The News Air: पंजाब के कांग्रेसी नेता सुनील जाखड़ के बयान पर उत्तराखंड के दिग्गज कांग्रेसी हरीश रावत तिलमिला उठे हैं। उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान जाखड़ का जो व्यवहार रहा, उससे ज़्यादा डैमेज उनके जाने से नहीं हुआ। रावत ने कहा कि पार्टी ने उन्हें विपक्षी दल (CLP) नेता बनाया। फिर कांग्रेस के प्रधान रहे। इसके बाद कैंपेन कमेटी का चेयरमैन बनाया। पार्टी ने उन्हें इतना कुछ दिया।
परीक्षा की घड़ी में भागना नहीं चाहिए
हरीश रावत ने कहा कि अगर कांग्रेस का साधारण कार्यकर्ता भी पार्टी छोड़कर जाता है तो तकलीफ़ होती है। इस वक़्त पार्टी के लिए परीक्षा का समय है। परीक्षा की घड़ी में छोड़कर नहीं जाना चाहिए। पंजाब को लेकर जो भी फ़ैसले किए गए, उनमें भी सुनील जाखड़ शामिल थे।
क्या कहा था सुनील जाखड़ ने
सुनील जाखड़ ने कहा कि हरीश रावत को कैप्टन अमरिंदर सिंह को डिस्टेबलाइज करने के लिए भेजा गया था। यह तो विरोधियों का काम होता है। पंजाब और उत्तराखंड में कांग्रेस को सरकार बनने की उम्मीद थी। क्या हुआ? वहाँ के सीएम कैंडिडेट हरीश रावत का एक पैर पंजाब और दूसरा देहरादून में था। चुनाव के दिन तक। हरीश रावत क्या सोच लेकर आए थे?। क्या उनकी मंशा थी कि हम तो डूबे सनम, तुमको भी ले डूबेंगे। अगर हरीश रावत हारे हैं तो यह डिवाइन जस्टिस है। वह यही डिजर्व करते थे। कांग्रेस की बुरी हालत में रावत का बहुत बड़ा रोल है।
रावत के आने के बाद मची थी कांग्रेस में उथल-पुथल
कांग्रेस ने हरीश रावत को पंजाब इंचार्ज बनाकर भेजा। उस वक़्त कैप्टन अमरिंदर सिंह सीएम थे। नवजोत सिद्धू कैप्टन से नाराज़ होकर मंत्री पद छोड़ घर बैठे थे। रावत ने सिद्धू को मनाया। फिर जाखड़ को हटवा सिद्धू को पंजाब प्रधान बना दिया। इसके बाद चरणजीत चन्नी सीएम बने लेकिन सिद्धू का वहाँ भी मनमुटाव हो गया। रावत ने जो बवाल खड़ा किया, उसे वह बाद में हैंडल नहीं कर सके।