अयोध्या, 22 जनवरी (The News Air) – राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले के आधार पर मुसलमानों को अयोध्या के धन्नीपुर में दी गई जमीन पर मस्जिद का निर्माण अगले साल मई से शुरू होने की संभावना है. मस्जिद का निर्माण कर रहे ‘इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट’ ने अगले साल फरवरी से इस परियोजना के लिए व्यापक रूप से चंदा जुटाने के मकसद से विभिन्न राज्यों और जिलों में एक-एक प्रभारी बनाने का भी इरादा किया है. ट्रस्ट के मुख्य न्यासी और उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जुफर फारूकी ने बताया, ‘अभी तक यही योजना है कि धन्नीपुर गांव में दी गई पांच एकड़ जमीन पर मस्जिद का निर्माण अगले साल मई में शुरू हो जाएगा.’ फारूकी ने बताया, ‘मस्जिद का अंतिम डिजाइन फरवरी के मध्य तक मिल जाने की संभावना है. उसके बाद उसे प्रशासनिक मंजूरी के लिए प्रस्तुत कर दिया जाएगा. फरवरी में ही परिसर में ‘साइट ऑफिस’ खोल दिया जाएगा. उम्मीद है कि हम मई तक मस्जिद का निर्माण शुरू करने की स्थिति में आ जाएंगे.’
क्यों हो रही देरी?
फारूकी ने कहा कि कुछ वित्तीय बाधाओं के साथ-साथ मस्जिद के डिजाइन में आमूल-चूल बदलाव की वजह से नए सिरे से औपचारिकताएं शुरू किए जाने के कारण मस्जिद के निर्माण में देर हो रही है. उन्होंने कहा कि भारत में मस्जिद का नाम आते ही लोगों के दिमाग में एक परंपरागत मस्जिद की आकृति उभरती है और इसी वजह से ट्रस्ट द्वारा तैयार की गई मस्जिद के डिजाइन की उतनी स्वीकार्यता नहीं थी, नतीजतन ट्रस्ट ने मस्जिद का नए सिरे से डिजाइन तैयार कराया है और अब यह मस्जिद 15 हजार वर्ग फुट के बजाय करीब 40 हजार वर्ग फुट में होगी.
वित्तीय सहायता के लिए चंदा इकट्ठा करने की संभावना के बारे में पूछे जाने पर फारूकी ने कहा,‘‘ अभी हमने जिलों में जाने के कार्यक्रम को फिलहाल रोक रखा है. अभी ट्रस्ट से जुड़ी मुंबई की टीम इस मामले पर काम कर रही है और उम्मीद है कि एक-डेढ़ महीने में ट्रस्ट के पास पर्याप्त धन आ जाएगा. उन्होंने कहा, ‘‘ दरअसल चंदा इकट्ठा करना बहुत बड़ा काम होता है और इसकी देखभाल कर पाना बहुत मुश्किल होता है. हम कोशिश यह कर रहे हैं कि कुछ राज्यों में अपने लोगों को जिम्मेदार बना दें और वे परियोजना के लिए वित्त पोषण हासिल करने के लिए चुनिंदा तरीके से काम करें, जिसमें पारदर्शिता और जवाबदेही दोनों हो. मौजूदा वक्त में ट्रस्ट के पास धन की तंगी के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘नहीं, नहीं अब यह बात नहीं कह सकते हैं. अब परियोजना के डिजाइन में बदलाव होने की वजह से देर हो रही है.’’ ट्रस्ट के सचिव अतहर हुसैन ने बताया कि सरकार द्वारा दी गई जमीन पर मस्जिद के साथ-साथ एक अस्पताल, पुस्तकालय, सामुदायिक रसोई और एक संग्रहालय का निर्माण कराया जाएगा.
मस्जिद-ए-हरम के इमाम को बुलाने का अभी तक इरादा नहीं
उन्होंने कहा कि मस्जिद का नाम ‘मोहम्मद बिन अब्दुल्लाह अयोध्या मस्जिद’ होगा और मुंबई के एक समूह से बात हुई है उसे निर्माण समिति का प्रभारी बनाया गया है. सबसे पहले मस्जिद ही बनाई जाएगी. मस्जिद का निर्माण कब तक पूरा हो जाएगा, हुसैन ने इस सवाल पर कहा कि यह धन की उपलब्धता पर निर्भर करेगा. हुसैन ने स्पष्ट किया कि मस्जिद की आधारशिला रखने के लिए सऊदी अरब की मस्जिद-ए-हरम के इमाम को बुलाने का ट्रस्ट का अभी तक कोई इरादा नहीं है. उच्चतम न्यायालय ने नौ नवंबर 2019 को राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में अपना फैसला सुनाते हुए विवादित स्थल पर राम मंदिर का निर्माण कराने और मुसलमानों को अयोध्या में किसी प्रमुख स्थान पर मस्जिद निर्माण के लिए पांच एकड़ जमीन देने का आदेश दिया था. राम मंदिर का निर्माण जोरों पर है और अगले साल 22 जनवरी को मंदिर में विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की जोरदार तैयारी की जा रही है.
