कहां से आई यूनिफाइड पेंशन स्कीम, दुनिया के किन देशों में ऐसी व्यवस्था?

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नई दिल्ली, 27 अगस्त (The News Air): केंद्र सरकार ने कर्मचारियों के लिए यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) की घोषणा की है. इसे एक अप्रैल 2025 से लागू करने की तैयारी है. पुरानी पेंशन की मांग कर रहे कर्मचारियों को इस स्कीम के जरिए थोड़ी राहत देने की कोशिश की गई है. इससे सेवानिवृत्ति के बाद कर्मचारियों को पेंशन की गारंटी मिलेगी. आइए जान लेते हैं कि कहां से आया यूनिफाइड पेंशन सिस्टम और यह किन-किन देशों से मिलता-जुलता है.

वास्तव में यूनिफाइड पेंशन स्कीम एक तरह से सरकारी कर्मचारियों को मिलने वाली पुरानी पेंशन और नई पेंशन स्कीम (एनपीएस) के बीच का रास्ता है. यूपीएस में कई चीजें ओल्ड पेंशन स्कीम की तरह लागू करने की कोशिश की गई है. हालांकि, इसमें पुरानी पेंशन स्कीम जितना फायदा नहीं. यूपीएस के तहत सरकारी कर्मचारियों को न्यूनतम और निश्चित पेंशन की गारंटी दी जाएगी.

सोमनाथन समिति ने की थी सिफारिश

दरअसल, 1 जनवरी 2004 को केंद्र सरकार पुरानी पेंशन स्कीम की जगह पर कर्मचारियों के लिए न्यू पेंशन स्कीम लाई थी. पुरानी पेंशन योजना के तहत अंतिम वेतन के आधार पर सुनिश्चित पेंशन की गारंटी मिलती थी नई पेंशन स्कीम में इसे खत्म कर दिया गया, जिसके कारण कर्मचारी पुरानी पेंशन स्कीम की मांग कर रहे थे. विपक्ष भी इसके लिए सरकार पर कई तरह के आरोप लगा रहा था.

इसको देखते हुए केंद्र सरकार ने वित्त सचिव टीवी सोमनाथन की अध्यक्षता में एक समिति बनाई थी. इस समिति ने लगभग सभी राज्यों और श्रमिक संगठनों के साथ बात की. इसके अलावा दुनिया के दूसरे देशों में मौजूद पेंशन के सिस्टम को समझा. इसके बाद इस समिति ने यूनिफाइड पेंशन स्कीम की सिफारिश की. इस स्कीम का कर्मचारियों पर भार नहीं पड़ेगा. पहले कर्मचारी पेंशन के लिए 10 फीसदी अंशदान करते थे और केंद्र सरकार भी 10 फीसदी अंशदान करती थी. साल 2019 में सरकार ने अपने योगदान को 14 फीसदी कर दिया था. अब सरकार अपने अंशदान को बढ़ाकर 18.5 फीसदी करेगी.

न्यूनतम 10 हजार रुपए मिलेगी पेंशन

इससे यूपीएस में कर्मचारियों को न्यूनतम और निश्चित पेंशन की गारंटी मिलेगी. अगर किसी कर्मचारी ने 25 साल तक कम से कम नौकरी की होगी तो उसे सेवानिवृत्ति से पहले के 12 महीनों के औसत बेसिक वेतन का 50 फीसदी हिस्सा पेंशन के रूप में मिलेगा. उदाहरण के लिए अगर किसी सरकारी कर्मचारी का औसत बेसिक वेतन 50 हजार रुपए होगा, उसे हर महीने 25 हजार रुपए पेंशन मिलेगी. हालांकि, किसी की सेवा अवधि इससे कम है तो उसकी पेंशन उसी हिसाब से कम हो जाएगी. यूपीएस में यह भी प्रावधान किया गया है कि 10 साल या इससे कम समय तक किसी ने नौकरी की है तो उसको 10 हजार रुपए की निश्चित पेंशन दी जाएगी.

एनपीएस या यूपीएस में से करना होगा चुनाव

यूपीएस में पारिवारिक पेंशन का भी प्रावधान है. यह पेंशन कर्मचारी के मूल वेतन का 60 फीसदी होगी, जो कर्मचारी की मौत के बाद उसके परिवार को दी जाएगी. इसमें किसी कर्मचारी को अगर हर महीने 30 हजार रुपए पेंशन मिल रही थी, तो उसकी पत्नी को 60 फीसदी यानी 18000 रुपये पेंशन मिलेगी. 1 जनवरी 2004 के बाद नियुक्त जितने कर्मचारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं या एक अप्रैल 2025 तक जो सेवानिवृत्त होंगे, उनको भी इसको चुनने का अवसर मिलेगा. यानी इस पेंशन स्कीम का लाभ कर्मचारियों को खुद नहीं मिलेगा, बल्कि उनको नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) या यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) में से किसी एक का चुनाव करना होगा.

इन देशों में बेहतरीन पेंशन की व्यवस्था

वैसे यूनिफाइड पेंशन के मामले में दुनिया भर में नीदरलैंड, आइसलैंड, डेनमार्क और इजराइल को बेहतरीन देश बताया गया है. कर्मचारियों के लिए लागू पेंशन स्कीम पर की गई एक रिसर्च में इन देशों को ग्रेड दिया गया है, जिनमें नीदरलैंड पहले स्थान पर है.

मर्सर सीएफए सीएफए इंस्टीट्यूट ग्लोबर पेंशन इंडेक्स में नीदरलैंड को 85 सूचकांक दिया गया है. यहां सरकारी कर्मचारियों को एक निश्चित दर पर पेंशन दी जाती है, जबकि आय और इंडस्ट्रियल एग्रीमेंट के हिसाब से सेमी मैंडेटरी ऑक्युपेशनल पेंशन की भी व्यवस्था है. नीदरलैंड के ज्यादातर कर्मचारी इस ऑक्युपेशनल प्लान के सदस्य हैं.

आइसलैंड है को पेंशन के हिसाब से 84.8 सूचकांक दिया गया है. आइसलैंड के पेंशन प्लान में बेसिक सरकारी पेंशन के साथ पूरक और प्राइवेट ऑक्युपेशनल पेंशन शामिल हैं, जिसमें कर्मचारी और नियोक्ता दोनों को अंशदान देना होता है. डेनमार्क इस सूचकांक में 81.3 अंक के साथ तीसरे स्थान पर है. डेनमार्क में सरकारी बेसिक पेंशन, आय से जुड़ी पूरक पेंशन और मैंडेटरी ऑक्युपेशनल स्कीम की व्यवस्था है.

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