मुंबई, 16 जुलाई (The News Air)
‘दादी सा’ बनकर घर-घर मशहूर हुईं सुरेखा सीकरी के निधन की ख़बर आते ही फ़िल्म और टीवी इंडस्ट्री में शोक की लहर छा गई। शुक्रवार की सुबह कार्डिएक अरेस्ट से सुरेखा का मुंबई में निधन हो गया। वह 75 साल की थीं। थियेटर, टीवी या फिर फ़िल्में, सुरेखा सीकरी ने हर जगह छाप छोड़ी। उनके करियर में उन्हें 3 बार राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार सहित कई अवॉर्ड मिले। ‘बालिका वधू’ में ‘दादी सा’ हों या ‘बधाई हो’ में उनका सास का अवतार, हर किरदार को उन्होंने दमदार तरीक़े से निभाया। उनके बगैर आज उस किरदार की कल्पना भी नहीं हो सकती।
सुरेखा सीकरी का जन्म 19 अप्रैल 1945 को हुआ। उनका परिवार मूलत: उत्तर प्रदेश का रहने वाला था। सुरेखा ने अपना बचपन अल्मोड़ा और नैनीताल में बिताया। उनके पिता भारतीय वायुसेना में थे और उनकी मां एक अध्यापिका थीं। अभिनय में रुचि को देखते हुए 1971 मे सुरेखा सीकरी ने नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा से ग्रेजुएशन किया। सुरेखा को 1989 में संगीत नाटक अकादमी अवॉर्ड से नवाज़ा गया।
उम्दा अभिनय की वजह से सुरेखा सीकरी को 3 बार राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार मिला। ‘तमस’ (1988), ‘मम्मो’ (1995) और ‘बधाई हो’ (2018) के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला। ‘बधाई हो’ से सुरेखा को काफ़ी फेम मिला। फ़िल्म में आयुष्मान खुराना, नीना गुप्ता और गजराज राव की मुख्य भूमिका थी।
सुरेखा सीकरी ने हेमंत रेगे से शादी की थी। उनके एक बेटा राहुल सीकरी हैं, जो कि मुंबई में एक आर्टिस्ट के तौर पर काम करते हैं। अक्टूबर 2009 में हेमंत रेगे का निधन हो गया। कम लोगों को पता होगा कि सुरेखा सीकरी और नसीरुद्दीन शाह रिश्तेदार रह चुके हैं। दरअसल सुरेखा की बहन मनारा सीकरी, नसीरुद्दीन शाह की पहली पत्नी थीं। मनारा को परवीन मुराद के नाम से जाना जाता है। वह अब इस दुनिया में नहीं हैं। मनारा और नसीरुद्दीन की एक बेटी हीबा शाह हुईं। हीबा भी एक अभिनेत्री हैं।
सुरेखा सीकरी ने अपने करियर की शुरुआत 1978 में पॉलिटिकल ड्रामा फ़िल्म ‘क़िस्सा कुर्सी का’ से की। उनकी मुख्य फ़िल्मों में ‘क़िस्सा कुर्सी का’, ‘तमस’, ‘सलीम लंगड़े पे मत रो’, ‘मम्मो’, ‘सरदारी बेग़म’, ‘सरफरोश’, ‘जुबैदा’, ‘बधाई हो’ और ‘घोस्ट स्टोरीज’ हैं। सुरेखा ने ‘बालिका वधू’ के अलावा सीरियल ‘एक था राजा एक थी रानी’, ‘सात फेरे’, ‘बनेगी अपनी बात’ और ‘सीआईडी’ में भी काम किया।