Ghost Department Scandal in Punjab: पंजाब सरकार (Punjab Government) को पूरे 20 महीने बाद यह समझ में आया कि उसके एक वरिष्ठ मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल (Kuldeep Singh Dhaliwal) को जिस प्रशासनिक सुधार विभाग (Administrative Reforms Department) का प्रभार सौंपा गया था, वह असल में अस्तित्व में ही नहीं था। यह चौंकाने वाली खबर सामने आने के बाद सरकार ने अब आधिकारिक तौर पर इस मंत्रालय को खत्म कर दिया है और धालीवाल से यह जिम्मेदारी छीन ली गई है।
अब केवल एनआरआई मामलों की जिम्मेदारी
सरकार की हाल ही में जारी अधिसूचना के मुताबिक, धालीवाल अब केवल एनआरआई मामलों (NRI Affairs) के मंत्रालय का कार्यभार संभालेंगे। यह फैसला तब लिया गया जब यह स्पष्ट हो गया कि प्रशासनिक सुधार विभाग वास्तव में कभी अस्तित्व में नहीं था। यह सवाल भी खड़ा हो गया है कि आखिर इतने लंबे समय तक मंत्री किस विभाग के नाम पर फैसले लेते रहे?
गवर्नर का संशोधित आदेश
गवर्नर (Governor) द्वारा जारी किए गए नए आदेश के अनुसार, मुख्यमंत्री भगवंत मान (Bhagwant Mann) की सिफारिश पर 7 फरवरी 2025 से धालीवाल का मंत्रालय बदल दिया गया है। इससे पहले, धालीवाल के पास कृषि और किसान कल्याण विभाग (Agriculture and Farmers’ Welfare Department) भी था, लेकिन मई 2023 में हुए कैबिनेट फेरबदल में उनसे यह जिम्मेदारी ले ली गई थी। इसके बाद उन्हें एनआरआई मामलों के साथ-साथ प्रशासनिक सुधार विभाग सौंपा गया था, जो अब दस्तावेजों में भी नहीं मिल रहा।
20 महीने तक चला ‘भूतिया’ विभाग
दी ट्रिब्यून (The Tribune) की रिपोर्ट के अनुसार, इस विभाग में न तो कोई स्टाफ तैनात था, न ही कभी कोई बैठक आयोजित की गई। यानी धालीवाल बिना किसी वास्तविक विभाग के 20 महीने तक इसका कार्यभार संभाले रहे। यह स्थिति सरकार की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
पंजाब सरकार के लिए नई मुश्किलें
धालीवाल पंजाब सरकार के पांचवें सबसे वरिष्ठ मंत्री माने जाते हैं। वह मुख्यमंत्री भगवंत मान, वित्त मंत्री हरपाल चीमा (Harpal Cheema), नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री अमन अरोड़ा (Aman Arora) और सामाजिक न्याय मंत्री डॉ. बलजीत कौर (Dr. Baljit Kaur) के बाद आते हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि बिना विभाग के उनकी जिम्मेदारी तय करना सरकार के लिए कितनी बड़ी चुनौती बनता है।