Ultra Processed Foods Health Risks : क्या आपकी सुबह की शुरुआत चाय-बिस्किट के साथ होती है? क्या चिप्स और नमकीन के बिना आपका दिन नहीं गुजरता? अगर हां, तो सावधान हो जाइए। ‘द लैंसेट’ जर्नल की एक नई स्टडी ने खतरे की घंटी बजा दी है। हम और आप जिसे ‘टेस्टी स्नैक’ समझकर खा रहे हैं, असल में वो ‘अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स’ (Ultra Processed Foods) हैं, जो दोस्त की शक्ल में आपके सबसे बड़े दुश्मन बन चुके हैं।
स्वाद के पीछे छिपी कड़वी सच्चाई
ये फूड्स दिखने में जितने लुभावने होते हैं, अंदर से उतने ही खोखले। इनमें न फाइबर होता है, न विटामिन और न ही कोई मिनरल। यानी पोषक तत्वों (Nutrition) के नाम पर ये बिल्कुल ‘जीरो’ हैं। इनकी जगह इनमें भरा होता है ढेर सारी कैलोरीज, फैट, नमक और चीनी। स्वाद बढ़ाने के लिए इनमें ‘हाई फ्रुक्टोज कॉर्न सिरप’ जैसा स्वीटनर और प्रोडक्ट को लंबे समय तक चलाने के लिए ‘हाइड्रोजनेटेड ऑइल्स’ का इस्तेमाल किया जाता है, जो सेहत के लिए बेहद नुकसानदेह हैं।
पहचानें अपना ‘दुश्मन’
वीडियो रिपोर्ट के मुताबिक, अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स की 5 बड़ी पहचान हैं:
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ये हमेशा पैकेट या डिब्बों में बंद मिलते हैं और फैक्ट्रियों में इंडस्ट्रियल तकनीक से तैयार होते हैं।
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इन्हें देखकर पता ही नहीं चलता कि ये असल में किस चीज (Main Ingredient) से बने हैं।
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इनके पैकेट पर इंग्रेडिएंट्स की लिस्ट बहुत लंबी (10-15 चीजें) होती है, जिसमें ऐसे नाम होते हैं जिन्हें आम आदमी समझ भी न पाए।
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‘लो फैट’ या ‘नो शुगर’ का लेबल लगाकर भी इनमें पाम ऑयल, आर्टिफिशियल स्वीटनर और फ्लेवर्स डाले जाते हैं।
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सबसे बड़ी पहचान- इन्हें खाने के थोड़ी देर बाद ही आपको फिर से भूख लगने लगती है, क्योंकि इनकी लत बहुत जल्दी लगती है।
12 बीमारियों का सीधा खतरा
‘द लैंसेट’ की सीरीज के को-ऑथर डॉ. अरुण गुप्ता बताते हैं कि अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स खाने से 12 तरह की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। टाइप-2 डायबिटीज का रिस्क 25%, डिप्रेशन का 23%, मोटापे का 21% और दिल की बीमारियों (Cardiovascular Disease) से मौत का खतरा 18% तक बढ़ जाता है। एक पैक्ड लस्सी की बोतल में ही करीब 25 ग्राम चीनी हो सकती है, जिसे हेल्दी बताकर बेचा जाता है।
भारत में 40 गुना बढ़ी बिक्री
आंकड़े डराने वाले हैं। 2006 से 2019 के बीच भारत में अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स की बिक्री करीब 40 गुना बढ़ गई है। इसका सीधा असर हमारी सेहत पर दिख रहा है। देश में मोटापा लगभग दोगुना हो चुका है। आज हर 4 में से 1 व्यक्ति मोटापे का शिकार है, हर 10 में से 1 को डायबिटीज है और हर 3 में से 1 शख्स की तोंद निकली हुई है। ये आंकड़े साफ बता रहे हैं कि हम एक बीमार भविष्य की ओर बढ़ रहे हैं।
क्या है समाधान?
डॉ. अरुण गुप्ता ने इस खतरे से निपटने के लिए कुछ अहम सुझाव दिए हैं:
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स्कूलों और अस्पतालों में अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स पूरी तरह बैन हों।
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इनके विज्ञापनों, स्पॉन्सरशिप और ‘एक पे एक फ्री’ जैसे ऑफरों पर रोक लगे।
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पैकेट्स पर साफ तौर पर चेतावनी (जैसे U+) लिखी हो ताकि लोग समझ सकें कि यह ज्यादा प्रोसेस किया हुआ है।
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सरकार इनकी खपत पर कड़ी निगरानी रखे और नीतियां बनाते समय सिर्फ एक्सपर्ट्स की ही राय ले, कंपनियों की नहीं।
जानें पूरा मामला (Background)
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग ‘रेडी टू ईट’ (Ready-to-eat) खाने की तरफ तेजी से मुड़ रहे हैं। पिज्जा, बर्गर, नूडल्स, पैक्ड सूप, चॉकलेट मिल्क और यहां तक कि ब्रेड भी अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स की श्रेणी में आते हैं। इन्हें फैक्ट्रियों में उबालकर, रसायनों (Chemicals) का इस्तेमाल करके और आर्टिफिशियल रंग डालकर तैयार किया जाता है ताकि ये लंबे समय तक खराब न हों और दिखने में अच्छे लगें। यही प्रक्रिया इन्हें हमारी सेहत के लिए जहर बना देती है।
मुख्य बातें (Key Points)
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बिस्किट, चिप्स, नूडल्स और पैक्ड ड्रिंक्स अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स हैं।
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इन्हें खाने से डायबिटीज, डिप्रेशन और हार्ट अटैक का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
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इनमें फाइबर और विटामिन नहीं, सिर्फ कैलोरी, फैट और केमिकल होते हैं।
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भारत में पिछले कुछ सालों में इनकी बिक्री 40 गुना और मोटापा दोगुना बढ़ा है।
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एक्सपर्ट्स ने स्कूलों में ऐसे खानों को बैन करने और विज्ञापनों पर रोक लगाने की मांग की है।






