स्टॉक मार्केट के उतार-चढ़ाव ने इनवेस्टर्स को कनफ्यूज कर दिया है। कुछ को लगता है कि यह पैसा लगाने का सही वक्त है। कुछ इनवेस्टर्स आगे और गिरावट के डर से पैसा निकालने के बारे में सोच रहे हैं। हां, यह सही है कि पिछले कुछ महीनों में स्टॉक मार्केट ने इनवेस्टर्स को निराश किया है। पिछले दो महीने में Sensex और Nifty 9 फीसदी से ज्यादा गिर चुके हैं। जनवरी से देखें तो दोनों 6-6 फीसदी फिसले हैं।
Edelweiss Mutual Fund की MD & CEO राधिका गुप्ता (Radhika Gupta) का कहना है कि बाजार में गिरावट को देखते हुए इनवेस्टर्स खासकर नए निवेशकों को रिस्क लेने की अपनी कैपेसिटी को देखना चाहिए।
राधिका गुप्ता ने कहा कि इनवेस्टर्स को खुद से यह सवाल पूछना चाहिए कि क्या हालिया गिरावट ने उन्हें डराया है? अगर हां, तो उन्हें यह देखना चाहिए कि क्या उन्होंने शेयरों में ज्यादा निवेश किया है? उन्होंने कहा कि करेक्शन रिस्क लेने की अपनी कैपेसिटी को समझने का सही मौका होता है। अगर आप रिस्क ले सकते हैं तो आपको अपना पोर्टफोलियो बहुत सिंपल रखना चाहिए।
गुप्ता ने कहा कि आपके पोर्टफोलियो में दो-तीन कैटेगरी के इक्विटी फंड हो सकते हैं। दो कैटेगरी के डेट फंड हो सकते हैं। आपके पोर्टफोलियो में इनकी हिस्सेदारी 80 फीसदी होनी चाहिए। सैटेलाइट का हिस्सा छोटा होना चाहिए। इसमें कुछ थीम-आधारित फंड हो सकते हैं।
इक्वटी में उन्होंने कुछ मल्टीकैप या लार्जकैप और मिडकैप कैटेगरी में इनवेस्ट करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि अगर आप कंजरवेटिव इनवेस्टर हैं तो आप हाइब्रिड फंड को अपने पोर्टफोलियो में शामिल कर सकते हैं। कंटिजेंसी फंड के लिए आप लिक्विड या आर्बिट्रॉज को सेलेक्ट कर सकते हैं।
इंटरनेशनल फंड में इनवेस्ट करने के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि अगर आपको इनवेस्टमेंट का अनुभव है तो आप 10-15 फीसदी एलोकेशन इंटरनेशनल फंड्स में कर सकते हैं। इंटरनेशनल इनवेस्टमेंट आपके कुल एलोकेशन का एक हिस्सा हो सकता है। आपके लिए फॉरेन कंपनियों के शेयरों में डायरेक्ट इनवेस्ट करना ठीक नहीं होगा। पोर्टफोलियो का कितना हिस्सा गोल्ड में होना चाहिए? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह 5 फीसदी या 10 फीसदी हो सकता है। हालांकि, यह गोल्ड खरीदने का सही समय नहीं है।