चंडीगढ़, 6 जुलाई (The News Air)
पंजाब में विधानसभा के चुनाव होने में क़रीब 7-8 महा ही बाकी बचे हैं, परन्तु उससे पहले ही पंजाब कांग्रेस दो दलों वितरित हो गई है, जिसे कांग्रेस हाईकमान हल करने में हर संभव कोशिश कर रही है। कांग्रेस में यह लड़ाई मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और उनको चुनौती देने नवजोत सिंह सिद्धू के आमने-सामने आने के कारण ही पैदा हुई है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक़ दोनों ही नेताओं के बीच पैदा हुए विवाद को ख़त्म करवाने के लिए दिल्ली में पार्टी आलाकमान को एक 3 सदस्यों की समिति गठित करनी पड़ी थी। यहाँ तक की संकट के सही आकलन के लिए राज्य के क़रीब 150 नेतागणों को पिछले माह दिल्ली में बुलाया गया था।
उसके उपरांत ही राज्य इकाई दिल्ली के अगले आदेशों का इंतज़ार कर रही है। पंजाब में वर्तमान समय में 117 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के पास 80 सीटें हैं।
अप्रैल माह की शुरुआत में श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की कथित बेअदबी मामले में प्रदर्शनकारियों पर कोटकपुरा पुलिस फायरिंग में अकाली दल सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री स. परकाश सिंह बादल को हाईकोर्ट की ओर से क्लीन चिट देने से भी राजनीतिक संकट पैदा हो गया था।
2019 में मंत्रिमंडल में फेरबदल और अपना पोर्टफोलियो गवाने के बाद कैबिनेट छोड़कर बेहद शांत रहे नवजोत सिद्धू पहली बार खुलकर सामने आए और जांच में लापरवाही के लिए कैप्टन अमरिंदर सिंह की आलोचना की। इस उपरांत कई मंत्री उनके साथ भी आ गए।
कुछ ही दिनों में राजनीतिक तापमान तब और ज़्यादा गर्म हो गया जब नवजोत सिद्धू ज़मीनी स्तर पर पंजाब सरकार के खिलाफ कई शिकायतें उठाने लगे, जिसमें कथित दोषपूर्ण बिजली ख़रीद समझौतों के कारण उच्च बिजली शुल्क, नौकरियों की बेहद कमी, नशा तस्करों के खिलाफ निष्क्रियता के आरोप और मुख्यमंत्री तक पहुंच न होना आदि शामिल था।
69 विधान सभा सीटों वाले मालवा क्षेत्र के कई विधायकों ने इंडियन एक्सप्रेस को जानकारी देते बताया कि पार्टी को बेअदबी के दोषियों को सख्त सज़ा देना चाहिए। फरीदकोट के विधायक कुशलदीप सिंह ढिल्लों ने कहा, ‘इस मुद्दे ने अकालियों को बर्बाद कर दिया। अगर हम सही और ठोस कदम नहीं उठाते तो हमें इसकी क़ीमत चुकानी पड़ेगी.’
बता दें कि माझा और दोआबा क्षेत्रों में क्रमश: 25 और 23 सीटें हैं।
जिला संगरूर के धूरी हलके से पहली बार विधायक बने दलवीर सिंह गोल्डी ने बताया कि आम धारणा यह है कि मामले की जांच कर रही एस.आई.टी. के प्रमुख कुंवर विजय प्रताप सिंह की निगरानी किसी ने नहीं की।
दलवीर गोल्डी ने कहा कि यह अजीब है कि पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा एसआईटी को रद्द करने के तुरंत बाद ही उन्होंने पुलिस बल छोड़ दिया और आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए।
अब तक लड़ा गया अपना हर चुनाव जीतने वाले मालवा के एक वरिष्ठ विधायक ने बताया कि उन्होंने तीन सदस्यीय पैनल को स्पष्ट कह दिया है कि अगर पार्टी ने अपने वायदों को पूरा नहीं किया, तो वह अगले वर्ष चुनाव नहीं लड़ेंगे।
एक अन्य विधायक ने सहमति प्रगट करते कहा, ‘यदि आप अपने सामने एक कुआँ देखते हैं, तो क्या आप कूदेंगे?’
बिजली कटौती के विरोध का ज़िक्र करते हुए दोआबा के एक विधायक ने पूछा, ‘क्या बिजली विभाग को नहीं पता था, कि एक बिजली संयंत्र को बंद किया जा रहा है और धान के मौसम में बिजली की अधिक मांग होगी? बिजली विभाग मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के पास है।’
इसके अलावा, राज्य भर में पहुंच न होने और लालफीताशाही की शिकायतें गूंजती रहीं हैं। कुछ युवा विधायकों ने शिकायत की है कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और उनके अधिकारियों से मिलना बिल्कुल आसान नहीं है।
मालवा में एक राजनीतिक परिवार के एक विधायक ने कहा, ‘मैं एक विरासत के साथ पैदा होने के लिए भाग्यशाली हूं, मेरे संपर्क हैं, मैं अपना रास्ता बना सकता हूं लेकिन दूसरों का नहीं.’
विधायक ने कहा, ‘मैं समझ सकता हूं कि मुख्यमंत्री को केंद्र और अन्य मामलों से निपटना है,परन्तु इन मंत्रियों का क्या?’
