चंडीगढ़, 2 दिसंबर (ऱाज कुमार) भ्रूण हत्या को रोकने के प्रयासों में और तेज़ी लाने के मद्देनज़र पंजाब के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. बलबीर सिंह ने अगले वर्ष तक राज्य के लिंग अनुपात में मिसाली सुधार लाने हेतु राष्ट्रीय औसत को पार करने का महत्वपूर्ण लक्ष्य तय किया है।
स्वास्थ्य मंत्री ने चंडीगढ़ में प्री-कंसेप्शन और प्री-नेटल डायग्नोस्टिक टेक्निक्स (लिंग जांच पर रोक) अधिनियम (पीसी-पीएनडीटी) पर आयोजित राज्य स्तरीय क्षमता निर्माण वर्कशॉप की अध्यक्षता करते हुए, सभी सिविल सर्जनों, स्वास्थ्य कर्मियों से लेकर आशा वर्करों तक को गर्भावस्था के दौरान निरंतर निगरानी रखने और लिंग निर्धारण से जुड़े अनैतिक कार्यों को रोकने के लिए पूर्ण सतर्कता बरतने की अपील की। उन्होंने स्वास्थ्य अधिकारियों को हर गर्भवती महिला की सक्रिय ट्रैकिंग सुनिश्चित करने को कहा। मंत्री ने कहा कि गर्भ में एक बच्ची को मार देने से बड़ा कोई अपराध नहीं है।
पीसी-पीएनडीटी अधिनियम, जो 1994 में लागू किया गया था और 2003 में लिंग निर्धारण के लिए चिकित्सा तकनीक के दुरुपयोग को रोकने हेतु मजबूत किया गया, की महत्ता पर जोर देते हुए मंत्री ने कहा कि कानून तभी प्रभावी होता है जब समाज इसके पालन में पूरी ईमानदारी दिखाए। उन्होंने याद दिलाया कि किसी भी व्यक्ति को अजन्मे बच्चे का लिंग जानने की अनुमति नहीं है और न ही किसी डॉक्टर या क्लिनिक को भ्रूण से संबंधित कोई जानकारी देने की इजाज़त है। ऐसे किसी भी कार्य को गंभीर अपराध माना जाता है, जिसमें कड़ी सज़ाएं, जैसे कारावास और लाइसेंस रद्द करना, शामिल हैं।
डॉ. बलबीर सिंह ने चिंता व्यक्त की कि पिछले दशकों में पंजाब में लड़कों और लड़कियों की संख्या में बड़ा असंतुलन देखा गया है, जो बेहद चिंताजनक है। सामाजिक भेदभाव, संकुचित मानसिकता और कन्या भ्रूण हत्या जैसे अमानवीय कार्य इसके प्रमुख कारण हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व में पंजाब सरकार कानून के सख्त पालन, निगरानी, छापेमारी, आधुनिक पंजीकरण प्रणालियों और निरंतर जागरूकता अभियानों के कारण अब स्थिति में सुधार दिखाई दे रहा है। सिविल पंजीकरण प्रणाली का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि पंजाब में जन्म के समय लिंग अनुपात वर्ष 2021-22 में 1000 पुरुषों पर 906 महिलाएं था, जो 2023 में बढ़कर 922 हुआ और 2024 में 1000/921 रहा। 16 अंकों की यह वृद्धि राज्य के संवेदनशील और सामूहिक प्रयासों को दर्शाती है।
मंत्री ने बताया कि वर्तमान में पंजाब में 2,092 पंजीकृत अल्ट्रासाउंड केंद्र हैं, जिनका वर्ष 2025-26 के दौरान 2,703 बार निरीक्षण किया गया और कानून का उल्लंघन करने वाले 13 केंद्रों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए। अधिक सतर्कता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए जिला सलाहकार समितियों की 63 बैठकें आयोजित की गईं।
उन्होंने दोहराया कि पीसी-पीएनडीटी अधिनियम का उल्लंघन करने वाले अल्ट्रासाउंड केंद्रों को लाइसेंस रद्द होने से लेकर कानूनी दंड तक की कड़ी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि आम आदमी क्लीनिक जैसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर अब गर्भवती माताओं की जांच संबंधी सुविधाएं आसानी से उपलब्ध हैं।
सामाजिक बदलाव का आह्वान करते हुए, डॉ. बलबीर सिंह ने कहा कि बेटी के जन्म का उत्सव मनाया जाना चाहिए और उसकी शिक्षा, प्रगति और सुरक्षा को सामूहिक व नैतिक जिम्मेदारी समझा जाना चाहिए। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे लड़कियों की उपलब्धियों को रोल मॉडल के रूप में प्रस्तुत करें ताकि सामाजिक बदलाव को और मजबूत किया जा सके। उन्होंने कहा, “लड़की सिर्फ एक लिंग नहीं है, वह परिवार की शान, समाज की आन और मानवता का आधार है।” उन्होंने यह भी कहा कि गर्भ में बेटी को खत्म करने की सोच केवल एक परिवार ही नहीं बल्कि पूरे समाज के संतुलन को बिगाड़ती है।
उन्होंने कहा कि बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ और पीसी-पीएनडीटी एक्ट जैसी पहलें सामाजिक रूप से प्रगतिशील भविष्य की रीढ़ हैं, और आज की वर्कशॉप का उद्देश्य हमारी सोच में सकारात्मक परिवर्तन लाना है।
डॉ. बलबीर सिंह ने उन ज़िलों को सम्मानित किया जिनके लिंग अनुपात में सुधार आया है और वर्कशॉप में मौजूद सभी प्रतिभागियों से यह सामूहिक संकल्प लेने को कहा कि वे न तो किसी अजन्मे बच्चे का लिंग जांचेंगे और न किसी को जांचने देंगे तथा किसी भी रूप में लड़के और लड़की में भेदभाव नहीं करेंगे और जागरूकता फैलाएंगे ताकि पंजाब से भ्रूण हत्या को पूरी तरह समाप्त करने के लिए एक जन लहर बनायी जा सके।
इस अवसर पर पीसी-पीएनडीटी, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के निदेशक डॉ. इंद्रनील दास; पीसी-पीएनडीटी एडवोकेट इफ्त हामिद और यूएनएफपीए की प्रोग्राम मैनेजमेंट विशेषज्ञ अनुजा गुलाटी ने एक्ट के विभिन्न पहलुओं पर प्रशिक्षण प्रदान किया।
वर्कशॉप में विशेष सचिव-कम-एमडी (राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन) घनश्याम थोरी; निदेशक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण डॉ. हितिंदर कौर; डिप्टी डायरेक्टर डॉ. नवजोत कौर; सहायक निदेशक डॉ. हरप्रीत कौर और प्रोग्राम अधिकारी डॉ. आरती भी उपस्थित थीं।






