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Home Breaking News

आपके डॉक्टर, माइक्रोस्कोप… पतंजलि विज्ञापन केस में सुप्रीम कोर्ट ने आज सबको सुना दिया

The News Air by The News Air
मंगलवार, 23 अप्रैल 2024
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पतंजलि विज्ञापन
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नई दिल्ली, 23 अप्रैल (The News Air):  भ्रामक विज्ञापन मामले में पतंजलि की ओर से अखबार में विज्ञापन देकर बिना शर्त माफी मांगने की बात कही गई, तब सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद से सवाल पूछा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि क्या आपने न्यूजपेपर में जो विज्ञापन देकर माफी मांगी है वह उसी साइज का विज्ञापन है जैसा विज्ञापन आपने पहले दिया था? सुप्रीम कोर्ट ने बहरहाल पतंजलि आयुर्वेद और योगगुरु रामदेव के वकील से कहा है कि कोर्ट के सामने विज्ञापन संबंधित रेकॉर्ड दो दिनों में पेश करें। कोर्ट ने कहा कि हम विज्ञापन का साइज देखना चाहते हैं। अगर आप माफी मांगते हैं तो इसक मतलब यह नहीं है कि वह हम माइक्रोस्कोप से देखें।

सुप्रीम कोर्ट में आईएमए (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन) की ओर अर्जी दाखिल कर पतंजलि के खिलाफ वेक्सिनेशन अभियान और मॉडर्न मेडिसिन के खिलाफ मुहीम चालने का आरोप लगाया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने योग गुरु रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के एमडी आचार्य बालकृष्ण की ओर से बिना शर्त माफी मांगने के लिए दायर किए गए हलफनामे को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट में योगगुरु रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के एमडी बालकृष्ण ने भ्रामक विज्ञापन मामले में पब्लिक में माफी मांगने की बात कही थी जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें इसके लिए एक हफ्ते का वक्त दिया है।

मामले की सुनवाई के दौरान पतंजलि आयुर्वेद की ओर से सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि पिछले विज्ञापन में की गई गलती और प्रेस कॉन्फ्रेंस के संदर्भ में सोमवार को कुछ न्यूजपेपर में विज्ञापन देकर माफी मांगी गई है। पतंजलि के वकील मुकुल रोहतगी ने इस बारे में कोर्ट को अवगत कराया। इस दौरान पतंजलि आयुर्वेद के एमडी बालकृष्ण और योगगुरु रामदेव दोनों ही कोर्ट में मौजूद थे। तब सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि क्या पहले जो विज्ञापन आपने दिया था उसी साइज के विज्ञापन में आपका माफीनामा है?

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रोहतगी ने कहा कि 67 पब्लिकेशन में विज्ञापन दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस हिमा कोहली ने कहा कि विज्ञापन की कटिंग व संबंधित रेकॉर्ड कोर्ट के सामने दो दिनों में पेश करें। हम असल साइज देखना चाहते हैं कि कितना बड़ा विज्ञापन है। फोटोकॉपी से साइज बड़ा हो सकता है और वह हमें गवारा नहीं होगा। हम असल साइज देखना चाहते हैं कि कितना बड़ा विज्ञापन का साइज है। अगर आप माफीनामा देते हैं तो इसका मतलब यह नहीं है कि हम उसे माइक्रोस्कोप से देखें।

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान गुमराह करने वाले हेल्थ के दावों से संबंधित मुद्दों पर भी ध्यान दिया और कहा कि हम इस व्यापक मुद्दे को देखेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एफएमसीजी कंपनियां कई गुमराह करने वाले हेल्थ संबंधित दावे करती है हम उसे देखेंगे। कोर्ट ने उपभोक्ता मामले और सूचना और प्रसारण मंत्रालय को भी पक्षकार बनाया है। बेंच ने केंद्र सरकार से स्पष्टीकरण भी मांगा है। केंद्र के आयुष मंत्रालय ने लेटर जारी कर राज्यों से कहा है कि वह आयुष उत्पाद के खिलाफ ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स रूल्स 1945 के नियम 170 के तहत एक्शन ना लें। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब दाखिल करने को कहा है।

सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के मुख्य अंश…………

जस्टिस हिमा कोहली: आपने कुछ नहीं किया?

