चंडीगढ़, 6 अक्टूबर (The News Air)
दूसरे विवाह के समय महिला का पूर्व के पति से तलाक न होने के चलते विवाह अवैध है, यह दलील देते हुए गुजारा भत्ता आदेश खारिज करने की अपील पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने खारिज कर दी। हाईकोर्ट ने कहा कि भले ही विवाह न भी हुआ हो, लेकिन साथ में संबंध में रहना पीड़िता को गुजारा भत्ता देने का आधार है।
मोहाली निवासी रोहित चावला ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए फतेहाबाद फैमिली कोर्ट के 22 जुलाई, 2019 के आदेश को चुनौती दी थी। याची ने बताया कि फतेहाबाद की फैमिली कोर्ट ने घरेलू हिंसा के केस में अंतरिम गुजारा भत्ता 25000 रुपये तय किया था। याची ने कहा कि महिला के दूसरे विवाह के समय उसका पहले पति के साथ तलाक नहीं हुआ था। तलाक न होने के चलते उनका विवाह हिंदू विवाह अधिनियम के तहत वैध विवाह नहीं था। ऐसे में गुजारा भत्ता देने का आदेश जारी नहीं किया जा सकता है।
हाईकोर्ट ने कहा कि विवाह की वैधता को देखना ट्रायल कोर्ट का कार्य है, लेकिन यदि विवाह अवैध भी है तो भी महिला याची के साथ एक छत के नीचे रिश्ते में रही है। घरेलू हिंसा कानून के तहत पीड़ित महिला यदि सहमति संबंध में भी रहती है तो उस स्थिति में भी वह अंतरिम रूप से गुजारा भत्ता की हकदार है। हाईकोर्ट ने कहा कि यह कानून पीड़ित महिलाओं के हित के लिए बना हुआ है। इन टिप्पणियों के साथ ही हाईकोर्ट ने गुजारा भत्ता आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया।