Bihar Election Phase 1 : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण की 121 सीटों पर कल (6 नवंबर) वोटिंग होनी है। एनडीए, महागठबंधन और जनसुराज के बीच तगड़ी फाइट है। भले ही नतीजे 14 नवंबर को आएंगे, लेकिन पहले चरण की वोटिंग से काफी हद तक यह साफ हो जाएगा कि हवा किस पार्टी के पक्ष में चल रही है।
चुनावों में अक्सर वोटिंग के दिन ही लहर का अंदाजा लग जाता है, जब किसी खास पार्टी के समर्थक झुंड में निकलते हैं या बूथों पर भीड़ दिखती है। कल की वोटिंग बिहार चुनाव से जुड़े 5 बड़े सवालों का जवाब दे देगी।
1. क्या हिंदुओं का ध्रुवीकरण हुआ?
बीजेपी ने इस बार दिल्ली या हरियाणा के विपरीत, बिहार में कट्टर हिंदुत्व का कार्ड खेला है। घुसपैठियों को बाहर करने, सीतामढ़ी में भव्य जानकी मंदिर बनाने और तेजस्वी के वक्फ बोर्ड वाले बयान को मुद्दा बनाने का मकसद हिंदू वोटों को एकजुट करना रहा है।
हालांकि, नीतीश कुमार का ‘सुशासन’ नैरेटिव इस ध्रुवीकरण पर भारी पड़ता दिख रहा है। कल की वोटिंग से पता चलेगा कि वोट ‘धर्म’ पर पड़ा या ‘विकास’ पर।
2. ओवैसी फैक्टर ने कितना काम किया?
असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM 2020 में 5 सीटें जीतकर सीमांचल में महागठबंधन के लिए खतरा बन गई थी। इस बार भी वह 10-15 सीटों पर RJD के मुस्लिम-यादव (M-Y) समीकरण को कमजोर करने की हैसियत रखते हैं। पहले चरण में 36 मुस्लिम बहुल सीटें हैं। कल यह साफ हो जाएगा कि ओवैसी फैक्टर इस बार भी महागठबंधन का खेल बिगाड़ेगा या मुस्लिम मतदाता ‘शांति और विकास’ के लिए एकजुट रहेंगे।
3. क्या नीतीश फैक्टर अब भी चल रहा है?
नीतीश कुमार का ‘सुशासन बाबू’ का फैक्टर पिछले 3 दशकों से बिहार की राजनीति का केंद्र रहा है। 20 साल की सत्ता के बाद भी महिलाओं और कल्याणकारी योजनाओं (बिजली, पेंशन) के दम पर उनका कोर वोटबैंक मजबूत है। हालांकि, उनके स्वास्थ्य को लेकर फैली अफवाहों से उनकी पकड़ कमजोर होने की बातें भी हो रही हैं। EBC बहुल इलाकों में कल का उत्साह बताएगा कि नीतीश का जादू अभी भी चल रहा है या नहीं।
4. चिराग पासवान कितना वोट ट्रांसफर करा पाए?
2020 में एनडीए का खेल बिगाड़ने वाले चिराग पासवान इस बार एनडीए के ‘जूनियर पार्टनर’ हैं। पहले चरण में उनकी पार्टी 13 सीटों पर लड़ रही है, लेकिन उनकी असली परीक्षा दलित वोटों (16%) को एनडीए के सहयोगी दलों (JDU-BJP) को ट्रांसफर कराने की है। चिराग की पार्टी को वोट देना अलग बात है और सहयोगी को वोट दिलाना बिल्कुल अलग।
5. क्या बिहार में एंटी इंकंबेंसी है?
बिहार में 20 साल की नीतीश सरकार के खिलाफ एंटी इंकंबेंसी (सत्ता विरोधी लहर) है भी और नहीं भी। एक बड़ा वर्ग आज भी लालू यादव के ‘जंगलराज’ को याद करके डरा हुआ है। वहीं, कुछ लोग नीतीश के काम को पसंद करते हुए भी उनकी उम्र को देखते हुए परिवर्तन चाहते हैं। कल अगर जेडीयू के तंबुओं में भीड़ दिखती है, तो यह साफ हो जाएगा कि नीतीश का जादू अभी भी बरकरार है।
मुख्य बातें (Key Points):
- बिहार चुनाव के पहले चरण की 121 सीटों पर 6 नवंबर को मतदान होगा।
- कल की वोटिंग से 5 बड़े सवालों के जवाब मिलेंगे- हिंदू ध्रुवीकरण, ओवैसी फैक्टर, नीतीश का जादू, चिराग का वोट ट्रांसफर और एंटी इंकंबेंसी।
- 2020 में इन 121 सीटों पर महागठबंधन को 61 और एनडीए को 59 सीटें मिली थीं।
- इस बार ओवैसी का असर कम होने का अनुमान है, जबकि चिराग पासवान एनडीए के लिए ‘एक्स फैक्टर’ साबित हो सकते हैं।






