Germany Elections 2024 : जर्मनी (Germany) की राजनीति में एक ऐतिहासिक बदलाव देखने को मिला है। फ्रीडरिक मैर्त्स (Friedrich Merz) की अगुवाई वाले कंजरवेटिव गठबंधन ने देश के आम चुनावों में करीबी मुकाबले में जीत दर्ज कर ली है। इस चुनावी नतीजे के साथ ही जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज (Olaf Scholz) ने हार स्वीकार कर ली है।
इस चुनाव का सबसे चौंकाने वाला पहलू यह रहा कि कट्टर दक्षिणपंथी पार्टी ऑल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (Alternative for Germany – AfD) ने रिकॉर्ड तोड़ सीटें हासिल कीं। पार्टी का वोट प्रतिशत 2021 के चुनाव में 10.3% से बढ़कर 20.5% तक पहुंच गया है। यह दूसरा विश्व युद्ध (World War II) के बाद पहली बार हुआ है जब किसी दक्षिणपंथी पार्टी ने इतना बड़ा जनाधार हासिल किया है।
ओलाफ शोल्ज की हार और नई सत्ता की चुनौतियाँ
ओलाफ शोल्ज की पार्टी सोशल डेमोक्रेट्स (Social Democrats – SPD) को सिर्फ 16% वोट मिले, जो दूसरे विश्व युद्ध के बाद अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन है। चुनाव में विपक्षी गठबंधन को 28.5% वोट मिले हैं, जो एग्जिट पोल्स के अनुमानों के अनुसार ही है।
जर्मनी की संसद बुंदेस्ताग (Bundestag) में कुल 630 सदस्य होते हैं और किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है। ऐसे में, फ्रीडरिक मैर्त्स के लिए एक स्थिर सरकार चलाना बड़ी चुनौती बन सकता है। गठबंधन बनाना जरूरी होगा, लेकिन कट्टरपंथी पार्टी AfD के साथ गठबंधन पर मैर्त्स की राय नकारात्मक है।
चुनाव में मुख्य मुद्दे और ध्रुवीकरण
इस चुनाव में जर्मनी की आर्थिक ग्रोथ में गिरावट, अवैध प्रवासियों (Illegal Immigrants) की बढ़ती संख्या और यूरोपियन यूनियन (European Union) की एकता जैसे मुद्दे प्रमुख रहे। यूक्रेन (Ukraine) संकट और अवैध प्रवासियों के मुद्दे पर ही कंजरवेटिव पार्टी को सबसे ज्यादा समर्थन मिला।
विश्लेषकों का मानना है कि जनता ने जर्मनी की पारंपरिक राजनीति से हटकर एक नई दिशा में वोट दिया है। हालांकि, किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत न मिलने के कारण देश में राजनीतिक अस्थिरता बनी रह सकती है।
कट्टरपंथी पार्टी की ऐतिहासिक सफलता
इस चुनाव का सबसे बड़ा उलटफेर रहा Alternative for Germany (AfD) की ऐतिहासिक सफलता। यह पार्टी अवैध प्रवासियों के खिलाफ अपने रुख के लिए जानी जाती है और अब मुख्यधारा की राजनीति में अपनी जगह बनाने में सफल हो चुकी है।
फ्रीडरिक मैर्त्स की ओर से AfD के साथ गठबंधन न करने की स्थिति में यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में जर्मनी में राजनीतिक समीकरण कैसे बदलते हैं।