चंडीगढ़ 20 फ़रवरी (The News Air): शिरोमणी अकाली दल के वरिष्ठ नेता स. परमजीत सिंह सरना और मनजीत सिंह जी.के ने आज कहा है कि भारतीय जनता पार्टी के इशारे पर दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीएमसी) के कहने पर पंथक सम्मेलन में ज्ञानी हरप्रीत सिंह द्वारा भाग लिया जाने से स्पष्ट है कि यह शिरोमणी अकाली दल, शिरोमणी कमेटी और श्री अकाल तख्त साहिब को नुकसान पहुंचाने की साजिश का हिस्सा है।
इस मुददे पर एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि इस तरह की कांफ्रेंस का मकसद अकाली दल को कमजोर करना है और भाजपा द्वारा उसके साथ गठबंधन करते समय सौदेबाजी की पार्टी की शक्ति को कमजोर करने की साजिश का हिस्सा है। उन्होने कहा कि भाजपा इसी मकसद से लंबे समय से सिख पंथ के जत्थेदारों को लुभाने का प्रयास कर रही है। उन्होने कहा कि ज्ञानी हरप्रीत सिंह अब भाजपा की इस योजना को सफल बनाने के लिए राह पर चल रहे हैं।
परमीजीत सिंह सरना और मनजीत सिंह जी.के ने अपने और ज्ञानी हरप्रीत सिंह के बीच हुई मीटिंग के बारे में विस्तार से बताया, जिससे साबित हो गया कि ज्ञानी हरप्रीत सिंह हमेशा से भाजपा की कठपुतली के तौर पर काम करते रहे हैं। वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि ज्ञानी हरप्रीत सिंह के कहने पर डीएसजीएमसी स्कूल को 500 करोड़ रूपये में बेचने की शिकायत के संबंध में दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पांच पूर्व अध्यक्षों को तलब किया गया था। उन्होने कहा कि जब यह पता चला कि जी.के के हस्ताक्षर जाली हैं और दिल्ली के नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने पत्र का दुरुपयोग किया है तो जत्थेदार ने तीन मेंबरीय कमेटी बनाकर तुरंत कार्रवाई करने का वादा किया। वरिष्ठ नेताओं ने कहा,‘‘ हालांकि सिरसा के शामिल होने के कारण तीन मेंबरीय कमेटी का गठन ही नही किया गया और भ्रष्टाचार के मामले की जांच भी नही की गई। उन्होने कहा कि ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने दिल्ली में जीत के बाद सिरसा को सिरोपा भेंट करने वाले पहले व्यक्ति थे, जबकि उन्हे 2 दिसंबर को श्री अकाल तख्त साहिब की ‘फसील’ के सामने खड़े होने की अनुमति नही दी गई थी, क्योंकि वह ‘पतित ’ सिख हैं।
परमजीत सिंह सरना ने एक उदाहरण देते हुए बताया कि कैसे ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने उन्हे श्री अकाल तख्त साहिब पर बुलाकर उन्हे अकाली गुट के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के लिए कहा था। उन्होने कहा कि ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने उनसे कहा कि वे दूसरों से भी इस्तीफा देने के लिए कह रहे हैं ताकि वे एकीकृत अकाली दल को इसके अध्यक्ष के रूप में चला सकें। उन्होने कहा,‘‘ श्री अकाल तख्त साहिब के तत्कालीन जत्थेदार ने मुझसे कहा कि उन्हे भाजपा की शीर्ष लीडरशीप का विश्वास प्राप्त है और वह भाजपा के साथ गठबंधन करेंगें।’’ सरना ने कहा कि वह ज्ञानी हरप्रीत सिंह के साथ किसी भी समय इस मुददे पर सीधी बहस करने के लिए तैयार हैं।
दोनों वरिष्ठ नेताओं ने कल दिल्ली कमेटी द्वारा आयोजित तथाकथित पंथक सम्मेलन की निंदा करते हुए कहा कि इस कांफ्रेंस में कोई भी शामिल नही हुआ, इसीलिए डीएसजीएमसी के मेंबरों को इसमें भाग लेने के लिए मजबूर किया गया। उन्होने कहा,‘‘इस सम्मेलन में एन.एस.ए बंदियों यां बंदी सिंहों समेत किसी भी पंथक मुददे की चर्चा नही की गई, जिन्हे केंद्र सरकार ने 2019 में रिहा करने का वादा किया था। इस सम्मेलन में अमेरिका से डिपोर्ट किए गए सिख नौजवानों से दुव्र्यवहार यां तख्त श्री हजूर साहिब और पटना साहिब के प्रबंधन को चलाने में अनुचित सरकारी हस्तक्षेप पर ही चर्चा की गई।’’