मिली जानकारी के अनुसार इसमें से अकेले 70 कंपनियां हिमचाल प्रदेश की, 45 कंपनियां उत्तराखंड की और 23 कंपनियां मध्य प्रदेश की थीं। जिन कंपनियों का लाइसेंस रद्द हुआ उनमें से ज्यादातर उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश की बतायीं गई हैं।
गौरतलब है कि करीब 14 दिन पहले, भारत सरकार ने इसी बाबत मंगलवार 28 मार्च को नकली और खराब क्वालिटी की दवाओं के निर्माण के लिए फार्मा कंपनियों के इंस्पेक्शन किए थे । तब हिमाचल प्रदेश में 70, उत्तराखंड में 45 और मध्य प्रदेश में 23 कंपनियों पर कार्रवाई की गई थी। कई देशों से भारतीय दवाओं से होने वाली मौतों और बीमारियों की खबरों के बीच ये छापे मारे गए थे।
पता हो कि, नोएडा में एक फार्मास्युटिकल फर्म के तीन कर्मचारियों को बीते 2022 को उज्बेकिस्तान में कथित तौर पर खांसी की दवाई के कारण 18 बच्चों की मौत के बाद गिरफ्तार किया गया था। दरअसल उन पर मिलावटी दवा बनाने और बेचने का आरोप था। वहीं बीते फरवरी के महीने में ही चेन्नई स्थित एक दवा कंपनी ने आई ड्रॉप की खेप को अमेरिका से वापस मंगाया था।