Germany Elections में कंजरवेटिव पार्टी के नेता Friedrich Merz ने जीत हासिल कर ली है और अब वे जर्मनी के अगले चांसलर बनने की दौड़ में सबसे आगे हैं। मौजूदा चांसलर Olaf Scholz की तुलना में Merz को ज्यादा राष्ट्रवादी और कठोर नेता माना जा रहा है। जीत के तुरंत बाद ही Merz ने मीडिया से बातचीत में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति Donald Trump पर सीधा हमला बोला।
Trump के NATO पर बयान से भड़के Merz
डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में NATO (North Atlantic Treaty Organization) को लेकर यूरोपीय देशों पर सवाल उठाए थे। उनका कहना था कि यूरोप को अपनी सुरक्षा के लिए अमेरिका पर निर्भर नहीं रहना चाहिए और इसे लेकर खुद का बजट तय करना चाहिए।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए Friedrich Merz ने कहा, “यह हमारे लिए सोचने का समय है। ट्रंप के बयान से साफ है कि अमेरिका की मौजूदा सरकार यूरोप के भविष्य को लेकर ज्यादा चिंतित नहीं है।” Merz ने यह भी कहा कि जर्मनी अब अमेरिका पर अपनी सुरक्षा के लिए पूरी तरह निर्भर नहीं रहेगा और France और Britain जैसे यूरोपीय परमाणु शक्तियों से सुरक्षा सहयोग बढ़ाने की दिशा में कदम उठाएगा।
Russia और Ukraine युद्ध पर Merz का सख्त रुख
Olaf Scholz के मुकाबले Friedrich Merz का रुख रूस के खिलाफ कहीं ज्यादा सख्त है। माना जा रहा है कि उनके नेतृत्व में जर्मनी Ukraine को Taurus missiles जैसे मध्यम दूरी के हथियार भी उपलब्ध करा सकता है, जिस पर Scholz ने हमेशा आपत्ति जताई है।
Scholz का मानना था कि रूस और यूक्रेन के संघर्ष में जर्मनी की सक्रियता बढ़ने से खतरे की संभावना बढ़ सकती है। मगर Merz के विचार इससे अलग हैं और वे यूरोपीय देशों को मजबूत बनाने के पक्षधर हैं।
Donald Trump के बयान से हिला यूरोप
Donald Trump ने अपने हालिया बयान में यह भी कहा था कि अमेरिका कब तक दूसरे देशों की सुरक्षा का बोझ उठाएगा। उन्होंने Ukraine-Russia युद्ध को लेकर भी अपना पुराना रुख बदलते हुए यह दावा किया कि इस संघर्ष की शुरुआत यूक्रेन ने की थी और इसके लिए अमेरिका के फंड का गलत इस्तेमाल किया गया।
इस बयान से यूरोपीय देशों में चिंता की लहर दौड़ गई है। France, Germany और Britain समेत कई देशों ने इस पर अपनी असहमति जताई है। Friedrich Merz ने स्पष्ट कर दिया है कि जर्मनी अपनी रक्षा रणनीति को अब नए सिरे से तय करेगा।
नए जर्मन नेतृत्व में बदलेगी यूरोप की राजनीति?
Friedrich Merz के सत्ता में आने से जर्मनी की विदेश नीति में बड़ा बदलाव हो सकता है। रूस के खिलाफ कठोर कदम, NATO में नई भूमिका और यूरोपीय परमाणु सुरक्षा पर नई बातचीत, ये सभी संकेत देते हैं कि जर्मनी की राजनीतिक दिशा में बड़ा मोड़ आने वाला है।