नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन पर मौजूद एक अध्ययन में यह आकलन किया गया कि सोशल मीडिया मेडिकल से संबंधित गलत सूचना के प्रसार में कैसे योगदान देता है, जिससे पता चला कि फर्जी मेडिकल समाचार वाले लिंक 6 साल की अवधि में 4,50,000 से अधिक बार शेयर किए गए थे. ये आर्टिकल 2020 में छापा गया था. एक तरफ जहां इंटरनेट पर मौजूद सेहत से जुड़ी जानकारी आपको एक हेल्दी जीवन जीने में मदद कर सकती है, वहीं इस प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध गलत खबरें आपके लिए बड़ा खतरा पैदा कर सकती हैं. इसलिए ये जरूरी हो जाता है कि आप नकली, भ्रामक और गलत जानकारी वाली मेडिकल सलाह से बचकर रहें. ये संभावित रूप से जरूरी जोखिम पैदा करती है. सर्जिकल ऑन्कोलॉजी, एम्स, नई दिल्ली के प्रोफेसर डॉक्टर सुनील कुमार ने कैंसर से जुड़ी मिथ्स पर विस्तार से बात की और बताया कि कैंसर से जुड़े मिथ्स की सच्चाई क्या है.
कैंसर से जुड़े कुछ मिथ्स और फैक्ट्स | Some Myths And Facts Related To Cancer
कैंसर का मतलब है मौत
माना जाता है कि कैंसर होने का मतलब है मौत, जबकि सच्चाई यह नहीं है. आज से कुछ साल पहले तक जब कैंसर के उपचार नहीं खोजा गया था तो यह बीमारी लाइलाज थी और मरने वालों की संख्या ज्यादा थी, लेकिन पिछले पचास सालों में कैंसर के उपचार के लिए दवाओं और तकनीक में काफी बदलाव आया है. अगर बीमारी का पता जल्दी लग जाता है तो मरीज पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं और सामान्य जीवन जी पाते हैं. समस्या तब होती है जब बीमारी का पता काफी एडवांस स्टेज पर चलता है.
कैंसर संक्रामक बीमारी है
कैंसर के बारे में एक और बहुत बड़ा मिथ है कि ये संक्रामक बीमारी है जबकि यह सच नहीं है. कई बार इस सोच के कारण कैंसर से ठीक हुए लोगों का सामाजिक बहिष्कार कर दिया जाता है. परिवार वाले भी उनके साथ मेलजोल नहीं रखते हैं. ये सही नहीं है.
बायोप्सी और सर्जरी से कैंसर बढ़ने लगता है
लोगों को लगता है कि बायाप्सी कराने या कैंसर की सर्जरी कराने से कैंसर तेजी से फैलने लगता है. यह बिल्कुल सही नहीं है. बायोप्सी के बगैर सेल्स की जांच संभव नहीं है. ज्यादातर मामलों में लोग कैंसर के इलाज के लिए तब पहुंचते हैं जब कैंसर काफी बढ़ चुका होता है, ऐसे में उन्हें लगता है कि बायोप्सी या सर्जरी के कारण कैंसर तेजी से फैल रहा है जबकि बीमारी एंडवास स्टेज में होने के कारण काफी तेजी से फैल रही होती है.
कैंसर हमेशा वापस आ जाता है
कैंसर से जुड़ा एक और मिथ है कि कैंसर हमेशा वापस आ जाता है, यह सच नहीं है. अगर कैंसर का उपचार जल्दी शुरू हो जाता है तो बीमारी के वापस आने की आशंका न के बराबर होती है लेकिन एडवांस स्टेज पर यह खतरा होता है इसलिए उपचार के बाद दो साल तक मरीजों को रेगुलर जांच करवानी चाहिए.
लैपटॉप, सेलफोन्स, माइक्रोवेव और परफ्यूम कैंसर की वजह बन सकते हैं
लैपटॉप, सेलफोन्स, माइक्रोवेव और परफ्यूम को कैंसर का कारण बन सकते हैं, यह सच नहीं है. डॉक्टर सुनील कुमार ने कहा ऐसा होता तो लैपटॉप या सेलफोन्स का यूज करने वाले हर व्यक्ति को कैंसर होता. लैपटॉप, सेलफोन्स, माइक्रोवेव और परफ्यूम कैंसर होने की बातें सच नहीं हैं.
(डॉक्टर सुनील कुमार, सर्जिकल ऑन्कोलॉजी, एम्स, नई दिल्ली के प्रोफेसर)