विधानसभा चुनाव से पहले उद्धव ठाकरे की ताकत बढ़ी, बसंत मोरे ने राज ठाकरे को दिया झटका

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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में पाला बदलने की राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है. दिग्गज नेता बसंत मोरे ने एमएनएस चीफ राज ठाकरे का साथ छोड़ दिया और शिवसेना उद्धव गुट में शामिल हो गए हैं. इसी के साथ उन्होंने बड़ा ऐलान भी कर दिया है.

महाराष्ट्र में अक्टूबर में विधानसभा चुनाव होने वाला है उससे पहले यहां सियासत तेज हो गई है. लोकसभा चुनाव से पहले राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नव निर्माण में शामिल हुए दिग्गज नेता वसंत मोरे ने अब शिवसेना उद्धव गुट का दामन थाम लिया है. इसी के साथ उन्होंने विश्वासघात के खिलाफ लड़ाई लड़ने का ऐलान कर दिया है. मातोश्री बंगले में उद्धव ठाकरे की मौजूदगी में वसंत मोरे की पार्टी में एंट्री हुई. पार्टी में शामिल होकर उन्होंने मशाल थामी और शिंदे गुट पर जोरदार हमला बोला. उद्धव ठाकरे ने वसंत मोरे के साथ लौटे सभी नेता, पदाधिकारियों का शिवसेना में स्वागत किया और नई जिम्मेदारी सौंपी.

दरअसल वसंत मोरे के साथ ही मनसे के 17 शाखा अध्यक्ष, 5 उपविभागीय अध्यक्ष, 1 शहर अध्यक्ष, पर्यावरण बल के कई पदाधिकारी, परिवहन बल के पदाधिकारी, मथाडी के पदाधिकारी भी ठाकरे समूह में शामिल हो गए. ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि इससे पुणे में शिवसेना उद्धव गुट की ताकत बढ़ेगी.

बसंत मोरे को पुणे की जिम्मेदारी

इस दौरान उद्धव ठाकरे ने कहा कि ये अच्छी बात है कि वसंत मोरे पहले से और अधिक समझदार होकर लौटे हैं. इसलिए उनके महत्व को समझते हुए उनको नई जिम्मेदारी दी जा रही है. उन्होंने ऐलान किया कि वसंत मोरे को पुणे में शिवसेना को पहले से कई गुना अधिक बढ़ाने की जिम्मेदारी सौंप रहा हूं. उन्होंने ये भी कहा इसे सजा न समझें, यह बड़ी जिम्मेदारी है.

उद्धव ठाकरे ने इसके आगे कहा कि पिछले लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र ने देश को एक दिशा दिखाई है. वह लड़ाई लोकतंत्र, संविधान बचाने की दिशा थी. अब जो लड़ाई होगी, वह विश्वासघाती धमकियों और लाचारी के खिलाफ होगी. यह महाराष्ट्र के अस्तित्व की लड़ाई होने जा रही है.

बसंत मोरे का एमएनएस पर भी हमला

वहीं बसंत मोरे ने एमएनएस पर भी हमला बोला. बसंत मोरे ने कहा कि उन्होंने पहले महाविकास अघाड़ी के बैनर तले चुनाव लड़ने की कोशिश की थी. शरद पवार से भी मुलाकात की थी. लेकिन पुणे सीट कांग्रेस के खाते में जाने से उनको उम्मीदवार नहीं बनाया गया, जिसके बाद उन्होंने प्रकाश अंबेडकर से मुलाकात की और वंचित बहुजन अघाड़ी से उम्मीदवारी हासिल की. लेकिन चुनाव हार गए. अब विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने उद्धव गुट का दामन थाम लिया है. उन्होंने कहा कि शिवसेना में वो पहले से और भी हिम्मत के साथ काम करेंगे.

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