नई दिल्ली, 1 अक्टूबर (The News Air)
हाल ही में यमन के रेगिस्तान में नरक के द्वार की खोज किए जाने का दावा किया गया था। यह वह जगह है जहां सांप रहते हैं। पत्थरों पर अजीबोगरीब कलाकृतियां बनाई गई हैं। यहां की तस्वीरें देखकर लोग दंग रह गए। लेकिन क्या यह चौंकाने वाली जगह है। शायद नहीं। ऐसी ही एक जगह को नरक की आग के नाम से जाना जाता है। नरक की आग कहानियों में ये शब्द खूब सुने होंगे। टीवी सीरियल्स में देखा होगा। लेकिन क्या वाकई नरक की आग धरती पर मौजूद है? इस प्रश्न का उत्तर हां है। धरती पर एक ऐसी जगह है जहां सालों से आग जल रही है। आग इतनी तेज है कि पास आने पर आवाज करती है। इसे कहते हैं नर्क की आग। लेकिन क्यों? आखिर ये आग सालों से कैसे जल रही है? इसके पीछे क्या राज है? क्या है नर्क की आग के पीछे का राज…?
नरक की आग शैतान की सांस। रहस्यमय आग। यह स्थान कई नामों से जाना जाता है। यह जगह तुर्कमेनिस्तान के काराकुम रेगिस्तान में है। सालों से चली आ रही यह आग और इसका जलना एक रहस्य है।
इसे डोर टू हेल के नाम से भी जाना जाता है। यह एक प्राकृतिक गैस है जो दरवांजा गांव में एक गुफा के पास है। हालांकि, इस बात का कोई रिकॉर्ड नहीं है कि मूल रूप से जलते हुए गड्ढे की खोज कैसे हुई।
कहा जाता है कि इन लपटों की खोज 1971 में हुई थी। जब तुर्कमेनिस्तान सोवियत शासन के अधीन था। एक सिद्धांत के अनुसार, भूवैज्ञानिकों ने तेल की ड्रिलिंग के दौरान प्राकृतिक गैस की एक जेब पर ड्रिल किया।
माना जाता है कि इस ड्रिल से मीथेन गैस का रिसाव हुआ था, जिसे उन्होंने फैलने से रोकने के लिए आग लगा दी थी और तब से जल रही है।
क्रेटर को 2013 में नेशनल ज्योग्राफिक चैनल श्रृंखला डाई ट्राइंग के एक एपिसोड में दिखाया गया था। कनाडा के खोजकर्ता जॉर्ज कोरोनिस 100 फुट गहरे आग के गड्ढे में उतरने वाले पहले व्यक्ति थे। उस समय उन्होंने कहा कि यह रेगिस्तान के बीच में ज्वालामुखी जैसा दिखता है।