Punjab Kisan Andolan : केंद्र सरकार और आंदोलनकारी किसानों के प्रतिनिधिमंडल के बीच शुक्रवार (14 फरवरी) को चंडीगढ़ में पांचवें दौर की बातचीत हुई। इस मीटिंग में कुल 28 किसान नेता शामिल हुए। हालांकि, करीब साढ़े 3 घंटे तक चली इस बैठक का कोई ठोस नतीजा नहीं निकला। सरकार और किसानों के बीच सहमति नहीं बन सकी, जिसके चलते अगली बैठक 22 फरवरी को रखी गई है। इस बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) भी मौजूद रहेंगे।
बैठक में क्या हुआ?
बैठक के बाद किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल (Jagjit Singh Dallewal) ने कहा कि मीटिंग सकारात्मक रही, लेकिन कोई ठोस हल नहीं निकला। वहीं, केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी (Pralhad Joshi) ने कहा कि किसानों की मांगों को ध्यान से सुना गया और उनके हित में लिए गए फैसलों पर चर्चा की गई।
सरकार की ओर से प्रह्लाद जोशी के अलावा केंद्रीय खाद्य मंत्री संदीप सिंह (Sandeep Singh), पंजाब सरकार की ओर से कृषि मंत्री गुरमीत खुड्डियां (Gurmeet Khudian) और मंत्री लाल चंद कटारूचक्क (Lal Chand Kataruchakk) इस बैठक में मौजूद थे।
81 दिन से अनशन पर बैठे डल्लेवाल एम्बुलेंस में पहुंचे बैठक में
संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) की तरफ से किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल और किसान मजदूर मोर्चा के सरवन पंधेर (Sarwan Pandher) ने प्रतिनिधिमंडल की अगुआई की। 81 दिन से खनौरी बॉर्डर पर अनशन कर रहे डल्लेवाल की सेहत बिगड़ने के कारण उन्हें एम्बुलेंस में चंडीगढ़ लाया गया और स्ट्रेचर पर बैठाकर कॉन्फ्रेंस हॉल तक ले जाया गया।
बैठक से पहले सरवन पंधेर ने चेतावनी दी थी कि अगर सरकार किसानों की मांगों को गंभीरता से नहीं लेती है और कोई समाधान नहीं निकलता, तो किसान दिल्ली कूच (Delhi March) करेंगे।
किसान क्यों कर रहे हैं प्रदर्शन?
हरियाणा-पंजाब के शंभू और खनौरी बॉर्डर पर 13 फरवरी 2024 से किसानों का प्रदर्शन जारी है। किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP – Minimum Support Price) की गारंटी के लिए कानून बनाने, कर्ज माफी, बिजली दरों में कटौती, खेती से जुड़े अन्य मुद्दों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं।
किसानों की मुख्य मांगें
MSP की गारंटी: किसानों की सबसे बड़ी मांग यह है कि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी रूप से लागू करे।
कर्ज माफी: किसानों का कहना है कि बढ़ते कर्ज के कारण खेती घाटे का सौदा बन गई है, इसलिए उन्हें कर्ज माफी चाहिए।
बिजली दरों में कटौती: किसानों को कृषि कार्यों के लिए मिलने वाली बिजली की कीमतें कम करने की मांग भी शामिल है।
2020 के कृषि कानूनों से जुड़े मामले: किसान उन सभी केसों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं, जो 2020 के किसान आंदोलन के दौरान दर्ज किए गए थे।
सरकार का पक्ष
सरकार का कहना है कि वह किसानों की मांगों को गंभीरता से ले रही है और समाधान निकालने के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार के अनुसार, कृषि क्षेत्र को मजबूत करने के लिए हाल ही में कई अहम फैसले लिए गए हैं, जिन्हें किसानों तक पहुंचाया जा रहा है।
क्या अगली मीटिंग में हल निकलेगा?
अब सवाल यह उठता है कि 22 फरवरी को होने वाली मीटिंग से कोई समाधान निकलेगा या नहीं। अगर इस बार भी कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया, तो किसानों द्वारा आंदोलन को और तेज करने की संभावना है। इससे दिल्ली और अन्य राज्यों में तनाव बढ़ सकता है।