पहले कयास लगाया जा रहा था कि सुप्रीम कोर्ट मेयर चुनाव को ही रद्द कर देगा, लेकिन अब ऐसा नहीं होने वाला है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनाव के समय जितने भी वोट डाले गए थे उनकी फिर से गिनती होगी. इसके साथ-साथ उन 8 वोटों को भी वैध माना जाएगा जिसे रिटर्निंग ऑफिसर ने अवैध घोषित कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद अब सवाल उठ रहा है कि अगर वोटों की गिनती फिर से होती है तो नतीजे क्या होंगे?
चुनाव के वक्त बीजेपी के पास थे 16 वोट : मेयर चुनाव को लेकर बन रहे नए समीकरण को समझने के लिए हमें पार्टी वाइज वोटों के बारे में जानना होगा. चंडीगढ़ नगर निगम में कुल 36 सीटें हैं. मेयर चुनाव में यहां के सांसद को भी वोट डालने का अधिकार प्राप्त है. 36 वोटों में से बीजेपी के पास 14 वोट (पार्षद) हैं. एक सांसद का वोट मिला दें तो 15 हो जाता है. शिरोमणि अकाली दल के पार्षद ने भी बीजेपी को सपोर्ट किया था, मतलब कुल वोटों की संख्या 16 हो गई. बीजेपी के पास इतने वोट तब है जब इसमें आम आदमी पार्टी के 3 पार्षदों को शामिल नहीं किया गया है. अगर तीन पार्षदों को शामिल कर दें वोटों की संख्या 19 हो जाएगी.
फिलहाल गठबंधन के पास कुल 17 वोट : नगर निगम के मौजूदा स्थिति पर नजर डाले तो बीजेपी के पास कुल वोटों की संख्या 19 है. दूसरी ओर कांग्रेस के पास 7 पार्षद हैं जबकि आम आदमी पार्टी के पास फिलहाल 10 पार्षद हैं. आम आदमी पार्टी तीन पार्षद पहले ही पाला बदल चुके हैं. मेयर चुनाव में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन हुआ था. ऐसे में दोनों पार्टियों को वोट को मिला दें तो संख्या 17 हो जाती हैं.
8 वोट वैध हुए तो गठबंधन को होगा मेयर : गौर करने वाली बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट वर्तमान स्थिति को लेकर नहीं बल्कि चुनाव के समय जो स्थिति उस पर सुनवाई कर रहा है. यानी उस समय जिसके पास जितने वोट थे उसके हिसाब से नतीजे आएंगे. मतलब जिस समय चुनाव हुए थे उस समय आम आदमी पार्टी के पास कुल 13 वोट थे. ऐसे में 13 और 7 वोटों को मिला दें को कुल 20 वोट हो जाते हैं. मतलब गठबंधन का पलड़ा भारी पड़ जाएगा.
ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उस वक्त की वोटिंग के आधार पर उन्हीं वोटों की काउंटिंग होती है तो गठबंधन उम्मीदवार को जीत मिल सकती है और आम आदमी पार्टी की ओर से उम्मीदवार कुलदीप सिंह को जीत मिल सकती है. इसलिए अब चुनाव का पूरा समीकरण अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निर्भर हो गया है.
आगे भी हो सकता है खेला : सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी मेयर के चुनाव को लेकर खेला हो सकता है. हालांकि, यह खेला कब होगा कोई नहीं जानता है. इसलिए क्योंकि बीजेपी आम आदमी पार्टी के 3 पार्षदों को तोड़ चुकी है. ऐसे में उसके पास नए होने वाले मेयर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव खुला रहेगा, ऐसे में वो एक बार फिर से मेयर की गद्दी पर काबिज हो सकती है. सूत्रों की मानों तो इसकी प्लानिंग पहले से ही चल रही है. प्लानिंग के तहत ही मनोज सोनकर ने मेयर पद से इस्तीफा दिया. मतलब कहीं न कहीं उनको यह अंदाजा लग चुका था कि सुप्रीम कोर्ट में उनकी दलील कमजोर पड़ेगी.