योगगुरु रामदेव व पतंजलि के वकील मुकुल रोहतगी: हमने माफीनामे का विज्ञापन अखबार में दिया है। विज्ञापन देकर पहले की गलती के लिए माफी मांगी गई है। यानी पहले के विज्ञापन और प्रेस कॉन्फ्रेंस के संदर्भ में माफी मांगी गई है।

जस्टिस कोहली: लेकिन आपने एक हफ्ते बाद क्यों दिया? क्या आपने विज्ञापन जितना बड़ा दिया था उसी साइज में माफीनामा दिया है?

रोहतगी: विज्ञापन का खर्च 10 लाख है। इसके लिए 67 पब्लिकेशन में विज्ञापन दिया गया है ।

जस्टिस कोहली: आप विज्ञापन के संदर्भ में जो कटिंग है वह कोर्ट में पेश करें। हम विज्ञापन का साइज देखना चाहेंगे।

जस्टिस कोहली: केंद्र सरकार की ओर से कौन पेश हो रहा है? हम केंद्र द्वारा जारी कुछ लेटर पर उनका स्पष्टीकरण चाहते हैं। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय और सूचना प्रसारण मंत्रालय को भी पक्षकार बनाए जाने की जरूरत है।

जस्टिस कोहली: (केंद्र सरकार के अडिशनल सॉलिसिटर जनरल से) हमने 7 मुद्दे देखे हैं और केंद्र को उसमें जवाब देना है। राज्य सरकारों के लाइसेंसिंग अथॉरिटी को भी पक्षकार बनाया जाए। हम व्यापक दृष्टिकोण में जाना चाहते हैं।

जस्टिस कोहली का आदेश: रोहतगी ने कहा कि विज्ञापन के जरिय माफीनामा दिया गया है। हम निर्देश देते हैं कि इससे संबधित दस्तावेज रेकॉर्ड पर दो दिनों में पेश किया जाए। हम मामले में सिर्फ प्रतिवादी तक सीमित नहीं हैं। अन्य एफएमसीजी ने भी गुमराह करने वाले विज्ञापन दिए हैं। इसमें खासकर बच्चों, स्कूल जाने वाले बच्चों और सीनियर सिटिजन से संबंधित विज्ञापन है। हम सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लाइसेंसिंग अथॉरिटी को पक्षकार बनाते हैं। साथ ही उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय आदि को भी पक्षकार बनाने की जरूरत है। 2018 के बाद से मिनिस्ट्री ने इस मामले में क्या एक्शन लिया है उस पर हलफनामा दे। पतंजलि मामले में सुनवाई 30 अप्रैल को और व्यापक मसले पर सुनवाई 7 मई को होगी।

क्या है यह पूरा मामला

सुप्रीम कोर्ट में आईएमए (इंडियन मेडिकल एसोसिएशन) की ओर अर्जी दाखिल कर पतंजलि के खिलाफ वेक्सिनेशन अभियान और मॉडर्न मेडिसिन के खिलाफ मुहिम चालने का आरोप लगाया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कोर्ट के आदेश के बावजूद जवाब दाखिल नहीं किए जाने पर आपत्ति जताई थी। सुप्रीम कोर्ट ने योग गुरु रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के एमडी आचार्य बालकृष्ण की ओर से बिना शर्त माफी मांगने के लिए दायर किए गए हलफनामे को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने कहा था कि जब हमने रामदेव और बालकृष्ण को पेश होने के लिए कहा था तो उन्होंने उससे भी बचने की कोशिश की थी। बाद में रामदेव और बालकृष्ण को इस बात की इजाजत दी थी कि वह मामले में पब्लिक में माफीनामा पेश करें।

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