कानपुर 15 फरवरी (The News Air) उत्तर प्रदेश के बेहमई हत्याकांड में आखिरकार न्यायालय का फैसला आ गया है। 20 लोगों को कतार में खड़ा कर गोलियों से भून डालने के जघन्य अपराध पर फैसला सुनाने में न्यायालय को 43 साल लग गए। घटना में 14 फरवरी 1981 को फूलन देवी और उसके साथियों ने 20 लोगों को गोलियां से भून डाला था।
36 आरोपियों में से फूलन देवी समेत 33 पहले ही मृत : बेहमई हत्याकांड में कोर्ट का फैसला सुना दिया गया है। हालांकि 43 साल बाद आए इस फैसले में 36 आरोपियों में से फूलन देवी समेत 33 आरोपियों की मौत पहले ही हो चुकी है। एक आरोपी श्यामबाबू को उम्रकैद की सजा और 50 हजार जुर्माना लगाया गया है। जबकि एक अन्य आरोपी विश्वनाथ को घटना के दौरान नाबालिग मानकर छोड़ दिया गया था।
कानपुर देहात बेहमई हत्याकांड : 14 फरवरी 1981 को फूलन देवी और उसके साथी डकैत मुस्तफीम, रामप्रकाश और लल्लू गैंग के 36 डकैतों ने कानपुर देहात के बेहमई गांव में घेरा लिया था।गावं में जमकर लूटपाट की गई। घर में घुसकर जितने भी पुरुष थे सभी को घसीटकर बाहर लाया गया। गांव के करीब 26 पुरुषों को टीले पर ले जाकर खड़ा कर दिया गया। इसके बाद फूलन देवी और और उसके साथियों ने लगातार 5 मिनट तक गोलियां बरसाईं जिसमें 20 लोगों की मौत हो गई। हत्याकांड के बाद सभी डकैत फरार हो गए। घटना के बाद रात भर गांव में औरतों की चीख पुकार सुनाई देती रही।
फूलन के चाचा ने हड़प ली थी जमीन : फूलन देवी के चाचा के बेटे उसके पिता की जमीन हड़प ली थी। फूलन 10 साल की थी लेकिन इस अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाई। बाद में उसकी शादी 11 साल की उम्र में कर दी गई। हालांकि बाद में फूलन उसे छोड़कर अपनी बहन के घर रहने लगी। इस बीच उसके चचेरे भाई ने उसे डकैती के मामले में फंसा दिया।
जातियों के संघर्ष का शिकार बनी फूलन: बीहड़ में डकैतों के बीच जातिगत संघर्ष भी पनप रहा था। बाबू गुज्जर के श्री राम और लल्ला राम भी फूलन बाबू गुज्जर गैंग में थे लेकन मल्लाह के नेतृत्व से असंतुष्ट थे। उन्होंने फूलन को बंधक बनाकर गैंगरेप किया फिर नग्न कर गांव में घुमाया। बाद में फूलन बेहमई से भागने में सफल रही और फिर अपना गैंग बना लिया।