Delhi Riots 2020 के मुख्य आरोपी और पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन (Tahir Hussain) को 5 साल बाद Supreme Court से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने ताहिर हुसैन को चुनाव प्रचार के लिए 6 दिनों की कस्टडी पैरोल दी है, लेकिन इस पैरोल पर सख्त शर्तें भी लगाई हैं। हर दिन जेल से बाहर रहने के लिए ताहिर को ₹2 लाख का खर्च वहन करना होगा। कोर्ट ने उसे घर जाने की इजाजत नहीं दी है और प्रचार के दौरान केस पर बात करने पर भी रोक लगाई है।
ताहिर हुसैन को SC से मिली 6 दिन की कस्टडी पैरोल
Supreme Court ने ताहिर हुसैन को 29 जनवरी से 3 फरवरी तक हर दिन 12 घंटे जेल से बाहर रहने की इजाजत दी है। लेकिन यह राहत आसान नहीं है, क्योंकि इस दौरान:
- ताहिर को हर दिन ₹2 लाख का खर्च खुद वहन करना होगा।
- जेल से बाहर केवल प्रचार और पार्टी कार्यों के लिए रह सकेगा।
- सूरज ढलने से पहले उसे जेल में वापस लौटना होगा।
- प्रचार के दौरान वह अपने खिलाफ चल रहे केस पर किसी भी तरह की टिप्पणी नहीं करेगा।
पैरोल की शर्तें और प्रचार की सीमाएं
सुप्रीम कोर्ट ने ताहिर हुसैन के चुनाव प्रचार को लेकर कुछ सख्त दिशा-निर्देश दिए हैं:
- पुलिस सुरक्षा अनिवार्य: ताहिर को जेल से बाहर रहने के दौरान पूरी तरह पुलिस सुरक्षा में रहना होगा।
- घर जाने की मनाही: वह अपने मुस्तफाबाद (Mustafabad) स्थित आवास पर नहीं जा सकेगा। जरूरत पड़ने पर होटल में रह सकता है।
- केस पर चुप्पी: प्रचार के दौरान वह अपने खिलाफ चल रहे केस या दंगों से जुड़े मुद्दों पर कुछ भी नहीं बोलेगा।
- सुरक्षा खर्च का भुगतान: हर दिन ₹2 लाख का खर्च अडवांस में जमा करना होगा।
2020 के दिल्ली दंगों में ताहिर हुसैन की भूमिका
उत्तर-पूर्वी दिल्ली (North-East Delhi) में 24 फरवरी 2020 को हुए दंगों में 53 लोगों की मौत हुई थी और कई घायल हुए थे।
- ताहिर हुसैन पर खुफिया ब्यूरो (IB) के कर्मचारी अंकित शर्मा (Ankit Sharma) की हत्या में शामिल होने का आरोप है।
- 2020 में यह मामला सामने आने के बाद ताहिर को AAP (Aam Aadmi Party) से बर्खास्त कर दिया गया था।
- अब ताहिर Asaduddin Owaisi की पार्टी AIMIM (All India Majlis-e-Ittehad-ul-Muslimeen) के टिकट पर मुस्तफाबाद विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला और उसकी प्रक्रिया
ताहिर हुसैन ने अंतरिम जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।
- पहले यह मामला दो जजों की बेंच में सुनवाई के दौरान खंडित हो गया था।
- इसके बाद जस्टिस विक्रम नाथ (Justice Vikram Nath), जस्टिस संजय करोल (Justice Sanjay Karol) और जस्टिस संदीप मेहता (Justice Sandeep Mehta) की तीन जजों की बेंच ने यह आदेश जारी किया।
- सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि दिल्ली हाई कोर्ट को इस मामले पर मेरिट के आधार पर फैसला करना चाहिए।
क्या है AIMIM और ताहिर हुसैन की योजना?
AIMIM ने ताहिर हुसैन को मुस्तफाबाद (Mustafabad) सीट से टिकट देकर एक साहसिक कदम उठाया है।
- ताहिर का प्रचार मुहिम मुख्य रूप से मुस्लिम बहुल इलाकों पर केंद्रित होगी।
- पार्टी का मानना है कि ताहिर की छवि उनके कोर वोट बैंक को मजबूत कर सकती है।
- हालांकि, कोर्ट के सख्त दिशा-निर्देशों के चलते ताहिर के प्रचार अभियान की पहुंच सीमित रहेगी।
निवेदन और सुझाव
ताहिर हुसैन को दी गई यह पैरोल चुनाव प्रचार के लिए एक मौका है, लेकिन इसके साथ कोर्ट की शर्तों का पालन करना भी अनिवार्य है।
- जनता और राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मामला आने वाले चुनावों में एक अहम मुद्दा बन सकता है।
- सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने यह भी सुनिश्चित किया है कि न्याय प्रक्रिया प्रभावित न हो।
ताहिर हुसैन को 6 दिन की कस्टडी पैरोल मिलना एक बड़ी खबर है, लेकिन इसके साथ कोर्ट की सख्त शर्तों ने इस पैरोल को सीमित कर दिया है। ताहिर के चुनाव प्रचार और उनके खिलाफ चल रहे केस के बीच यह मामला लगातार सुर्खियों में बना रहेगा। मुस्तफाबाद सीट (Mustafabad Seat) पर AIMIM की रणनीति और ताहिर की छवि पर यह पैरोल क्या असर डालेगी, यह देखने वाली बात होगी।
Disclaimer: यह लेख केवल जानकारी के उद्देश्य से है। कोर्ट और केस से जुड़े सभी निर्णय न्यायिक प्रक्रिया पर निर्भर करते हैं।