नई दिल्ली: बीजेपी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया तो पूरे देश में एक लहर दौड़ गई। बीजेपी को बहुमत के जादुई आंकड़े 272 से भी 10 सीटें ज्यादा यानी 282 सीटें मिलीं। उधर, कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व में लगातार दो कार्यकाल में 10 साल तक केंद्र की सत्ता पर राज करने वाली यूपीए सरकार के दूसरे कार्यकाल में घपलों-घोटलों से देशवासियों में निराशा का माहौल छा गया। इसका परिणाम हुआ कि 2014 के चुनाव में कांग्रेस ने अपने इतिहास के सबसे खराब प्रदर्शन किया। कांग्रेस पार्टी सिर्फ 44 सीटें जीतकर बस दोहरे अंकों तक सिमट गई। 2019 के अगले आम चुनावों में भी उसके सांसदों की संख्या दोहरे अंकों में ही रही। इस बीच बीजेपी बढ़ती रही और बढ़ती रही क्षेत्रीय पार्टियां। आंकड़ों पर गौर करेंगे तो पता चलेगा कि किस तरह कांग्रेस पार्टी को न सिर्फ बीजेपी बल्कि क्षेत्रीय दल भी खुरच-खुरच कर खा रहे हैं।
भाजपा बनाम कांग्रेस: एकतरफा मामला
भाजपा और कांग्रेस के बीच 2009 के लोकसभा चुनावों में 173 सीटों पर सीधा मुकाबला था। इन सीटों पर बीजेपी या कांग्रेस में कोई एक या तो जीती थी या दूसरे नंबर पर रही थी। कांग्रेस ने इनमें से 54% सीटें जीतीं जबकि भाजपा ने शेष 46% सीटें जीतीं। लेकिन 2014 में स्थिति उलट गई। बीजेपी ने सीधे मुकाबले वाली 88% सीटें जीत लीं। उसे कुल सीधी फाइल वाली 189 सीटों में 166 सीटें मिल गईं जबकि कांग्रेस को सिर्फ 23 सीटों से संतोष करना पड़ा। 2019 में यह गैप और ज्यादा बड़ी हो गई जब भाजपा ने सीधे मुकाबले वाली 190 सीटों में से 92% पर कब्जा कर लिया।
वोट शेयर की बात करें तो यहां भी कुछ ऐसी ही कहानी है, बस थोड़े से बदलाव के साथ। बीजेपी का वोट शेयर 2009 के 41% से बढ़कर 2014 में 50.9% और 2019 में 56.5% हो गया। कांग्रेस ने वोट शेयर के मामले में 2009 और 2014 के बीच गिरावट दर्ज की, लेकिन 2019 में मामूली सुधार हुआ। हालांकि वोटों में बढ़त सीटों पर जीत में तब्दील नहीं हुई।
भाजपा बनाम गैर-कांग्रेस: दोतरफा मुकाबला
वर्ष 2009 में 53 सीटें ऐसी थीं, जहां सीधा मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के अलावा किसी अन्य पार्टी के बीच था। भाजपा ने यहां हर तीन में से लगभग 2 सीटें जीतीं। इसने 2014 में अपने स्ट्राइक रेट में सुधार किया और गैर-कांग्रेसी दलों के खिलाफ 79% सीटें जीतीं। हालांकि 2019 में भगवा दल इन ज्यादातर क्षेत्रीय दलों के खिलाफ पिछड़ गया। वोट शेयर के मामले में भाजपा ने लगातार वृद्धि दर्ज की है जबकि गैर-कांग्रेसी दल जिन्हें अपने प्रभाव वाले क्षेत्रों में महत्वपूर्ण समर्थन प्राप्त है, ने 2014 में गिरावट दर्ज की। हालांकि, 2019 में उन्हें महत्वपूर्ण बढ़त हासिल हुई।