PM Modi Bihar Rally : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बिहार के मुजफ्फरपुर में गमछा लहराने का एक 30 सेकंड का वीडियो राजनीतिक चर्चा का केंद्र बन गया है। शुक्रवार को ‘मोदी-मोदी’ के नारों के बीच, पीएम के इस इशारे को बिहार के किसानों और मजदूरों को साधने के एक बड़े राजनीतिक दांव के तौर पर देखा जा रहा है।
मुजफ्फरपुर में गमछा लहराकर किया अभिवादन शुक्रवार को जैसे ही प्रधानमंत्री का हेलिकॉप्टर मुजफ्फरपुर के मैदान में उतरा, हजारों समर्थकों ने उनका जोरदार स्वागत किया। गर्म और उमस भरे मौसम के बावजूद भीड़ का जोश देखकर प्रधानमंत्री ने मुस्कुराते हुए अपना मधुबनी प्रिंट वाला गमछा हवा में लहराया और हाथ जोड़कर जनता का अभिवादन किया।
वीडियो में साफ दिख रहा है कि पीएम मोदी करीब 30 सेकंड तक गमछा लहराते हुए भीड़ की ओर देखते रहे। इसके बाद वे अपनी अगली रैली, जो छपरा में होनी थी, के लिए रवाना हो गए।
पहले भी दिखा चुके हैं ऐसा अंदाज यह पहली बार नहीं है जब प्रधानमंत्री मोदी ने बिहार में इस तरह का कोई भावनात्मक संकेत दिया हो। इससे पहले अगस्त महीने में भी औंता-सिमरिया पुल के उद्घाटन के दौरान उन्होंने इसी तरह गमछा लहराकर लोगों का अभिवादन किया था। पीएम मोदी अक्सर अपने पहनावे, जैसे स्वतंत्रता दिवस पर साफा या विशेष हेडगियर के जरिए, लोक संस्कृति से अपना जुड़ाव दिखाते रहे हैं।
क्या है गमछे का राजनीतिक मतलब? प्रधानमंत्री मोदी का यह छोटा सा इशारा दरअसल एक बड़ा राजनीतिक संदेश भी देता है। गमछा भारत के कई राज्यों, विशेषकर बिहार और बंगाल में, किसानों और मजदूर वर्ग का प्रतीक माना जाता है। यह उन मेहनतकश लोगों की पहचान है, जो या तो खेतों में काम करते हैं या तपती धूप में रोजगार के लिए मेहनत करते हैं।
गमछे का उपयोग पारंपरिक रूप से पसीना पोंछने, सिर पर बांधने या धूप से बचाव के लिए किया जाता है। यही कारण है कि यह अब राजनीतिक रैलियों में एक प्रतीकात्मक वस्त्र बन चुका है।
किसानों-मजदूरों को सीधा संदेश जब पीएम मोदी इस गमछे को हवा में लहराते हैं, तो वह सिर्फ भीड़ का अभिवादन नहीं करते, बल्कि यह संदेश भी देते हैं कि वे ‘जनता के आदमी’ हैं और किसानों-मजदूरों के साथ मजबूती से खड़े हैं।
बिहार का चुनावी समीकरण और यह दांव इस इशारे को बिहार के चुनावी समीकरण से जोड़कर भी देखा जा रहा है। ताजा आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, बिहार की कार्यशील आबादी का 53.2 प्रतिशत हिस्सा सीधे तौर पर कृषि क्षेत्र से जुड़ा है। राज्य में भूमिहीन मजदूरों और प्रवासी श्रमिकों की भी बहुत बड़ी संख्या है। यही वर्ग चुनावी नतीजों को निर्णायक रूप से प्रभावित करता है।
ऐसे में, अगर एनडीए को तेजस्वी यादव और राहुल गांधी के गठबंधन के सामने अपनी जमीन मजबूत रखनी है, तो उसे गांवों और किसानों तक अपनी पहुंच बनानी ही होगी। इसलिए, प्रधानमंत्री का यह ‘गमछा लहराना’ सिर्फ एक इशारा नहीं, बल्कि एक गहरी रणनीतिक राजनीतिक चाल माना जा रहा है।
मुख्य बातें (Key Points):
- पीएम मोदी ने मुजफ्फरपुर रैली में मधुबनी प्रिंट वाला गमछा लहराकर भीड़ का अभिवादन किया।
- 30 सेकंड का यह वीडियो बिहार में राजनीतिक चर्चा का विषय बन गया है।
- गमछा बिहार में किसानों और मजदूर वर्ग का प्रतीक माना जाता है।
- इस कदम को पीएम मोदी का किसानों और ग्रामीण वोट बैंक से जुड़ने का एक रणनीतिक प्रयास माना जा रहा है।






