Delhi MCD Election AAP BJP Fight : दिल्ली नगर निगम (Municipal Corporation of Delhi) में मेयर चुनाव को लेकर बड़ा सियासी घटनाक्रम सामने आया है। आम आदमी पार्टी (AAP) ने एक चौंकाने वाला फैसला लेते हुए आगामी मेयर चुनाव से खुद को अलग कर लिया है। ‘आप’ ने साफ कर दिया है कि वह दिल्ली (Delhi) में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सामने लड़ाई नहीं लड़ने जा रही है क्योंकि मौजूदा समय में पार्टी के पास बहुमत नहीं है। दिल्ली संयोजक सौरभ भारद्वाज (Saurabh Bharadwaj) और पूर्व सीएम आतिशी मार्लेना (Atishi Marlena) ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस बात की घोषणा की।
एमसीडी चुनाव 2025-26: बदले समीकरण में बीजेपी का दबदबा
दिल्ली नगर निगम के वर्ष 2025-26 के कार्यकाल के लिए 25 अप्रैल 2025 को मेयर (Mayor) और डिप्टी मेयर (Deputy Mayor) चुनाव होने हैं। हालांकि, मौजूदा समीकरण को देखते हुए पहले ही स्पष्ट था कि इस बार मुकाबला एकतरफा रहेगा। वर्ष 2022 में 7 दिसंबर को हुए निगम चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 134 पार्षद (Councillors) और भाजपा ने 104 पार्षद जीते थे। लेकिन बीते समय में हुए राजनीतिक बदलावों के चलते अब स्थिति बदल गई है। वर्तमान में भाजपा के पास 117 पार्षद हैं जबकि ‘आप’ के पास सिर्फ 113 पार्षद बचे हैं।
भाजपा के पास बहुमत का पूरा गणित
भाजपा के पास न केवल 117 पार्षद हैं बल्कि उसे 11 विधायक (MLAs) और सात लोकसभा सांसद (Lok Sabha MPs) का भी समर्थन हासिल है, जिससे उनका कुल वोट बैंक 135 तक पहुंच जाता है। दूसरी ओर, आम आदमी पार्टी के पास 113 पार्षद, तीन विधायक और तीन राज्यसभा सांसद (Rajya Sabha MPs) मिलकर कुल 119 वोट ही हैं। कांग्रेस (Congress) के आठ पार्षद भी इस समीकरण में निर्णायक भूमिका नहीं निभा सकते थे, जिससे ‘आप’ के लिए जीत की संभावना बेहद कम हो गई थी।
चुनाव ना लड़ने की वजह और सियासी संदेश
सौरभ भारद्वाज और आतिशी ने साफ किया कि भाजपा ने तोड़फोड़ कर बहुमत जुटा लिया है और आम आदमी पार्टी इस तरह की राजनीति में विश्वास नहीं करती। इसलिए पार्टी ने चुनाव मैदान में उतरने से इनकार किया। उन्होंने यह भी कहा कि अब भाजपा के पास दिल्ली में ट्रिपल इंजन सरकार होगी और यदि जनता से किए वादे पूरे नहीं होते हैं तो भाजपा कोई बहाना नहीं बना सकेगी। इस रणनीतिक कदम से ‘आप’ ने सियासी तौर पर भाजपा को घेरने का एक नया रास्ता अख्तियार किया है।
राजनीतिक संकेत और भविष्य की राह
आम आदमी पार्टी के चुनाव न लड़ने का फैसला दिल्ली की राजनीति में दूरगामी प्रभाव डाल सकता है। अब भाजपा को एमसीडी में बिना किसी बड़ी चुनौती के शासन करने का अवसर मिल गया है, लेकिन इससे उनके ऊपर विकास कार्यों को तेजी से पूरा करने का दबाव भी बढ़ेगा। वहीं, आम आदमी पार्टी अपने इस फैसले को नैतिक जीत के रूप में भी पेश कर सकती है।