इसके पहले भी वे केंद्रीय मंत्रिमंडल (Union Cabinet) में रह चुकी और दिल्ली की मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी भी निभाई। वे सन 2009 के लोकसभा चुनावों के लिये बीजेपी के 19 सदस्यीय चुनाव-प्रचार-समिति की अध्यक्ष भी रही थीं। वह सुप्रीम कोर्ट में कुछ समय के लिए अधिवक्ता के रूप में भी काम किया था। 13 जुलाई 1975 को उनका विवाह स्वराज कौशल के साथ हुआ। जो सर्वोच्च न्यायालय में उनके सहकर्मी और साथी अधिवक्ता थे। कौशल बाद में छह साल तक राज्यसभा में सांसद रहे, और इसके अतिरिक्त वे मिजोरम प्रदेश के राज्यपाल भी रह चुके हैं।
ऐसे शुरू हुआ राजनीतिक कैरियर
अम्बाला छावनी में जन्मी सुषमा स्वराज ने एसडी कालेज अम्बाला छावनी से बीए तथा पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ से कानून की डिग्री ली। पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने पहले जयप्रकाश नारायण के आंदोलन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। आपातकाल का पुरजोर विरोध करने के बाद वे सक्रिय राजनीति से जुड़ गयीं। वर्ष 2014 में उन्हें भारत की पहली महिला विदेश मंत्री होने का अवसर मिला।
पहली महिला प्रवक्ता का मिला दर्जा
दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री और देश में किसी राजनीतिक दल की पहली महिला प्रवक्ता बनने की उपलब्धि भी उन्हीं के नाम दर्ज है। वे तीन साल तक लगातार एसडी कालेज छावनी की एन सी सी की सर्वश्रेष्ठ कैडेट और तीन साल तक राज्य की सर्वश्रेष्ठ हिन्दी वक्ता भी चुनी गईं। उनके बेबाक इंताज और हिंदी भाषा पर अच्छी पकड़ होने के नाते बीजेपी में उन्हें प्रवक्ता का दर्जा भी प्राप्त था।
परिवार मूल पाकिस्तान का है
अम्बाला छावनी में हरदेव शर्मा तथा लक्ष्मी देवी के घर उनका जन्म हुआ था उनके पिता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख सदस्य रहे थे। स्वराज का परिवार मूल रूप से लाहौर के धरमपुरा क्षेत्र का निवासी था, जो अब पाकिस्तान में है। उन्होंने अम्बाला के सनातन धर्म कॉलेज से संस्कृत तथा राजनीति विज्ञान में स्नातक किया। 1970 में उन्हें अपने कालेज में सर्वश्रेष्ठ छात्रा के सम्मान से सम्मानित किया गया था।
हिंदी पर शानदार पकड़, संस्कृत में लेतीं थीं शपथ
सुषमा स्वराज की हिन्दी पर बड़ी शानदार पकड़ थी। उनकी हिंदी में तत्सम शब्द अधिक होते थे। फिर भी उनकी भाषा बनावटी नहीं लगती थी। विदेश मंत्री रहते हुए सुषमा स्वराज ने अपने एक चर्चित भाषण में सितम्बर 2016 में सयुंक्त राष्ट्र में हिन्दी में ही भाषण दिया था।उनके इस भाषण की पूरे देश में चर्चा हुई थी। संस्कृत से भी उनका विशेष प्रेम था। वे सदा संस्कृत में शपथ लेतीं थीं।