अयोध्या में जल्द बनेगी भव्य मस्जिद, निर्माण का जिम्मा मुंबई की टीम को सौंपा
अयोध्या में भव्य मस्जिद निर्माण की कवायद तेज हो गई है। मस्जिद के निर्माण की जिम्मेदारी मुंबई की टीम को दी गई है। महाराष्ट्र अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष हाजी अराफात शेख को मस्जिद की निर्माण समिति का प्रमुख बनाया गया है।
अयोध्या में बनने वाली मस्जिद के निर्माण की जिम्मेदारी मुंबई की टीम को दी गई है। महाराष्ट्र अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष हाजी अराफात शेख को मस्जिद की निर्माण समिति का प्रमुख बनाया गया है। मस्जिद का निर्माण कर रहे ‘इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट’ के मुख्य ट्रस्टी और उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जफर फारूकी ने उन्हें यह जिम्मेदारी सौंपी। इस मौके पर अब्दुल्ला इब्न कमर, डॉ. आबिद सैयद, मौलाना मुहम्मद मदनी अब्दुल रब आदि महत्वपूर्ण लोग मौजूद थे। जफर फारूकी ने कहा कि हाजी अराफात शेख को मस्जिद विकास समिति का अध्यक्ष नामित करने का मुख्य उद्देश्य मस्जिद के निर्माण को गंभीरता से पूरा करना है। हमने उन्हें अपने ट्रस्ट का सलाहकार भी बनाया है।
अयोध्या में बाबरी मस्जिद के एवज में बनने वाली मस्जिद का नाम ‘मोहम्मद बिन अब्दुल्लाह अयोध्या मस्जिद’ रखा गया है। उम्मीद है कि अगले साल मई में इसका निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा। इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट ने मस्जिद का नए सिरे से डिजाइन तैयार कराया है और अब यह मस्जिद 15 हजार वर्ग फुट के बजाय करीब 40 हजार वर्ग फुट में बनाई जाएगी। सरकार द्वारा दी गई जमीन पर बन रही इस मस्जिद के साथ-साथ एक अस्पताल, पुस्तकालय, सामुदायिक रसोई और एक संग्रहालय का निर्माण कराया जाएगा, लेकिन सबसे पहले मस्जिद ही बनाई जाएगी।
अयोध्या मामले में लंबी चली सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 5 साल पहले यानी 2019 में दिए फैसले में कहा कि बाबरी मस्जिद की विवादित जमीन एक ट्रस्ट को सौंपी जाए. इस जगह पर राम मंदिर बनाया जाए. साथ ही आदेश दिया कि उत्तर प्रदेश सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद बनाने के लिए 5 एकड़ जमीन आवंटित की जाए. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने अयोध्या से 25 किमी दूर धन्नीपुर गांव में मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन आवंटित कर दी. आवंटित जमीन 5 साल बाद भी खाली पड़ी है. वहां अक्सर बच्चे क्रिकेट खेलते हुए दिख जाते हैं. गांव में एक मस्जिद और एक मदरसा काफी पहले से ही है.
यूपी सरकार की ओर से आवंटित जमीन पर ‘इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन’ का बोर्ड लगा दिया गया है. दरअसल, वक्फ बोर्ड ने मस्जिद बनाने के लिए जो ट्रस्ट बनाया था, उसका नाम इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन है. एक तरफ अयोध्या में ‘राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र फाउंडेशन’ राम मंदिर का काम करीब-करीब पूरा कर चुका है. वहीं, धन्नीपुर गांव में अभी तक मस्जिद का काम शुरू भी नहीं हुआ है. कुछ समय पहले आवंटित जमीन से सटी दरगाह की मरम्मत का काम जरूर किया गया है. इसकी दीवार पर लगे पोस्टर में प्रस्तावित मस्जिद मोहम्मद-बिन-अब्दुल्लाह मस्जिद की तस्वीर दिखती है.
मस्जिद बनवाना वक्फ बोर्ड की है जिम्मेदारी
बाबरी मस्जिद जमीन विवाद मामले में पक्षकार रहे इकबाल अंसारी मस्जिद का काम अब तक शुरू नहीं होने को लेकर काफी नाराज नजर आते हैं. उनका कहना है कि मस्जिद के लिए वक्फ बोर्ड को जमीन मिल चुकी है. लिहाजा, उन्हें काम शुरू कर देना चाहिए था, लेकिन अब तक कोई काम शुरू नहीं हो पाया है. मस्जिद का काम पूरा करवाना वक्फ बोर्ड की जिम्मेदारी है. वह कहते हैं कि मस्जिद बनाने में मुसलमानों की दिलचस्पी ही नजर नहीं आती है. देश के मुसलमान वक्फ बोर्ड से अब तक मस्जिद का काम शुरू नहीं हो पाने को लेकर कोई सवाल ही नहीं करते हैं.
