बाजार में जारी भारी उतार-चढ़ाव निवेशकों को डरा रहा है। ऐसे में एफआईआई भारतीय इक्विटीज में अपना एक्सपोजर घटा रहे हैं। बढ़ता जियोपॉलिटिकल तनाव और ब्याज दरों में बढ़ोतरी कुछ ऐसी वजहें रही हैं जिनके कारण विदेशी निवेशक भारतीय बाजारों से मुंह मोड़ते नजर आए हैं। जबकि इसी बीच डीआईआई ने भारतीय इकोनॉमी और बाजार पर विश्वास बनाए रखते हुए भारतीय इक्विटीज में जोरदार खरीदारी की है।
भारतीय म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री ने 37.5 लाख करोड़ रुपये की खरीदारी की है। 31 मार्च 2022 तक देश में 5.28 करोड़ रुपये की एसआईपी चालू थी। मार्च 2022 में ही म्यूचुअल फंडों ने भारतीय बाजार में 12000 करोड़ रुपये की खरीदारी की। यह देश में म्यूचुअल फंडों की बढ़ते लोकप्रियता का संकेत है लेकिन यह जानना अब अहम हो जाता है कि फंड मैनेजरों की इस समय बाजार पर क्या राय है? क्या वे वेट एंड वॉच के मोड में है और खरीदारी के लिए किसी करेक्शन का इंतजार कर रहें है या वे इस समय खरीदारी के मूड में है और अगर खरीदारी कर रहे हैं तो कौन से सेक्टर उनके पसंदीदा हैं जो 2022 के विनर साबित हो सकते हैं। इस पर मनीकंट्रोल ने कुछ लीडिंग फंड मैनेजरों के बीच एक पोल करवाया है। आइए जानते हैं इस पोल से क्या निकलकर आया है।
इस पोल से पहली बात यह निकलकर आई है कि बाजार के भारी उतार-चढ़ाव के बावजूद डायवर्सिफाइड इक्विटी फंड कैश होल्डिंग ज्यादा रखने की रणनीति पर काम नहीं कर रहे हैं। इस पोल में शामिल 75 फीसदी से ज्यादा म्यूचुअल फंड हाउसों ने बताया है कि उनके डायवर्सिफाइड इक्विटी पोर्टफोलियो में 5 फीसदी से कम कैश होल्डिंग है। एक छोटे साइज के फंड मैनेजर ने कहा कि हम कैश कॉल नहीं लेते।
इस पोल से यह भी निकलकर आया है कि 25 फीसदी म्यूचुअल फंड हाउस cash और cash equivalents में 5 फीसदी से ज्यादा की एलोकेशन रखते हैं। कुछ मामलों में यह एलोकेशन 8 फीसदी तक है लेकिन किसी भी म्यूचुअल फंड हाउस ने एग्रेसिव कैश कॉल नहीं ले रखी है।
कैलेडर ईयर 2022 के लिए पसंदीदा सेक्टर
इस पोल से यह निकलकर आया है कि फंड मैनेजरों का फोकस सिक्लिकल सेक्टरों पर है। इनमें भी फाइनेंशियल और खासकर बैंकिंग सेक्टर फंड मैनेजरों के रडार पर हैं। पोल में शामिल 50 फंड मैनेजरों ने बैंकिंग सेक्टर पर निवेश की राय दी जबकि 33 फीसदी फंड मैनेजरों की राय है कि इंडस्ट्रियल गुड्स कंपनियों के शेयर ब्रॉडर मार्केट की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करते नजर आ सकते हैं । इसके अलावा auto, power और capital goods जैसे सेक्टर पर भी फंड मैनेजरों की नजर बनी हुई है। इन फंड मैनेजरों का मानना है कि इकोनॉमी में रिकवरी से इन सेक्टरों को फायदा मिलता नजर आ रहा है। वो आगे आउटपरफॉर्मर बनकर उभरेंगे।
आईटी सेक्टर पर क्या है फंड मैनेजरों की राय
कोविड -19 महामारी के बाद लागू लॉकडाउन के दौर में आईटी सेक्टर के स्टॉक्स को बड़ा फायदा होता नजर आया था। इस दौरान पूरी दूनिया में डिजिटलाइजेशन और नई टेक्नोलॉजी को अपनाने की धूम मची थी। ऐसे में आईटी सेक्टर पिछले 3-5 साल की अवधि में सबसे अच्छा प्रदर्शन करते नजर आए हैं। इस अवधि में फंडों ने 30 फीसदी तक का रिटर्न दिया है। लेकिन कोरोना के मामलों में गिरावट आने के साथ ही अब फंड मैनेजर आईटी सेक्टर को लेकर सर्तक नजर आ रहे हैं। 10 में से करीब 6 (58 फीसदी) फंड मैनेजर आईटी सेक्टर को लेकर बियरिश है जबकि 10 में से 4 फंड मैनेजर ऐसे हैं जिनका व्यू इस सेक्टर को लेकर न्यूट्रल से पॉजिटीव है।
क्या हो निवेश रणनीति
इस पर बात करते हुए बाजार जानकारों का कहना है कि निवेशकों को अपने वित्तीय लक्ष्यों और एसेट अलोकेशन को लेकर सतर्क रहने की जरुरत है। अपने एसेट अलोकेशन के हिसाब से ही इक्विटी म्यूचुअल फंडों में निवेश करें। पिछले रिटर्न के आधार पर निवेश करना सही तरीका नहीं होगा। ऐसे समय में जब ब्याज दरों में बढ़ोतरी की पूरी संभावना है तब यह रणनीति कतई ही सही नहीं होगी। अपने एसआईपी को जारी रखना सबसे बेहतर रणनीति होगी। जब आपके पास अतिरिक्त पैसा हो तब आप उसमें अपना एकमुश्त निवेश बढ़ा सकते हैं। अगर आप इक्विटी में अंडर इन्वेस्टेड हैं तो एसआईपी के जरिए अच्छी क्वालिटी के किसी म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं । इसके अलावा आप चाहें तो MC30 द्वारा सुझाए कुछ स्कीमों पर भी नजर डाल सकते हैं।
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