Dharmendra Pension Legal Heir बॉलीवुड के ही-मैन और पूर्व राज्यसभा सांसद धर्मेंद्र के निधन के बाद अब उनकी पेंशन को लेकर नियम सामने आ रहे हैं। चूंकि उन्होंने दो शादियां की थीं— पहली प्रकाश कौर से (बिना तलाक) और दूसरी हेमा मालिनी से— इसलिए यह सवाल उठ रहा है कि आखिर उनकी सरकारी पेंशन पर कानूनी रूप से किसका अधिकार होगा।
सांसद पेंशन पर क्या कहता है नियम?
सरकारी पेंशन के नियम के मुताबिक, पूर्व सांसद की पेंशन पर अधिकार उनकी कानूनी रूप से विवाहित पत्नी को ही दिया जाता है। अगर कानून की नजर में कोई शादी मान्य नहीं होती है, तो पेंशन पर उसका अधिकार नहीं होगा।
प्रकाश कौर ही क्यों हैं हकदार?
धर्मेंद्र ने पहली शादी हिंदू रीति-रिवाज से प्रकाश कौर से की थी, और रिपोर्ट्स के मुताबिक, हेमा मालिनी से दूसरी शादी के लिए उन्होंने प्रकाश कौर को तलाक नहीं दिया था, बल्कि अपना धर्म बदल दिया था।
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हिंदू विवाह अधिनियम 1955: इस अधिनियम के तहत, अगर कोई व्यक्ति एक पत्नी के जीवित रहते हुए और बिना तलाक लिए दूसरी शादी करता है, तो उसे कानूनी रूप से मान्य नहीं माना जाता।
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कानूनी निष्कर्ष: इस कानूनी दृष्टि से, धर्मेंद्र की पहली पत्नी प्रकाश कौर ही अभिनेता की पेंशन की हकदार हैं, क्योंकि उनकी शादी हिंदू विवाह अधिनियम के तहत हुई थी और कभी भंग नहीं हुई (यानी तलाक नहीं हुआ)।
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दूसरी पत्नी का अधिकार: दूसरी पत्नी (हेमा मालिनी) का इस पेंशन पर कोई भी कानूनी अधिकार नहीं होगा।
CCS नियम कब होते हैं लागू?
सांसद की पेंशन से जुड़े सेंट्रल सिविल सर्विसेज (CCS) नियम के तहत, यदि किसी व्यक्ति की कानूनी रूप से दो पत्नियां होती हैं, तो पेंशन को 50-50 (बराबर) बांटा जाता है। हालांकि, धर्मेंद्र के मामले में यह नियम लागू नहीं होता, क्योंकि कानूनी तौर पर प्रकाश कौर ही उनकी वैध पत्नी हैं। भले ही दूसरी शादी के लिए धर्म परिवर्तन किया गया हो, ऐसे मामले में भी पहली पत्नी ही पेंशन की हकदार है।
मुख्य बातें (Key Points)
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पूर्व राज्यसभा सांसद धर्मेंद्र की पेंशन पर उनकी कानूनी रूप से विवाहित पत्नी का ही अधिकार होगा।
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हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के तहत, एक पत्नी के जीवित रहते बिना तलाक के की गई दूसरी शादी कानूनी रूप से मान्य नहीं होती।
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कानून की दृष्टि से, धर्मेंद्र की पहली पत्नी प्रकाश कौर ही उनकी सांसद पेंशन की एकमात्र हकदार हैं।
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सेंट्रल सिविल सर्विसेज (CCS) नियम के तहत, 50-50 बंटवारा तभी होता है जब दोनों शादियां कानूनी रूप से मान्य हों, जो इस मामले में नहीं है।






