The News Air- (नई दिल्ली) किसान आंदोलन ख़त्म करने पर केस वापसी का पेंच फंसा हुआ है। हालांकि सरकार चाहे तो क़ानूनी तौर पर यह कोई मुश्किल और लंबा काम नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के सीनियर क्रिमिनल लॉयर एडवोकेट मनदीप सिंह सचदेवा और पंजाब के पूर्व DGP डॉ. चंद्रशेखर कहते हैं कि इसमें सिर्फ़ सरकार की सहमति की ज़रूरत है।
इसके बाद मामले कोर्ट में जाएंगे। वहाँ सरकार केस की स्थिति के लिहाज़ से इनकी अनट्रेस रिपोर्ट, कैंसिलेशन या फिर प्रॉसिक्यूशन विदड्रॉ करने की एप्लीकेशन दे सकती है। हालांकि इसमें कोर्ट की भी मर्ज़ी होती है कि वह इन्हें विदड्रॉ करने का आदेश दे या नहीं। सरकार चाहे तो यह काम एक हफ़्ते में भी हो सकता है।
एडवोकेट सचदेवा ने बताए केस वापसी के 2 तरीक़े
- जिन केसों का चालान कोर्ट में पेश नहीं हुआ और मामला अंडर इन्वेस्टिगेशन है। उसमें कैंसिलेशन या अनट्रेस रिपोर्ट फाइल की जा सकती है। क़ानूनी तौर पर सरकार कह सकती है कि इसमें कोई जुर्म नहीं बनता।
- जिन केस का चालान पेश हो गया, उनमें CRPC के सेक्शन 321 के तहत विद्ड्रॉल ऑफ़ प्रोसिक्यूशन फाइल किया जा सकता है। इसमें DC या DM के ज़रिए एप्लीकेशन देनी होती है। पब्लिक प्रोसिक्यूटर कोर्ट में केस विदड्रॉ करने के लिए कहेंगे। फिर कोर्ट को इसका कारण बताना होगा। अगर कोर्ट को कारण सही लगे तो केस वापसी के आदेश हो जाएंगे।
पूर्व DGP बोले- अनट्रेस रिपोर्ट बेहतर क़दम
पंजाब के पूर्व DGP डॉ. चंद्र शेखर ने कहा कि यह केस कोई क्रिमिनल नहीं हैं। यह एक सोशल मैटर है। सरकार इन केसों को आगे पर्स्यू न करे यानी पैरवी आगे न बढ़ाए और कोर्ट में अनट्रेस लिखकर दे दे तो केस ख़त्म हो जाएंगे। वैसे भी क़ानूनी पॉलिसी कहती है कि लिटिगेशन न राज्य के हित में है और न उससे जुड़े लोगों के। यह फ़ालतू का बोझ ही है। कैंसिलेशन में जरुर पेंच रहता है कि इसमें फिर केस दर्ज़ करने और उसकी जांच करने वाले अफ़सरों पर कार्रवाई हो सकती है। जब सरकार किसी ख़ास मौक़े पर कैदियों को छोड़ती है तो भी राज्य के पास अधिकार होते ही हैं।