Election Commission of India (ECI) पर उठते सवाल : भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त (Chief Election Commissioner – CEC) राजीव कुमार (Rajiv Kumar) ने अपनी विदाई से पहले बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि अगर किसी राजनीतिक दल को चुनाव नतीजे पसंद नहीं आते, तो वे चुनाव आयोग (Election Commission of India – ECI) को दोष देने लगते हैं।
उन्होंने इस प्रवृत्ति पर चिंता जताते हुए कहा कि राजनीतिक दल चुनाव प्रक्रिया में पूरी पारदर्शिता से भाग लेते हैं, लेकिन हारने के बाद आयोग पर सवाल उठाने लगते हैं, जो गलत है।
राजीव कुमार ने कहा, “ECI को कई बार अनुचित तरीके से निशाना बनाया जाता है। जब किसी को चुनाव नतीजे पसंद नहीं आते, तो वे हमें बली का बकरा बना देते हैं। यह प्रवृत्ति लोकतंत्र के लिए अच्छी नहीं है।”
चुनाव आयोग पर राजनीतिक दबाव के आरोप?
विपक्ष के आरोपों पर क्या बोले राजीव कुमार? –राजीव कुमार ने कहा कि चुनाव आयोग पूरी स्वतंत्रता और निष्पक्षता के साथ काम करता है। उन्होंने कहा कि चुनावों के दौरान राजनीतिक दल हर प्रक्रिया में शामिल होते हैं, लेकिन नतीजों के बाद बिना किसी ठोस आधार के आयोग को कटघरे में खड़ा कर दिया जाता है।
गौरतलब है कि विपक्ष लंबे समय से चुनाव आयोग पर पक्षपात के आरोप लगाता रहा है, खासकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) के पक्ष में झुकाव होने का आरोप लगता रहा है। हालांकि, चुनाव आयोग ने हमेशा इन दावों को खारिज किया है।
ज्ञानेश कुमार बने नए CEC, इन चुनौतियों से होगा सामना
भारत सरकार ने IAS अधिकारी ज्ञानेश कुमार (Gyanesh Kumar) को नया मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) नियुक्त किया है। वह ECI के नए कानून के तहत नियुक्त होने वाले पहले CEC हैं। उनका कार्यकाल 26 जनवरी, 2029 तक रहेगा।
ज्ञानेश कुमार के कार्यकाल में सबसे बड़ी चुनौती 2029 के लोकसभा चुनाव की होगी। इसके अलावा ईवीएम (EVM) पर विवाद, फ्री एंड फेयर इलेक्शन और राजनीतिक दलों के आरोप-प्रत्यारोप जैसी समस्याओं से भी उन्हें निपटना होगा।
क्या चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल उठाना सही है?
चुनाव आयोग को लेकर विवाद हर चुनाव के बाद बढ़ता जा रहा है। ईवीएम हैकिंग, वोटर लिस्ट गड़बड़ी, पक्षपात के आरोप जैसे मुद्दे सामने आते रहते हैं। हालांकि, चुनाव आयोग का दावा है कि भारत में चुनाव प्रक्रिया दुनिया के सबसे पारदर्शी सिस्टम में से एक है।
अब देखना होगा कि नए CEC ज्ञानेश कुमार किस तरह चुनाव आयोग की विश्वसनीयता को बनाए रखते हैं और 2029 के आम चुनावों को निष्पक्ष रूप से कराते हैं।