46 सालों के बाद खोला गया जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार, की गईं विशेष तैयारियां

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पुरी, 14 जुलाई (The News Air): ओडिशा के पुरी में मौजूद जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार को आज खोल दिया गया है। राज्य सरकार के द्वारा किए गए तमाम प्रयासों के बाद आज रत्न भंडार को खोला गया। वहीं बता दें कि रत्न भंडार के दोबारा खुलने से पहले श्री जगन्नाथ मंदिर में विशेष बक्से लाए गए। रत्न भंडार खुलने से पहले मंदिर और आसपास के इलाकों में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। इसके साथ ही तमाम तरह की तैयारियां की गई हैं।

निरीक्षण समित के अध्यक्ष ने दी जानकारी

इसे लेकर निरीक्षण समिति के अध्यक्ष न्यायमूर्ति बिश्वनाथ रथ ने कहा, “जैसा कि तय किया गया था, और जैसा कि सभी को पता था, सरकार पहले ही तीन भागों में आवश्यक एसओपी लेकर आ चुकी है। एक रत्न भंडार खोलने के लिए, फिर आभूषणों और कीमती सामानों को अपने कब्जे में लेने के लिए।” दोनों ‘भंडारों’ में गर्भ गृह के अंदर पूर्व-आवंटित कमरों के लिए आज हमने एक बैठक बुलाई जिसमें हमने उद्घाटन और आभूषणों की देखभाल के साथ आगे बढ़ने का फैसला किया। बैठक में हुई चर्चा के अनुसार और ‘पुरोहितों’ और ‘मुक्ति मंडप’ के सुझावों के अनुसार, रत्न भंडार खोलने का सही समय दोपहर 1:28 बजे है। यह प्रक्रिया वीडियो रिकॉर्डिंग के दो सेटों के साथ की जाएगी और दो प्रमाणीकरण होंगे। यह एक चुनौती होगी क्योंकि 1985 में इसके आखिरी बार खुलने के बाद से हमें अंदर की स्थिति का पता नहीं है।”

सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद

पुरी के पुलिस अधीक्षक पिनाक मिश्रा ने कहा, “हमने सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा के उचित प्रबंध किए हैं। सभी महत्वपूर्ण स्थानों पर QRT की तैनाती की गई है। इसके अलावा, हमने आकस्मिक व्यवस्था भी की है और सभी योजनाएं तैयार हैं। मंदिर में होने वाले दैनिक अनुष्ठान हमेशा की तरह होंगे। केवल पहचाने गए सेवकों को ही मंदिर के अंदर जाने की अनुमति दी जाएगी, जिनकी आज ड्यूटी है।”

सीएमओ ने एक्स पर पोस्ट कर दी जानकारी

ओडिशा सीएमओ ने भी रत्न भंडार खोले जाने की जानकारी दी है। सीएमओ की तरफ से जारी एक पत्र में लिखा गया, ‘जय जगन्नाथ, हे प्रभो! आप लयबद्ध हैं। तेरी चाह से सारा संसार त्रस्त है। आप रूढ़िवादी राष्ट्र की धड़कन हैं। ऑर्डेयन जाति की अस्मिता और स्वविमान का सर्वोत्तम परिचय। आपकी इच्छानुसार आज ओडोनिया समुदाय ने अपनी अस्मिता पहचान को लेकर आगे बढ़ने का प्रयास शुरू कर दिया है। आपकी इच्छा से सबसे पहले मंदिर के चारों दरवाजे खोले गए। आज आपकी वसीयत के 46 वर्ष बाद वह रत्न एक महान उद्देश्य से खोला गया। मेरा दृढ़ विश्वास है कि यह महान कार्य सफल होगा। आपके आशीर्वाद से, सभी रूढ़िवादी जाति, वर्ण, वर्ण, रंग और सर्वोपरि राजनीति के मतभेदों को भूलकर आध्यात्मिक और भौतिक जगत में ओडिशा की एक नई पहचान बनाने के लिए आगे बढ़ें, ऐसी मेरी प्रार्थना है।’

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