AI Impact on Jobs के खतरे को लेकर अब भारत के सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने भी चिंता जताई है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) के बढ़ते प्रभाव से जहां नई सुविधाएं सामने आ रही हैं, वहीं बेरोजगारी की समस्या भी गंभीर होती जा रही है। मंगलवार को एक केस की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस सूर्यकांत (Justice Suryakant) और जस्टिस एनके सिंह (Justice NK Singh) की बेंच ने स्पष्ट रूप से कहा कि भविष्य में ड्राइवरों का काम AI द्वारा किया जाएगा, जिससे बड़े पैमाने पर लोग बेरोजगार हो सकते हैं।
सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) से ड्राइवरों के रोजगार पर गंभीर असर पड़ सकता है। जस्टिस सूर्यकांत ने मजाकिया अंदाज में यह भी कहा कि AI तो वकीलों को भी चुनौती दे रहा है। अब ऐसे टूल आ गए हैं जिनसे कानूनी सलाह भी आसानी से ली जा सकती है। उन्होंने कहा कि अमेरिका (America) में AI आधारित एडवोकेट टूल्स का बड़े स्तर पर उपयोग हो रहा है और भारत में भी इसी दिशा में तेजी देखी जा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ड्राइवर और वकीलों जैसे पेशों पर AI का प्रभाव आने वाले समय में और गहरा हो सकता है।
भारत (India) के बड़े उद्योगपति भी पहले से ही AI के खतरे को लेकर अपनी चिंताएं जाहिर कर चुके हैं। खासतौर पर कॉन्टेंट राइटिंग (Content Writing), कंसल्टेंसी (Consultancy) जैसे व्यवसायों पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका जताई जा रही है। सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी इस बात की पुष्टि करती है कि AI से जुड़े खतरों को अब न सिर्फ तकनीकी जगत बल्कि न्यायपालिका भी गंभीरता से ले रही है।
यह मामला इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (Electric Vehicles) को बढ़ावा देने के लिए नीति बनाने से जुड़ी एक जनहित याचिका (PIL) की सुनवाई के दौरान सामने आया। वकील प्रशांत भूषण (Prashant Bhushan) ने अदालत में कहा कि भारत के 15 सबसे प्रदूषित शहरों में से 14 भारत के ही हैं। ऐसे में इलेक्ट्रिकल वीकल्स को तेजी से बढ़ावा देना जरूरी है। उन्होंने सरकार से मांग की कि वह इस दिशा में तत्काल नीति बनाए।
प्रशांत भूषण ने यह भी कहा कि यदि सरकार आगे नहीं बढ़ेगी तो अन्य विभाग भी पीछे रह जाएंगे। उन्होंने यह तर्क दिया कि 400 किलोमीटर की दूरी पर एक बार ही इलेक्ट्रिक व्हीकल्स चार्जिंग स्टेशन (EV Charging Station) मिल पाते हैं, जो विकास में बाधा बन रहा है। दूसरी ओर, अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमानी (Attorney General R. Venkataramani) ने सरकार का पक्ष रखते हुए अदालत से कुछ समय मांगा ताकि सरकार की नीति को स्पष्ट किया जा सके।
अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 14 मई की तारीख तय कर दी है। फिलहाल, सुप्रीम कोर्ट द्वारा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) से जुड़े खतरों पर जताई गई चिंता भविष्य में रोजगार बाजार में बड़े बदलावों के संकेत दे रही है।