Air Pollution: हाल ही में जारी IQAir की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों की लिस्ट में 13 शहर अकेले भारत के हैं। इनमें सबसे अधिक प्रदूषित शहर मेघालय (Meghalaya) के बर्नीहाट (Byrnihat) को माना गया है। रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली (Delhi) दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी बनी हुई है। हालांकि, देशों की बात करें तो भारत (India) अब दुनिया का 5वां सबसे प्रदूषित देश बन चुका है, जबकि 2023 में यह तीसरे स्थान पर था। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में PM 2.5 प्रदूषकों के घनत्व में 7% तक की कमी देखी गई है। हालांकि, टॉप 10 प्रदूषित शहरों में 6 भारतीय शहर ही हैं।
भारत के कौन-कौन से शहर सबसे प्रदूषित?
रिपोर्ट के अनुसार, भारत के 13 शहर दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल हैं। इनमें पंजाब (Punjab) से लेकर मेघालय (Meghalaya) तक के कई शहर हैं। टॉप 5 शहरों में सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर बर्नीहाट (Byrnihat) है, उसके बाद दिल्ली (Delhi) का स्थान आता है। इसके अलावा, पंजाब (Punjab) के मुल्लानपुर (Mullanpur) तीसरे स्थान पर, हरियाणा (Haryana) का फरीदाबाद (Faridabad) चौथे स्थान पर और गाजियाबाद (Ghaziabad) का लोनी (Loni) पांचवें स्थान पर है। अन्य शहरों में नई दिल्ली (New Delhi), गुरुग्राम (Gurugram), गंगानगर (Ganganagar), ग्रेटर नोएडा (Greater Noida), भिवाड़ी (Bhiwadi), मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar), हनुमानगढ़ (Hanumangarh) और नोएडा (Noida) शामिल हैं। रिपोर्ट के अनुसार, भारत के 35% शहर ऐसे हैं जहां PM 2.5 का स्तर WHO की तय सीमा से 10 गुना ज्यादा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की सीमा 5 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तय की गई है।
वायु प्रदूषण से जुड़ा बड़ा हेल्थ रिस्क
रिपोर्ट के अनुसार, भारत में वायु प्रदूषण (Air Pollution) एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन चुका है। इससे भारत के लोगों की औसत जीवन प्रत्याशा 5.2 साल तक कम हो रही है। ‘लैंसेट हेल्थ स्टडी’ (Lancet Health Study) के अनुसार, 2009 से 2019 के बीच लगभग 15 लाख लोगों की मौत का कारण पीएम 2.5 के उच्च स्तर का संपर्क था। पीएम 2.5 वे छोटे-छोटे प्रदूषक कण होते हैं जो सांस की बीमारियों, हृदय रोगों और यहां तक कि कैंसर का कारण बन सकते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि वायु प्रदूषण का मुख्य कारण वाहनों से निकलने वाला धुआं, औद्योगिक उत्सर्जन, और कृषि एवं लकड़ियों को जलाने की प्रक्रिया है।
WHO की पूर्व वैज्ञानिक ने भारत को दिया समाधान
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की पूर्व मुख्य वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन (Soumya Swaminathan) ने इस रिपोर्ट पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि भारत ने एयर क्वालिटी डेटा को इकट्ठा करने में सुधार किया है, लेकिन अभी तक इस दिशा में पर्याप्त कदम नहीं उठाए गए हैं। उनका कहना है कि लकड़ियों और अन्य ठोस ईंधनों को जलाने पर सख्ती से रोक लगानी होगी। इसके अलावा, शहरी क्षेत्रों में कारों की संख्या को कम करने और सार्वजनिक परिवहन जैसे बसों को अधिक बढ़ावा देने की जरूरत है।
भारत में वायु प्रदूषण लगातार एक गंभीर चुनौती बना हुआ है। हालांकि, हाल के वर्षों में इसमें मामूली सुधार हुआ है, लेकिन अब भी कई शहर WHO की तय सीमा से काफी आगे हैं। सरकार और आम जनता को मिलकर इस समस्या का समाधान निकालना होगा, जिससे आने वाले वर्षों में भारत की वायु गुणवत्ता बेहतर हो सके।