नई दिल्ली, 8 सितंबर (The News Air)
देश के इतिहास में (7 सितंबर) मंगलवार का दिन महिलाओं के लिए ऐतिहासिक तौर पर ‘मंगलकारी’ रहा। केंद्र सरकार ने (Central government) ने एक बड़ा क़दम उठाते हुए महिलाओं को राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) और नेशनल नेवल अकादमी (Indian Naval Academy) में शामिल करने का फ़ैसला कर लिया है। केंद्र सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) को इस संबंध में चल रही सुनवाई के दौरान यह जानकारी दी। सरकार ने बताया कि तीनों सेना प्रमुखों से विचार-विमर्श के बाद यह फ़ैसला लिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के फ़ैसले को सराहा-केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि NDA और INA में लड़कियों की एंट्री के लिए नीति और प्रक्रिया पर काम शुरू हो गया है। इसे जल्द अंतिम रूप दे दिया जाएगा। सरकार का यह जवाब सुनकर जस्टिस एके कौल की बेंच ने ख़ुशी जताई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सशस्त्र बलों ने ख़ुद ही महिलाओं को NDA में शामिल करने का फ़ैसला किया है। बता दें इस संबंध में बेंच ने सरकार को 10 दिन में हलफ़नामा(affidavit) दाखिल करने का समय दिया था। इस मामले में अब 22 सितंबर को सुनवाई होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा– सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सशस्त्र बल देश में एक बहुत ही सम्मानजनक बल हैं और उन्हें भी बलों में लैंगिक समानता(gender equality) सुनिश्चित करने के ज़रूरत है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसे उम्मीद है कि रक्षा बल महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को महत्व देंगे। बता दें कि सुप्रीम ने 18 अगस्त को महिलाओं को NDA के एग्ज़ाम में बैठने देने का आदेश दिया था। अदालत ने तब इस तथ्य पर आश्चर्य जताया था कि सेना और नौसेना में महिलाओं को स्थायी कमीशन देने के 2020 के सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बावज़ूद केंद्र उन्हें रोक रहा है। इस पर अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया था कि महिलाएं भारतीय सैन्य अकादमी (IMA) और अधिकारी प्रशिक्षण अकादमी (OTA) जैसे अन्य तरीक़ों से भी सेना में प्रवेश कर सकती हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था कि ऐसा NDA के ज़रिये क्यों नहीं हो सकता है?
लड़कियों और लड़कों की उम्र को लेकर था पेंच-इस संबंध में एडवोकेट कुश कालरा ने एक याचिका लगाई थी। इसमें कहा गया कि लड़कियों को ग्रेजुएशन के बाद ही सेना में आने की अनुमति होती है। इसकी न्यूनतम आयु भी 21 साल है। जबकि लड़के 12वीं के बाद ही NDA का एग्ज़ाम दे सकते हैं। इससे शुरुआत से ही लड़कियों के लड़कों की तुलना में बेहतर पोस्ट पाने की उम्मीदें कम हो जाती हैं। यह समानता के अधिकार का हनन है। कोर्ट ने इस संबंध में केंद्र सरकार से उसका जवाब मांगा था। इस मामले की सुनवाई जस्टिस संजय किशन कौल और हृषिकेश रॉय की खंडपीठ ने की।
स्थायी कमिशन वाले फ़ैसले का दिया तर्क-याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में पिछले साल आए महिला अधिकारियों के लिए स्थायी कमिशन देने के फ़ैसले का तर्क दिया था। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने महिला सैन्य अधिकारियों को पुरुषों के बराबर स्थायी कमिशन देने का अधिकार दिया था।
क्या है NDA एग्ज़ाम- NDA एक राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा है। यह आर्मी, नेवी और एयर फोर्स में एडमिशन लेने के लिए होती है। यह एग्ज़ाम हर साल 2 बार होता है। एग्ज़ाम 2 फेज-लिखित और एसएसबी इंटरव्यू के ज़रिये होता है। हर साल क़रीब 4 लाख लड़के एनडीए के लिए बैठते हैं। इनमें से क़रीब 6000 को एसएसबी इंटरव्यू के लिए बुलाया जाता है। अब लड़कियों को अनुमति मिलने से यह संख्या और बढ़ जाएगी। यह एक ऐतिहासिक फ़ैसला है।
यह भी जानें- सेना में महिला अधिकारियों की भर्ती सबसे पहले 1992 में हुई थी। तब उन्हें सिर्फ़ शॉर्ट सर्विस कमिशन के अंतर्गत कुछ गिनी-चुनी ब्रांच में ही कार्य करने के लिए रखा जाता था। यानी वे सिर्फ़ लेफ्टिनेंट कर्नल की पोस्ट तक ही पहुंच सकती थीं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद अब महिलाएं स्थायी कमिशन की हक़दार हैं।
क्या है स्थाई कमीशन?-शॉर्ट सर्विस कमीशन में महिलाएं 14 साल तक सर्विस के बाद रिटायर हो जाती हैं। लेकिन उन्हें स्थाई कमीशन मिलने के बाद महिला अफ़सर आगे भी अपनी सर्विस जारी रख सकेंगी और रैंक के मुताबिक़ ही उन्हें रिटायरमेंट मिलेगा। इसके अलावा सेना की सभी 10 स्ट्रीम- आर्मी एयर डिफेंस, सिग्नल, इंजीनियर, आर्मी एविएशन, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड मैकेनिकल इंजीनियर, आर्मी सर्विस कॉर्प, इंटेलीजेंस, जज, एडवोकेट जनरल और एजुकेशनल कॉर्प में महिलाओं को परमानेंट कमीशन मिल पाएगा।