चंडीगढ़, 26 सितम्बर (The News Air) हाल ही में आई बाढ़ से तबाह हुए पंजाब की स्थिति पर शिक्षा एवं सूचना एवं लोक सम्पर्क मंत्री स हरजोत सिंह बैंस ने आज पंजाब विधानसभा के विशेष सत्र में भावुक संबोधन देते हुए कहा कि यह समय राजनीतिक बयानबाजी का नहीं, बल्कि भविष्य के लिए ठोस रणनीति बनाने और बाढ़ प्रभावित पंजाब के पुनर्वास का है। उन्होंने बीबीएमबी के कामकाज और विपक्ष द्वारा प्राकृतिक आपदा को राजनीतिक रंग देने पर गंभीर प्रश्न उठाए।
स बैंस ने विधान सभा के विशेष सत्र में आज विपक्ष से अपील की कि वह राजनीतिक लाभ से ऊपर उठकर जनता के कल्याण को प्राथमिकता दें। उन्होंने कहा कि इस बाढ़ ने 59 लोगों की जान ले ली, हजारों मवेशी बह गए, घर नष्ट हो गए और कृषि क्षेत्र को गहरा आघात पहुँचा। उन्होंने यह भी बताया कि कई लोगों की मौत सांप के डसने और बाढ़ग्रस्त इलाकों में संपर्क टूटने जैसी द्वितीयक परिस्थितियों से भी हुई। शिक्षा मंत्री ने सार्वजनिक ढाँचे पर पड़े बोझ का उल्लेख करते हुए कहा कि 3,200 से अधिक स्कूल प्रभावित हुए हैं और 1,300 से ज्यादा कक्षाएँ उपयोग के योग्य नहीं रहीं।
उन्होंने कहा, “पाँच लाख एकड़ फसल नष्ट हो चुकी है। पंजाब की अर्थव्यवस्था, जो इन्हीं फसलों पर टिकी है, ठहर सी गई है। वे महिलाएँ, जो धूल लगे जूतों के साथ किसी को घर में घुसने नहीं देती थीं, आज अपने आँगन को कीचड़ से भरा हुआ देख रही हैं।”
स बैंस ने भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) पर तीखा हमला करते हुए कहा कि उसके चेयरमैन ने हाईकोर्ट में भ्रामक बयान दिया। उन्होंने 24 अप्रैल को केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि पंजाब के प्रमुख जलाशयों में जल भंडारण सामान्य से 44.85% और हिमाचल प्रदेश में 40.60% कम था। इसके बावजूद बीबीएमबी ने पंजाब के हिस्से का पानी हरियाणा की ओर मोड़ने का प्रयास किया, जबकि भाखड़ा डैम का जलस्तर 1555 फीट पर पहुँचकर पावर हाउस संचालन के लिए खतरे में था।
गोबिंद सागर जलाशय पर गंभीर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा, “यह आश्चर्यजनक है कि बीबीएमबी यह तक नहीं बता सकता कि भाखड़ा डैम, जिसे 100 वर्ष की आयु के लिए बनाया गया था, में अब तक कितनी सिल्ट भर चुकी है। इसकी शेष आयु क्या है – 10 साल, 15 साल या उससे भी कम?” उन्होंने तत्काल विशेषज्ञ समिति गठित करने की माँग की, जो जलाशय की क्षमता, तलछट की स्थिति और संरचनात्मक तनाव का आकलन कर सके।
उन्होंने कैचमेंट क्षेत्रों में ‘चेक डैम’ बनाने की आवश्यकता पर बल दिया, जिसे पहले भी बीबीएमबी की रिपोर्ट में सुझाया गया था, लेकिन उपेक्षित रहा। उन्होंने कहा, “हमें जलवायु परिवर्तन और बुनियादी ढाँचे की तैयारी पर सार्थक चर्चा करनी चाहिए। बाँधों और कैचमेंट क्षेत्रों का गहन अध्ययन करना और अग्रिम कदम उठाना जरूरी है ताकि भविष्य में इस तरह की त्रासदी टाली जा सके।”
केंद्र सरकार पर नाराज़गी जताते हुए उन्होंने कहा, “10 दिन बीत गए, लेकिन हमारे मुख्यमंत्री स भगवंत सिंह मान को प्रधानमंत्री की ओर से एक भी संदेश तक नहीं मिला, जबकि प्रधानमंत्री अन्य राज्यों में रोड शो करने में व्यस्त हैं। यह समय पंजाब के दर्द को समझने और संवेदनशीलता दिखाने का है।”
उन्होंने प्रधानमंत्री के अपने ही कैबिनेट सहयोगी हरदीप सिंह मुंडियां के प्रति व्यवहार पर भी सवाल उठाते हुए कहा, “जब स मुंडियां बाढ़ प्रभावित पंजाब की मदद माँग रहे थे, तो प्रधानमंत्री ने उनका अपमान करते हुए कहा – तुम्हें हिंदी नहीं आती? क्या वे तमिलनाडु में भी ऐसा कहने का साहस करेंगे कि ‘तुम्हें हिंदी नहीं आती’?”
अंत में स बैंस ने कहा कि पंजाब ने इतिहास में अनेक घाव सहे हैं और आज उसके ज़ख्म फिर से हरे हो गए हैं। फिर भी इस कठिन घड़ी में असंख्य लोग एक-दूसरे की मदद के लिए खड़े हैं। उन्होंने स्वयंसेवकों, अधिकारियों और नागरिकों की सराहना करते हुए कहा, “हम मज़बूती से डटे रहे, बड़े बाँध टूटने से रोके और अब पंजाब की बहाली के लिए दुआ करते हैं। हमारा राज्य दया और सेवा के मूल्यों पर टिका है, और जो लोग इन मूल्यों को जीवित रखते हैं, वही हमेशा हमारे मार्गदर्शक रहेंगे।”






