नई दिल्ली: देश के कारोबारी इतिहास का सबसे बड़ा IPO आज ही आ रहा है। कंपनी है Paytm और IPO करीब 18,300 करोड़ रुपए का। वही Paytm जिसके QR कोड का बोर्ड हर काउंटर पर या उसके पास की दीवार पर चिपका दिखता है। चाहे वो गांव हो या शहर। चाय की टपरी हो या सुपरमार्केट।
स्टॉक मार्केट में लिस्ट होने के बाद अब आम लोग भी Paytm का शेयर खरीद सकते हैं। विजय शेखर शर्मा ने 11 साल पहले कंपनी की शुरुआत की थी।
इन दिनों बाजार में विजय शेखर शर्मा की कंपनी पेटीएम (Paytm) सुर्खियों में है. वजह है कंपनी देश का सबसे बड़ा IPO लाने जा रही है. कंपनी इस IPO से 17-18 हजार करोड़ रुपए जुटा सकती है. अभी तक देश का सबसे बड़ा IPO कोल इंडिया के नाम रहा है. साल 2010 में कोल इंडिया ने 15,200 करोड़ रुपए जुटाया था. बता दें कि पेटीएम अपने IPO से पहले कई अहम बदलाव किए जा रहे हैं. कंपनी ने बोर्ड से चीन के अधिकारियों को हटा दिया है. पिछले हफ्ते कंपनी ने 5.1 लाख शेयरों को 80 कर्मचारियों को दे दिय. कंपनी का वैल्यूएशन 1.85 लाख करोड़ रुपए के करीब माना जा रहा है. पेटीएम पहले चरण में कम पैसा जुटा सकती है और बाद में बाकी पैसा जुटा सकती है. बता दें कि पेटीएम देश का सबसे बड़ा डिजिटल लेन-देन का प्लेटफॉर्म है. आइए जानते हैं इसकी सलफता की कहानी…
पेटीएम के फाउंडर विजय शेयर शर्मा यूपी से हैं..
पेमेंट कंपनी पेटीएम के सीईओ और फाउंडर विजय शेखर शर्मा आज करोड़ों-अरबों का बिजनेस कर रहे हैं. विजय शेखर शर्मा का जन्म उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में एक मिडिल क्लास फैमिली में हुआ था. इनकी मां एक हाउसवाइफ और पिता एक स्कूल टीचर थे. विजय शेखर शर्मका 12वीं तक हिंदी मीडियम से पढ़ाई की. बाद में ग्रेजुएशन के लिए वो दिल्ली चले गए जहां उन्होंने कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से इलेक्ट्रॉनिक्स एवं कम्युनिकेशन की पढ़ाई की.
शुरू से ही हैं मेहनती
विजय शेखर शर्मा की हिंदी मीडियम से पढ़ाई करने के कारण इंग्लिश काफी कमजोर थी, जिसकी वजह से कॉलेज के दिनों में इन्हें बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ा. इस बीच उन्हें कई परेशानियों को सामना करना पड़ा, बावजूद उन्होंने ठान लिया था कि अब इंग्लिश सीख कर ही रहेंगे. अपनी इसी इच्छाशक्ति के दम पर उन्होंने जल्द ही इंग्लिश पर अपनी पकड़ बना ली. साल 1997 में कॉलेज की पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने एक वेबसाइट Indiasite.net की स्थापना की थी और दो साल में ही इसे कई लाख रुपए में बेच दिया. उनके एंटरप्रेन्योरशिप सफर की शुरुआत यहीं से हुई. इसके बाद उन्होंने साल 2000 में one97 कम्युनिकेशन्स की स्थापना की जो न्यूज, क्रिकेट स्कोर, रिंगटोन, जोक्स और एग्जाम रिजल्ट जैसे मोबाइल कंटेन्ट मुहैया करता था. यह पेटीएम (Paytm) की पैरेंट कंपनी है. इस कंपनी की शुरुआत साउथ दिल्ली के एक छोटे से किराए के कमरे से की गई.
दिल्ली के मार्केट से मिला आइडिया
विजय शेखर शर्मा ने इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में बताया कि ‘जब मैं दिल्ली में रहता था, तब दिल्ली के संडे बाजारों में घूमा करता था और वहां से फॉर्च्यून और फोर्ब्स जैसी मैगजीन की पुरानी कॉपियां खरीदा करता था. मैग्जीन से ही अमेरिका के सिलिकॉन वैली में एक गैराज से शुरू होने वाली कंपनी के बारे में पता चला.’ इसके बाद वो अमेरिका की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करने गए.वहां उन्हें पता चला कि भारत में स्टार्टअप के लिए कोई सपोर्ट नहीं था.वापस आकर उन्होंने अपने बचत के पैसों से शुरुआत की. शर्मा बताते हैं, मुझे कैश के लिए अपने दोस्तों और परिवार के लोगों से मदद लेनी पड़ी. कुछ दिन में वह पैसा भी खत्म हो गया. अंत में 24% ब्याज पर 8 लाख रुपए का लोन मिला.’ विजय शेखर बताते हैं, एक दिन मुझे एक सज्जन मिले और उन्होंने मुझसे कहा कि आप मेरी घाटे वाली तकनीक कंपनी को लाभ में कर दें तो मैं आपकी कंपनी में पैसे लगा सकता हूं. वे कहते हैं, मैंने उनके कारोबार को मुनाफे में ला दिया और उन्होंने मेरी कंपनी की इक्विटी खरीद ली.इससे मैंने अपना लोन चुका दिया और गाड़ी पटरी पर आ गई.’
इस तरह शुरू हुई पेटीएम
विजय ने 2001 में Paytm नाम की एक नई कंपनी की शुरुआत की. उस समय Paytm पर प्रीपेड रिचार्ज और डीटीएच रिचार्ज की सुविधा दी जाती थी. फिर विजय ने अपनी कंपनी को बढ़ाने का सोचा और बाकी चीजों पर ध्यान देना शुरू किया और फिर इलेक्ट्रिसिटी बिल और गैस का बिल देने की सुविधा की शुरुआत की.paytm ने धीरे-धीरे अन्य कंपनियों की तरह ऑनलाइन ट्रांजैक्शन की सुविधाएं शुरू कर दी. कंपनी को 2016 में नोटबंदी के बाद बड़ा फायदा हुआ. इसके बाद सरकार के डिजिटल इंडिया से पेटीएम को काफी बल मिला.