Manoj Bajpayee movie Bhaiyya Ji review: मनोज बाजपेयी की एक्टिंग जो एक बार देख लेता है वो उनका मुरीद होकर रह जाता है. वे इंडस्ट्री के बहुत जुनूनी और जिद्दी एक्टर रहे हैं. उनकी छाप ऐसी है कि सिनेमा की दुनिया में कदम रखने के साथ ही वे अपनी पहली फिल्म बैंडित क्वीन से लोकप्रिय हो गए थे. इस फिल्म में उन्होंने डाकू मान सिंह का रोल प्ले किया था. अपनी नेचुरल एक्टिंग से उन्होंने सभी का भरोसा जीता और एक के बाद एक फिल्में करते चले गए. अब वे अपने फिल्मी सफर पर 100 कदम चल चुके हैं. यानि की 100 फिल्में पूरी कर चुके हैं. ऐसा करने में उन्हें करीब 30 साल का वक्त लगा. लेकिन आज वे एक हाउसहोल्ड नेम हो गए हैं. चाहें फिल्में हों, थियेटर या फिर ओटीटी प्लेटफॉर्म, डिमांड तो मनोज बाजपेयी की ही हाई है. इस महान एक्टर की 100वीं फिल्म भैया जी उनके शानदार करियर को एक ट्रिब्यूट है साथ ही फैन्स को मनोज भैया जी की तरफ से एक सरुप्राइज. फिल्म अब सिनेमाघरों में आ गई है. इसे एकदम साउथ स्टाइल में बनाया गया है. आइए जानते हैं कि इस खास उपलक्ष में फैन्स को दिया गया मनोज बाजपेयी का ये सरप्राइज कैसा है.
क्या है कहानी?
फिल्म की कहानी भैया जी उर्फ राम चरण के जीवन पर बेस्ड है. राम चरण एक समय में अपनी दबंगई के लिए मशहूर था. ऐसे तेवर कि जिसके चर्चे दूर-दूर तक मशहूर थे. लोग भैया जी के नाम से खौफ खाते थे. कहा जाता था कि अगर भैया जी ने फावड़ा उठा लिया तो उस दिन हर तरफ दहशत ही दहशत देखने को मिलती थी. उनकी कहानियां गांव-गांव में प्रचलित थीं. लेकिन अपने पिता के कहने पर उसने ये रास्ता त्याग दिया था और सराफत की राह थाम ली थी. उस राह पर वो आगे बढ़े ही जा रहा था. उम्र ज्यादा हो गई थी लेकिन शादी करने का मन बना लिया था. शादी हो रही थी. मौका खुशी का था. लेकिन तभी अचानक कुछ ऐसा होता है जो नहीं होना चाहिए था. खबर आती है कि भैया जी के छोटे भाई का एक्सिटेंड हो गया है. बुलाया जाता है. लेकिन ये बताया नहीं जाता कि एक्सिडेंट में भैया जी के छोटे भाई वेदांत की दुर्घटना में मौत हो गई है. अगर कुछ बताया नहीं गया तो इसका मतलब कुछ छिपाया गया. क्या छिपाया गया? यही फिल्म का टर्निंग प्वाइंट है और यहीं से शुरू होती है भैया जी के शराफत छोड़ने की और एक बार फिर से फावड़ा उठाने कि तैयारी. अब जब भैया जी ने फावड़ा उठा लिया है तो बवाल तो होना ही है. और बवाल ही आपको फिल्म में देखने को मिलेगा.
कैसी है एक्टिंग?
वैसे तो हर फिल्म की तरह मनोज बाजपेयी ने इस फिल्म में भी अच्छी एक्टिंग की है. एक अच्छा एक्टर करता ही ऐसा है. लेकिन फिल्म को जिस तरह से साउथ की फिल्मों सरीखा बनाया गया है वहां मामला कहीं-कहीं ओवर हो गया है. आमतौर पर मनोज बाजपेयी इस तरह की फिल्में नहीं करते लेकिन वे ऐसे रोल्स तो वे पहले भी कई फिल्मों में प्ले कर चुके हैं. तेवर, सत्या और दौड़ जैसी फिल्मों में उनके किरदार का फ्लेवर ऐसा ही था. बस यहां मामला थोड़ा ओवर हो गया है. टीवी9 भारतवर्ष से बातचीत के दौरान ऐसा मनोज बाजपेयी ने कहा भी कि ये फिल्म जानबूझ कर ज्यादा ड्रामा और कॉमर्शियलाइज वे में बनाई गई है. वो फिल्ममेकिंग अप्रोच तो भैया जी की मेकिंग में नजर आ रहा है. लेकिन हर फिल्म जज करने के लिए नहीं होती. इसमें अपन को ज्यादा दिमाग नहीं लगाना है. लेकिन एक बात तो माननी पड़ेगी. फिल्म की कहानी, स्क्रिप्ट और डायलॉग्स ने भले ही सभी की एक्टिंग जरा सी फीकी कर दी है लेकिन विपिन शर्मा अपने पुलिस इंस्पेक्टर के रोल में जमे हैं. उन्होंने एक बार फिर से अपनी कॉमिक टाइमिंग से साबित कर दिया है कि अगर उन्हें किसी फिल्म में नहीं लिया गया तो वो उस फिल्म का दुर्भाग्य हो न हो, लेकिन अगर उन्हें किसी फिल्म में ले लिया गया है तो ये उस फिल्म का सौभाग्य जरूर है.
देखें कि नहीं?
ये मनोज बाजपेयी की 100वीं फिल्म है. अगर आप उनकी 100वीं फिल्म देखने के लिए उत्सुक हैं तब आप इस फिल्म को देख सकते हैं. अगर आप मनोज बाजपेयी के सच्चे वाले फैन हैं तो ऐसे में आप इस फिल्म को मनोज बाजपेयी का फैन्स होने के नाते देख सकते हैं. इसके अलावा इस फिल्म की कहानी में न तो दम है, न डायलॉग्स ही बहुत दमदार हैं, इस फिल्म में नया जैसा कुछ नहीं है. या ऐसा कुछ भी नहीं है कि जिसे देखना जरूरी समझा जाए. बाकी जैसी जिसकी मर्जी.
फिल्म- भैया जी
निर्देशक- अपूर्व सिंह कर्की
स्टारकास्ट- मनोज बाजपेयी, जोया हुसैन, विपिन शर्मा
रेटिंग्स- 2.5/5
Imdb link- https://www.imdb.com/title/tt28654369/