चंडीगढ, 24 जून, (The News Air)
शिरोमणी अकाली दल ने आज कोटकपुरा गोलीकांड की जांच कर रही एसआईटी से कहा कि वह सरदार परकाश सिंह बादल की अगुवाई वाली तत्कालीन सरकार को बदनाम करने और अस्थिर करने की साजिश में कांग्रेस तथा आप की जांच की जानी चाहिए।
पार्टी की प्रेस कांफ्रेंस में वरिष्ठ अकाली नेता बिक्रम सिंह मजीठिया ने मांग की कि अकाली कार्यकाल में बेअदबी की साजिश के सभी संभावित लाभार्थियों की उनके पीछे छुपी घृणित भूमिका का पता लगाने तथा पर्दाफाश करने के लिए नार्को टेस्ट किया जाए। ‘ कांग्रेस के सभी प्रमुख नेताओं और आप से उनके गुप्त साथियों का नार्को टेस्ट किया जाना चाहिए ताकि पता चल सके कि उन्होने इसमें क्या भूमिका निभाई है, क्योंकि उनका उददेश्य न केवल उस समय की सरकार को अस्थिर करना, बल्कि सिख जनता की भावनाओं से खिलवाड़ करके सदियों पुराने विश्वास को तोड़ना चाहते हैं।
मजीठिया ने आज दोपहर पार्टी कार्यालय में वरिष्ठ उपाध्यक्ष डा.दलजीत सिंह चीमा के साथ पत्रकारों को संबोधित करत रहे थे। मजीठिया ने इस बात पर भी हैरानी व्यक्त की कि कांग्रेस आलाकमान ने विशेष जांच दल द्वारा चल रही जांच के समाप्त के लिए समय सीमा जारी करने के बारे कहा है। एसआईटी से किसके आदेशों का पालन करने की उम्मीद है- हाईकोर्ट यां कांग्रेस हाईकमान? वास्तव में पिछली सिट ने वास्तव में माननीय उच्च न्यायालय नही बल्कि चंडीगढ़ और दिल्ली के राजनीतिक आकाओं का पालन किया था, यह माननीय उच्च न्यायालय के आदेशों की पूरी तरह से अवहेलना है , कि एसआईटी कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के प्रति जबावदेह नही है। लेकिन कांग्रेस ने मुख्यमंत्री को महीने के अंदर एसआईटी की रिपोर्ट पूरी करने के आदेश दिए हैं। यह एक औपचारिकता है , जोकि पंजाब के लोगों को पहले से पता है कि इसका इस्तेमाल किया जा रहा है, जो वास्तव में सुखजिंदर रंधावा, नवजोत सिद्धू, सुनील जाखड़ जैसे राजनेताओं द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट पर मोहर लगाने के लिए किया गया है, साथ ही कुछ तथाकथित संगठन के प्रमुखों ने भी रिपोर्ट को मंजूर देने के लिए उन दिनों मुख्यमंत्री के आवास पर रात का डिनर किया था। हालांकि कुंवर प्रताप सिंह द्वारा सार्वजनिक तौर से पेश की गई थी।
अकाली नेताओं ने कहा कि कांग्रेस आलाकमान , उनकी स्टेट यूनिट और राज्य सरकार को यह विश्वास हो गया है कि सिर्फ सरदार परकाश सिंह बादल और सरदार सुखबीर सिंह बादल की अवैध गिरफ्तारियां ही उनकी साख बचा सकती हैं। ‘ लेकिन वे इस मामले में कानून की अवहेलना करके दिखाएं, और वे देखेंगे कि क्या होगा’।
मजीठिया और डा. चीमा ने कहा कि हाईकोर्ट ने कुंवर विजय प्रताप सिंह के खिलाफ हाईकोर्ट अभियोग किया था क्योंकि उन्होने ‘ पूरी प्रक्रिया का राजनीतिकरण’ किया था, अब कांग्रेस हाईकमान के आदेशों से स्पष्ट है कि अकाली और उनकी सरकार के खिलाफ जो साजिश शुरू हुई थी वह आज भी जारी है’। उन्होने कहा कि ‘ इस मामले में पीछे छिपे हुए व्यक्तियों का नार्को टेस्ट किया जाना बेहद महत्वपूर्ण है’।