क्या धार्मिक आधार पर आ रही कोई दिक्कत
ऑल इंडिया मिली काउंसिल के सदस्य खालिक अहमद खान ने बीबीसी को बताया कि वह शुरुआत से पूरे मामले पर नजर रखे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, वह कहते हैं कि शरिया कानून और वक्फ बोर्ड के नियमों के मुताबिक, मस्जिद को न तो उसकी जगह से हटाया जा सकता है और ना ही उसकी जगह कोई दूसरी इमारत या नई मस्जिद ही बनाई जा सकती है. कोर्ट ने फैसले में कहा कि मुसलमानों को किसी दूसरी जगह मस्जिद के लिए जमीन दी जाए. ये इस्लाम के दो नियमों के खिलाफ था. ये वक्फ और कुरान पर आधारित शरिया के नियम का उल्लंघन है. वक्फ के नियम के मुताबिक, मस्जिद और कब्रिस्तान जैसी वक्फ की संपत्तियों को बेचा या गिरवी नहीं रखा जा सकता है. फिर भी वह कहते हैं कि वह नई मस्जिद के निर्माण के खिलाफ नहीं हैं.
पैसों की कमी बनी निर्माण कार्य में अड़चन
इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन के सचिव अतहर हुसैन मस्जिद निर्माण श्शुरू नहीं हो पाने में सबसे बड़ी कमी पैसे की बताते हैं. वह कहते हैं कि उम्मीद से कम पैसा जमा हुआ है. लिहाजा, काम शुरू होने में देरी हो रही है. उनके मुताबिक, ट्रस्ट की योजना के मुताबिक, आवंटित जमीन पर प्रस्तावित मस्जिद के साथ ही एक अस्पताल, एक कम्युनिटी कैंटीन और 1857 की आजादी की पहली लड़ाई से जुड़ा एक म्यूजियम भी बनाया जाएगा. मस्जिद निर्माण के लिए गठित समिति ने पुराने डिजाइन को बदलने का फैसला किया है. वह इकबाल अंसारी की इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते कि मुसलमान मस्जिद बनाने को लेकर दिलचस्पी नहीं ले रही है.
दुनिया का सबसे बड़ा कुरान रखा जाएगा, रंग होगा भगवा
हाजी अराफात के मुताबिक, अयोध्या की मोहम्मद बिन अब्दुल्ला मस्जिद में 21 फीट ऊंची और 36 फीट चौड़ी कुरान होगी. ये दुनिया की सबसे बड़ी कुरान होगी. इसकी सबसे बड़ी खासियत ये होगी कि कुरान का रंग भगवा होगा. वहीं, मस्जिद में लगने वाली पहली ईंट पर मस्जिद के नाम के साथ ही कुरान की आयतें भी लिखी जाएंगी. उन्होंने बताया कि इस मस्जिद में पहली नमाज मक्का के इमाम या इमाम-ए-हरम अब्दुल रहमान अल सुदैस अदा करेंगे. उन्होंने कहा कि हर भारतीय अपने गुजर चुके परिजन के नाम की ईंट भी अयोध्या की मस्जिद में लगवा सकते हैं.
5 मीनार वाली मस्जिद में 9000 लोग अदा कर सकेंगे नमाज
अयोध्या मस्जिद मोहम्मद बिन अब्दुल्ला डेवलपमेंट कमेटी के अध्यक्ष हाजी अराफात शेख ने बताया कि मस्जिद में 5000 महिलाएं और 4000 पुरुष एकसाथ नमाज अदा कर सकेंगे. मस्जिद में 5 मीनारें इस्लाम के पांच स्तंभ नमाज, रोजा, जकात, तौहीद और हज को दर्शाएंगी. उनका कहना है कि अयोध्या की मस्जिद ताजमहल से भी ज्यादा खूबसूरत होगी. यहां शाम होने पर नमाज के साथ ही फाउंटेंस चलाए जाएंगे. इससे मस्जिद की खूबसूरती में चार चांद लग जाएंगे. इसके अलावा वजू खाना के पास एक काफी बड़ा एक्वेरियम भी बनाया जाएगा. उनके मुताबिक, अयोध्या की मस्जिद की खूबसूरती देखने के लिए देश-दुनिया से लोग आएंगे.
दवा, दुआ और शिक्षा का केंद्र बनेगी अयोध्या की मस्जिद
उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने अयोध्या में मस्जिद निर्माण के लिए इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट का गठन किया. ट्रस्ट के सचिव अतहर हुसैन ने बताया कि मस्जिद के लिए मिली जमीन में 500 बेड वाला एक कैंसर अस्पताल और कम्युनिटी किचन भी रहेगा. सामुदायिक रसोई में शुरुआती चरण में हर दिन 1000 लोगों का भोजन बनेगा. बाद में इसकी क्षमता बढ़ाकर 2000 की जाएगी. सामुदायिक रसोई में अस्पताल के मरीजों और तीमारदारों के साथ ही हर जरूरतमंद को मुफ्त भोजन मिलेगा. इसके अलावा फाउंडेशन ने इंडो इस्लामिक रिसर्च सेंटर और एक लाइब्रेरी बनाने का फैसला भी किया है. वहीं, एक स्कूल और लॉ कॉलेज भी बनाया जाएगा.