मिश्रा ने कहा कि इस तरह के आंदोलन किसानों के प्रति ‘नकारात्मक भावनाओं’ को जन्म देते हैं और अपनी बेहतरी के लिए संघर्ष कर रहे किसानों को इसका ‘परिणाम’ भुगतना पड़ता है। उन्होंने कहा, ‘इसलिए बीकेएस हिंसक आंदोलन का समर्थन नहीं करता। हम आग्रह करते हैं कि जो लोग अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं पूरी करना चाहते हैं उन्हें ऐसा करना जारी रखना चाहिए लेकिन उन्हें समाज में किसानों के प्रति नकारात्मक भावना नहीं पैदा करनी चाहिए।’
मिश्रा ने कहा, ‘बीकेएस, लागत के आधार पर किसानों की उपज का लाभकारी मूल्य देने की मांग को लेकर ‘लगातार’ संघर्ष करता आ रहा है और जब सरकार के साथ बातचीत से कोई समाधान नहीं निकलता तब आंदोलन करता है।’ उन्होंने कहा, ‘हम लागत के आधार पर किसानों को लाभकारी मूल्य देने की मांग करते हैं, जो किसान का अधिकार है। साथ ही कृषि में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों पर जीएसटी भी खत्म किया जाना चाहिए। किसान सम्मान निधि बढ़ाई जानी चाहिए और जीएम (जीन संबंधित) बीज की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।’ मिश्रा ने कहा कि दुख होता है जब ‘राजनीतिक मंशा रखने वाले कुछ लोग’ अपने ‘राजनीतिक हितों’ के लिए किसानों का इस्तेमाल करते हैं।
उन्होंने वर्ष 2017 में मध्य प्रदेश के मंदसौर में किसानों के विरोध प्रदर्शन और 2020-21 में दिल्ली में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन का हवाला देते हुए कहा, ‘भारतीय किसान संघ का मानना है कि जब किसानों के नाम पर कोई राजनीतिक आंदोलन किया जाता है, तो नुकसान केवल किसानों को ही होता है।’ मिश्रा ने कहा, ‘इसलिए बीकेएस का आग्रह है कि किसानों के नाम पर राजनीतिक और चुनावी तिकड़मबाजी बंद की जानी चाहिए। ‘ बीकेएस महासचिव ने कहा कि किसानों के हित में उनकी समस्याओं के समाधान के लिए विभिन्न संगठन लगातार संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘चाहे सरकार किसी की भी हो, वे संगठन किसानों की समस्याओं का समाधान ढूंढ रहे हैं।’ मिश्रा ने कहा, ‘आज बीज और बाजार किसानों की मुख्य समस्या है। चाहे बाजार के अंदर हो या बाहर, बीज और बाजार को लेकर किसानों का शोषण बंद होना चाहिए।’