अकाली नेताओं ने कहा कि नवजोत सिद्धू ने खुलकर स्वीकार किया था कि अमरिंदर ने उन्हे इस मामले को खींचने के बारे में बताया था ताकि यह चुनाव प्रचार का मुददा बने, तथा अंतिम छह महीने के कार्यकाल तक इसे जानबूझकर खींचा है।
अकाली नेताओं सरदार मजीठिया तथा डा. चीमा ने कहा कि ‘ आप के प्रमुख अरविंद केजरीवाल द्वारा प्रदान की गई ‘ राजनीतिक शरण’ भी अकालियों खासतौर पर सरदार परकाश सिंह बादल तथा सरदार सुखबीर सिंह बादल के खिलाफ बेअबदी की रिपोर्ट के हिस्से के रूप में थी।
‘ केजरीवाल का इस मामले की साजिश को उजागर करने के लिए नार्को टेस्ट किया जाना चाहिए’।
बिक्रम सिंह मजीठिया ने कहा कि एसआईटी ने पूर्व डायरेक्टर प्रासीक्यूशन विजय सिंगला के साथ विजिलेंस के संयुक्त निदेशक जतिदंरबीर सिंह की सेवाए लेकर पूर्व मुख्यमंत्री सरदार परकाश सिंह बादल से सवाल कर खुद को संदेह के घेरे में लाकर खड़ा कर दिया है। उन्होने कहा कि सेक्शन 156 सीआरपीसी के तहत जांच करने की जिम्मेदारी पुलिस अधिकारी की थी, और प्रासीक्यूशन की भूमिका तभी शुरू होती है, जब किसी मामले में चालान पेश किया जाता है । उन्होने कहा कि सर्तकता विभाग इस मामले में हस्तक्षेप कर रहा है, जिससे संकेत मिलता है कि सतर्कता डायरेक्टर बीके उप्पल और सलाहकार बीआईएस चहल मामले इस जांच का अहम भाग हैं।
इस बीच अकाली नेताओं ने कांग्रेसी नेताओं की ‘सर्कस’ के बारे में निंदा करते हुए कहा कि उन्हे अचानक पता लगा है कि उनकी सरकार ने कोई वादा पूरा नही किया। अचानक अब कांग्रेस में सब कुछ गलत है, तथा गृहयुद्ध छिड़ गया है। कांग्रेसी नेता एक दूसरे पर पंजाब के लोगों को धोखा देने के लिए आरोप लगा रहे हैं। विंडबना यह है कि उनमें से हर कोई दूसरे के बारे में सच बोल रहा है।
मजीठिया और डा. चीमा ने इस बात पर जोर डालते हुए कहा कि पंजाब एक सरकार बिना सरकार के चल रहा है , यहां सरकार नाम की कोई चीज नही है।उन्होने कहा कि स्थिति लगभग पिछले दो महीनों में बदतर हुई है, लेकिन पिछले साढ़े चार साल के दौरान यह कभी बेहतर नही हुई है।
अकाली नेताओं ने आप का मजाक उड़ाते हुए कहा कि केजरीवाल को पद के लिए सिख चेहरा देेने के लिए गैर पंजाबी और गैर सिख पर निर्भर रहना पड़ता है।
मजीठिया तथा डा. चीमा ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि किस तरह सरकार ने डाक्टरों के नान प्रैक्टिसिंग भत्ते सहित उनके भत्तों में कटौती करके छठे वेतन आयोग में कर्मचारियों के साथ भेदभाव किया था। उन्होने कहा कि जूनियर कर्मचारियों का हाउस रेस्ट भत्ता भी स्माप्त कर दिया गया है।
मजीठिया ने यह भी स्पष्ट किया कि कांग्रेसी विधायक फतेहजंग बाजवा के बेटे को नौकरी सिर्फ परोपकारी मकसद से नही दी जा रही है। ‘ हमने उसे अवैध नौकरी छोड़ने के लिए मजबूर किया है। उन्होने कहा कि हम पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के पोते को भी आने वाले दिनो में डीएसपी का पद छोड़ने यां राज्य में सरकार बनने के बाद उसे पद छोडने पर मजबूर करेंगे यां बर्खास्त करेंगे।