कई विधायकों ने लोकलुभावन वायदों को लेकर असंतोष ज़ाहिर किया। 2 विधायकों फ़तेह ज़ंग सिंह बाजवा और राकेश पांडे के बेटों को नौकरी दिए जाने के विवाद पर एक विधायक ने कहा, ‘प्रशांत किशोर (चुनावी रणनीतिकार) ने घर-घर रोज़गार का नारा दिया था, परन्तु इसका ख़ामियाज़ा हमें भुगतना पड़ता है। नौकरियां कहां हैं? और कैप्टन अमरिंदर सिंह ने एक धनी विधायक के बेटे को इंस्पैक्टर की नौकरी देकर लोगों के ज़ख़मों पर नमक छिड़कने का काम किया है।’
हालांकि इन सबके बीच नवजोत सिद्धू को संतुष्ट कैसे किया जाए, इसका जवाब किसी के पास भी नहीं है।
प्रदेश अध्यक्ष का पद विकल्प होने के सवाल पर दोआबा के गढ़शंकर से एक पूर्व विधायक लव कुमार गोल्डी कहते हैं, ‘हम शुद्ध कांग्रेस कार्यकर्ता हैं, हम जीवन भर पार्टी के लिए काम करते रहे हैं। फिर भी आपके पास भाजपा, आप और अकाली दल से पैराशूटिंग करने वाले लोग हैं और हमारे हिस्से को खाकर मंत्री पद प्राप्त कर रहे हैं।’
कुछ लोग नवजोत सिद्धू के मिज़ाज से सावधान भी हैं। नवजोत सिद्धू के क़रीबी जालंधर के एक विधायक ने बताया कि कैसे हाल ही में एक बैठक में, उन्होंने पूर्व क्रिकेटर को बताया कि अगर उन्होंने पहले ही कॉल लेना बंद कर दिया है, अगर वह सीएम बन गए तब क्या होगा।
लुधियाना के एक अन्य विधायक ने कहा कि नवजोत सिद्धू को स्पीकर के रूप में रखा जाना चाहिए, क्योंकि लोग उन्हें सुनना बेहद पसंद करते हैं।
अमलोह के विधायक रणदीप नाभा ने किसी का नाम लिए बिना आगाह किया कि ‘व्यक्तित्व आधारित और प्रतिशोधी राजनीति विकास के लिए एक बाधा है।’
इस बीच जो बात स्पष्ट तौर पर सामने है वो यह कि व्यापक बदलाव की कोई मांग नहीं है। इस अख़बार द्वारा जिन भी विधायकों से बात की गई, उनमें से अधिकतर ने बताया कि उनके विधानसभा क्षेत्रों के लिए उनके पास पर्याप्त फ़ंड हैं। कुछ ने बताया कि ‘कैप्टन साहेब’ ने हाल में नए ग्रांट जारी किए थे।
मालवा में कैप्टन अमरिंदर सिंह के एक आलोचक का कहना था कि उन्हें ‘दोबारा कैप्टन के आने से कोई परेशानी नहीं है जब तक वह अपने वायदे पूरे करते रहे और उन तक पहुंच बनी रहे।’
लुधियाना के एक विधायक ने बताया कि उनकी आधी परेशानियां ख़त्म हो जाएंगी अगर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर हफ़्ते में दो-तीन बार अपने कार्यालय में आने लगें। उन्होंने कहा, ‘हमें उनसे परेशानी नहीं है, लेकिन उनके आसपास की मंडली से परेशानी है। उन्होंने अपने अधिकारियों को निरंकुश ताक़त दे रखी है, जिससे लालफीताशाही को बढ़ावा मिल रहा है।
लुधियाना में पंजाब कैडर के पूर्व आईएएस और गिल से विधायक कुलदीप वैद कैप्टन अमरिंदर सिंह को ‘क़ाबिल प्रशासक’ बताते हैं। दोआबा के एक दलित नेता कहते हैं कि नवजोत सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर 2 बेहद अलग इंसान हैं। उन्होंने कहा, ‘कैप्टन बुद्धिजीवी हैं, क़िताबें लिखते हैं, सांप्रदायिक सद्भावना के संरक्षक हैं। हां, उनसे मिलना आसान नहीं है, लेकिन इस समय ऐसा कौन है जो उनकी जगह ले सकता है?’
दोआबा के सुल्तानपुर लोधी के विधायक नवतेज चीमा कहते हैं, ‘हम नहीं चाहते कि पार्टी आलाकमान हमारे सिर पर किसी नए आदमी को बैठा दे।’
कइयों को उम्मीद है कि बातचीत से इस मुश्किल का समाधान निकल आएगा। उल्लेखनीय है कि बीते 30 जून को नवजोत सिद्धू ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी के साथ लंबी बैठक भी की थी।
माना जा रहा है कि इन बैठकों में कांग्रेस आलाकमान की ओर से नवजोत सिद्धू को पार्टी या संगठन में सम्मानजनक स्थान की पेशकश के साथ मनाने का हर संभव प्रयास किया गया।
सूत्रों की माने तो मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ नवजोत सिद्धू के सख्त रूख को देखते हुए कांग्रेस आलाकमान दोनों नेताओं के लिहाज़ से संतोषजनक समाधान निकालने का हर संभव प्रयास कर रहा है और इसका फार्मूला जल्द ही जनता के सामने आ सकता है।
इस बैठक के उपरांत कांग्रेस के पंजाब प्रभारी हरीश रावत ने दोहराया था कि इस मामले का 8-10 जुलाई तक समाधान निकल सकता है, परन्तु अब यह भी ख़बरें आ रही है कि पंजाब प्रभारी हरीश रावत ने पंजाब कांग्रेस के अंदरूनी कलह से तोबा कर ली है और पंजाब प्रभारी से इस्तीफ़ा देना चाहते हैं।