नई दिल्ली,13 सितंबर,(The News Air): सिनेमा देखने का मजा तब तक नहीं आता है, जब तक कि इसमें कुछ चौंकाने वाला न हो। हालांकि, फिल्म ‘द बकिंघम मर्डर्स’ देखने से ज्यादा चौंकाने वाली बात रही इसे देखकर थियेटर से बाहर निकलने के दौरान हुआ एहसास। गुरुवार रात फिल्म का प्रेस शो खत्म होने के बाद बताया गया कि इसके रिव्यू पर शुक्रवार दोपहर 12 बजे तक एम्बार्गो है। लेकिन, जैसे ही सिनेपोलिस से गाड़ी लेकर मैं मुख्य सड़क पर बाएं मुड़ा, सामने दर्जनभर से ज्यादा स्टार रेटिंग्स के साथ फिल्म ‘द बकिंघम मर्डर्स’ का विशालकाय होर्डिंग जैसे मुझे चौंकाने के लिए ही हाजिर था। सिनेमा और सियासत दोनों इन दिनों एक जैसे संवेदनशील होते जा रहे हैं। दोनों पर लिखना रस्सी पर करतब दिखाने वाले नट जैसा हो गया है। और, सिनेमा तो है ही एक तरह के नाटक को कैमरे के जरिये दर्शकों तक पहुंचाना।
जिम्मेदारी निभाई होती तो बहराइच की घटना नहीं होती: मायावती
उत्तर प्रदेश,15 अक्टूबर (The News Air): बहुजन समाज पार्टी (BSP) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने बहराइच की घटना को लेकर सरकार...