The News Air- (चंडीगढ़) नए वर्ष में होने जा रहे पंजाब विधानसभा के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी स्टेट मुख्यालय खोल कर ग्रैंड एंट्री करने जा ही रही है। साथ ही पार्टी चुनाव में अधिकतर सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े कर बड़ा दांव भी खेलने जा रही है। भाजपा पंजाब में 70 से 80 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करेगी, बाक़ी सीटें गठबंधन करने वाली कैप्टन अमरिंदर सिंह की पंजाब लोक कांग्रेस पार्टी को देगी।
दिल्ली में अमरिंदर सिंह के साथ पंजाब में गठबंधन की शर्तें क्या होंगी, कौन-कौन सी सीटें कैप्टन को भाजपा देगी और किन-किन सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी इसे लेकर लगातार मंथन जारी है। कैप्टन और भाजपा के पंजाब प्रभारी गजेंद्र सिंह शेखावत के बीच बैठकें भी हुई हैं। इन बैठकों में जो चर्चाएं हुईं या जिन बातों पर सहमति बन रही है, उन्हें पंजाब भाजपा प्रभारी राष्ट्रीय अध्यक्ष के समक्ष रख रहे हैं। फ़िलहाल जो बात छँट कर सामने आई है उससे यह पता चला है कि भाजपा पंजाब में 70 से 80 सीटों पर ख़ुद के उम्मीदवार उतारेगी और कैप्टन को 37 से लेकर 47 तक सीटें देगी।
बहुमत अपने पास रखना चाहती है भाजपा
भाजपा और कैप्टन की पंजाब लोक कांग्रेस सत्ता में आते हैं या नहीं यह तो भविष्य के गर्भ में हैं। इससे एक बात साफ़ है कि भाजपा बेशक अमरिंदर सिंह के साथ समझौता कर रही है लेकिन वह राज्य में बहुमत अपने पास रखना चाहती है। कैप्टन अमरिंदर सिंह और पंजाब भाजपा प्रभारी गजेंद्र सिंह शेखावत के बीच बैठकों के सात दौर में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई। इसके बाद शेखावत ने स्वयं इस बात की पुष्टि की कि राज्य में भाजपा और पंजाब लोक कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़ेंगे। सीटों पर उन्होंने कहा कि इस पर फ़ैसला बाद में लिया जाएगा। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि सीटों का बँटवारा और उम्मीदवारों का चयन एक-एक सीट पर चर्चा के बाद होगा। पंजाब में कुल 117 विधानसभा सीट है।
जो अकालियों ने किया वही भाजपा कर रही
भारतीय जनता पार्टी अकाली दल वाला फंडा कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ अपना रही है। जैसे पंजाब में अकाली दल ने अधिकतर सीटें अपने पास रखी थी और मात्र शहरी क्षेत्रों की सीटें भाजपा को दे रखी थी, उसी तर्ज पर अब भाजपा कैप्टन से गठबंधन कर रही है। अकाली दल से गठबंधन के दौरान भाजपा के पास 20 सीटें थी, लेकिन 2017 के चुनाव में भाजपा 23 पर लड़ी। गठबंधन इनमें से भी तीन पर ही जीत पाया था। अकाली दल 94 में से सिर्फ़ 15 पर सिमट गया था।
जाट लैंड का फार्मूला जट्ट लैंड में करेगी लागू
हरियाणा में कभी चौधरी बंसीलाल की हरियाणा विकास पार्टी से तो कभी ओमप्रकाश चौटाला की इंडियन नेशनल लोकदल के साथ चुनाव लड़ने वाली भारतीय जनता पार्टी का कुलदीप विश्नोई की पार्टी हरियाणा जनहित कांग्रेस के साथ भी गठबंधन था। 2014 विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कुलदीप बिश्नोई की हरियाणा जनहित कांग्रेस साथ छोड़ गई थी। जाट लैंड हरियाणा में शहरों में तो भाजपा का कुछ आधार था लेकिन जाट बहुल ग्रामीण क्षेत्रों में भाजपा के पास कोई भी मज़बूत चेहरा नहीं था। ऐसी परिस्थितियों से निपटने के लिए भाजपा ने सभी दलों के नाराज़-निराश नेताओं के लिए अपने दरवाज़े खोल दिए और अपने दम पर अकेले चुनाव लड़ने का मन बनाया। हरियाणा में अकेले चुनाव लड़ने की मज़बूरी भाजपा के लिए वरदान साबित हुई। हरियाणा में भाजपा पहले पांच साल पूर्ण बहुमत से सत्ता में आई और अब कुछ सीटें कम पड़ने पर ज़न नायक जनता पार्टी के साथ गठबंधन कर सरकार चला रही है। यही फार्मूला अब भाजपा जट्ट लैंड पंजाब में भी लागू करने जा रही है। यहां पर भी भाजपा सबके के लिए अपने द्वार खोल रही हैं रूठे, नाराज़, छिटके, निराश सभी का पार्टी में स्वागत कर रही है।
भाजपा की नज़र दोआबा, माझा पर
भाजपा ने पंजाब में अपनी बिसात बिछानी शुरू कर दी है। भाजपा का प्रथम चरण में ध्यान मुख्य रूप से दोआबा और माझा पर है। मालवा के शहर लुधियाना और पुआद क्षेत्र पर भी पार्टी की नज़र है। भाजपा अपने ज़्यादा उम्मीदवार इन्हीं क्षेत्रों में उतारेगी। मालवा की अधिकतर सीटें कैप्टन अमरिंदर सिंह से समझौते के अनुसार बांटी जाएंगी। पार्टी के भीतरी सूत्रों का कहना है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह प्रदेश में दो बार मुख्यमंत्री रहे हैं, उन्हें पंजाब का सारा भूगोल पता है। वह मालवा, दोआबा और माझा क्षेत्र की एक-एक जानकारी रखते हैं। कांग्रेस और अकाली दल की कमज़ोर कड़ियों की भी कैप्टन अमरिंदर सिंह को अच्छी तरह पता हैं। इसका भाजपा पूरा फ़ायदा उठाना चाहती है। पंजाब में बेशक अधिकतर सीटों पर भाजपा ही लड़ेगी लेकिन उम्मीदवारों के चयन को लेकर कैप्टन अमरिंदर सिंह की शमूलियत भी बराबर रहेगी। सीटें उन्हें ही दी जाएं।