Budget 2025 में भारत सरकार ने विदेशी सहायता के लिए कुल 5,483 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। इसमें मालदीव (Maldives) की सहायता राशि 470 करोड़ से बढ़ाकर 600 करोड़ रुपये कर दी गई है, जबकि भूटान (Bhutan) को सबसे अधिक 2,150 करोड़ रुपये की मदद मिली है।
यह फैसला ऐसे समय में आया है जब भारत और मालदीव के बीच संबंधों में सुधार लाने की कोशिशें जारी हैं। मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू (Mohamed Muizzu) के सत्ता में आने के बाद से उनके झुकाव के चीन (China) की ओर बढ़ने से भारत और मालदीव के रिश्तों में तनाव आ गया था।
वहीं, भारत ने अफगानिस्तान (Afghanistan) की मदद को दोगुना कर 100 करोड़ रुपये कर दिया है, जबकि म्यांमार (Myanmar) की सहायता राशि घटा दी गई है। आइए जानते हैं कि भारत ने अपने पड़ोसी और रणनीतिक साझेदार देशों को कितनी आर्थिक मदद दी है।
भूटान को सबसे अधिक मदद, लेकिन राशि में कटौती
भारत की विदेश नीति में भूटान (Bhutan) को हमेशा प्राथमिकता दी गई है। 2025-26 के बजट में भारत ने भूटान को 2,150 करोड़ रुपये की सहायता दी है, जो पिछले वर्ष के 2,543 करोड़ रुपये की तुलना में कम है।
भूटान को मिलने वाली सहायता मुख्य रूप से बुनियादी ढांचे, जलविद्युत परियोजनाओं और आर्थिक सहयोग के लिए होती है। इसके बावजूद, यह कटौती इस बात का संकेत है कि भारत अब अपनी विदेशी सहायता नीति में कुछ संतुलन बना रहा है।
मालदीव को बढ़ी मदद – रिश्ते सुधारने की पहल?
भारत ने मालदीव के लिए सहायता राशि 470 करोड़ से बढ़ाकर 600 करोड़ रुपये कर दी है। यह फैसला ऐसे समय में लिया गया है जब दोनों देशों के रिश्तों में सुधार लाने की कोशिशें जारी हैं।
2024 की शुरुआत में भारत ने मालदीव से अपनी सैन्य टुकड़ी वापस बुला ली थी, जिसके बाद दोनों देशों के संबंधों में ठंडापन आ गया था। हालांकि, हाल ही में मालदीव के रक्षा मंत्री घसन माउमून (Ghassan Maumoon) ने भारत का दौरा किया, जिससे दोनों देशों के बीच सहयोग को मजबूत करने की संभावनाएं बढ़ गई हैं।
अफगानिस्तान की सहायता दोगुनी, लेकिन पुरानी तुलना में कम
भारत ने अफगानिस्तान (Afghanistan) की सहायता राशि को 50 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 100 करोड़ रुपये कर दिया है। हालांकि, यह अब भी दो साल पहले के 207 करोड़ रुपये से काफी कम है।
भारत ने तालिबान सरकार (Taliban Government) को आधिकारिक रूप से मान्यता नहीं दी है, लेकिन मानवीय सहायता (Humanitarian Aid) और आर्थिक सहयोग जारी रखा गया है।
हाल ही में भारतीय राजनयिक विक्रम मिस्री (Vikram Misri) ने दुबई (Dubai) में तालिबान अधिकारियों से मुलाकात की, जहां चर्चा मुख्य रूप से व्यापार और ईरान (Iran) के चाबहार बंदरगाह (Chabahar Port) को लेकर हुई।
म्यांमार की सहायता में कटौती – सुरक्षा चिंता बनी मुख्य वजह?
भारत ने म्यांमार (Myanmar) के लिए सहायता राशि 400 करोड़ रुपये से घटाकर 350 करोड़ रुपये कर दी है।
यह कटौती ऐसे समय में हुई है जब म्यांमार में जातीय सशस्त्र संघर्ष (Ethnic Armed Conflict) बढ़ रहा है। भारत सरकार ने हाल ही में भारत-म्यांमार सीमा (India-Myanmar Border) पर सुरक्षा कड़ी करने के लिए मुक्त आवागमन क्षेत्र (Free Movement Regime – FMR) को 16 किमी से घटाकर 10 किमी कर दिया है।
बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका को कितनी आर्थिक मदद?
बांग्लादेश (Bangladesh): भारत ने बांग्लादेश की सहायता राशि 120 करोड़ रुपये पर बरकरार रखी है।
नेपाल (Nepal): नेपाल को 700 करोड़ रुपये की सहायता दी गई है, जो पिछले साल की राशि के बराबर है।
श्रीलंका (Sri Lanka): भारत ने 300 करोड़ रुपये की सहायता दी है, जिससे श्रीलंका को आर्थिक संकट से उबरने में मदद मिलेगी।
चाबहार बंदरगाह और अंतरराष्ट्रीय सहयोग
ईरान (Iran) के चाबहार बंदरगाह (Chabahar Port) के लिए भारत ने 100 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। यह बंदरगाह मध्य एशिया और अफगानिस्तान तक भारत के व्यापार के लिए एक महत्वपूर्ण मार्ग है।
इसके अलावा, अफ्रीकी देशों (African Nations) को दी जाने वाली सहायता राशि 225 करोड़ रुपये की गई है, जबकि लैटिन अमेरिका (Latin America) के लिए यह राशि 90 करोड़ से घटाकर 60 करोड़ रुपये कर दी गई है।
आपदा राहत और सांस्कृतिक कूटनीति को बढ़ावा
भारत ने आपदा राहत (Disaster Relief) के लिए बजट में 4 करोड़ रुपये की वृद्धि कर 64 करोड़ रुपये कर दिया है।
2023 में तुर्की (Turkey) में आए भूकंप और 2024 में लाओस (Laos) और वियतनाम (Vietnam) में आई बाढ़ के दौरान भारत ने त्वरित सहायता भेजी थी।
भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (Indian Council for Cultural Relations – ICCR) का बजट 331 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 351 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
भारत ने Budget 2025 में 5,483 करोड़ रुपये की विदेशी सहायता आवंटित की है, जिसमें भूटान (Bhutan) को सबसे अधिक 2,150 करोड़ रुपये मिले हैं। वहीं, मालदीव (Maldives) की सहायता राशि बढ़ाकर 600 करोड़ रुपये कर दी गई है।
भारत की विदेश नीति (Foreign Policy) में रणनीतिक साझेदार देशों को प्राथमिकता दी गई है। हालांकि, कुल सहायता राशि में कमी आई है, लेकिन मालदीव और अफगानिस्तान के लिए फंडिंग में वृद्धि हुई है।
क्या भारत की यह नीति पड़ोस में कूटनीतिक संतुलन बनाए रखने में सफल होगी?