चंडीगढ़, 9 जून
SAD-BSP: जैसे-जैसे 2022 के चुनाव नज़दीक आ रहे हैं वैसे-वैसे पंजाब में राजनीतिक पार्टियों ने ज़मीनी स्तर पर अपनी सियासी सरगरमियों को तेज़ कर दिया है। चाहे वो शिरोमणि अकाली दल पार्टी हो, कांग्रेस पार्टी हो, आम आदमी पार्टी हो, भाजपा हो, बसपा हो या फिर कोई अन्य। इसी बीच पंजाब के सियासी गलियारों में ख़ूब चर्चा हो रही है कि शिरोमणि अकाली दल (बादल) अब बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के साथ मिलकर 2022 में होने वाली विधानसभा चुनाव लड़ सकता है।
बता दें कि पंजाब में दलितों का करीब 35 फीसदी वोट बैंक है और शिरोमणि अकाली दल (बादल) के प्रधान सुखबीर सिंह बादल ने चुनाव जीतने के उपरांत दलित समुदाय से डिप्टी सीएम बनाने की घोषणा की हुई है। दोनों ही राजनीतिक दल पिछले कई दिनों से गठबंधन पर विचार-विमर्श कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार बताया जा रहा है कि दोनों दलों के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर गठबंधन होने में अड़चन अ रही है। सूत्रों के मुताबिक़ शिरोमणि अकाली दल (बादल) बसपा को 117 में से 18 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कह रहा है, जबकि बसपा करीब 40 सीटों पर चुनाव लड़ने की मांग कर रहा है।
मीडिया में जारी किए एक बयान में बसपा के पंजाब प्रभारी रणधीर सिंह बैनीपाल ने कहा कि यदि बसपा की ओर से 40 सीटों पर चुनाव लड़ने की मांग को शिरोमणि अकाली दल (बादल) स्वीकार करता है तो गठबंधन हो सकता है, भले ही हम दो चार सीटों को छोड़नी भी पड़ी तो छोड़ देंगे। उधर शिरोमणि अकाली दल (बादल) के वरिष्ठ नेता दलजीत चीमा ने कहा है कि शिअद इस पर अभी अपनी रणनीति तैयार कर रही है।
बता दें कि किसान आंदोलन के चलते शिरोमणि अकाली दल (बादल) ने भाजपा से अपना गठबंधन तोड़ लिया है, जिसके उपरांत उसे दूसरे दल से राजनीतिक गठबंधन पर विचार-विमर्श करना पड़ रहा है।
अकाली दल और बसपा में गठबंधन की आहट से भाजपा भी सतर्क हो गई है और भाजपा की ओर से भी दलितों को लुभाने की कोशिशें शुरू कर दी गई हैं। भाजपा ने दलित नेता को मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा की है। पार्टी का कहना है कि इस कदम से दलितों की अनदेखी का मुद्दा सुलझ सकेगा। सियासी जानकारों का कहना है कि इस बार के विधानसभा चुनावों में दलितों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होगी। यही कारण है कि सभी सियासी दलों ने दलित वोट बैंक पर डोरे डालने शुरू कर दिए हैं। वैसे माना जा रहा है कि अकाली दल और बसपा ने हाथ मिलाकर इस दिशा में दूसरे सियासी दलों पर बढ़त बना ली है। जानकारों के मुताबिक इन दोनों दलों की ओर से जल्द ही गठबंधन का औपचारिक एलान कर दिया जाएगा।
दलित को डिप्टी सीएम बनाने का एलान- दलितों को लुभाने के लिए ही अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने बड़ा एलान भी किया है। उन्होंने कहा है कि चुनाव जीतने की स्थिति में वे दलित नेता को डिप्टी सीएम जैसे महत्वपूर्ण पद की जिम्मेदारी सौंपेंगे। पंजाब बसपा में अधिकांश नेता दलित ही है और माना जा रहा है कि बादल की घोषणा का लाभ बसपा के दलित नेता को ही मिलेगा। इसे दलितों का वोट पाने के लिए अकाली दल का बड़ा सियासी कदम बताया जा रहा है। अकाली दल नेतृत्व की ओर से प्रदेश की सभी 117 विधानसभा सीटों पर सर्वे भी कराया जा रहा है ताकि दलित नेताओं की असली ताकत का पता चल सके। इसके साथ ही अकाली दल अपनी पार्टी के नेताओं की ताकत का भी पता लगाने में जुटा हुआ है। माना जा रहा है कि इसी आधार पर पार्टी नेतृत्व की ओर से टिकट बांटे जाएंगे।