्रिक्स देशों ने टैरिफ और प्रोटेक्शनिज्म जैसी नीतियों पर चिंता जताई, कहा कि इससे वैश्विक व्यापार को खतरा है।






