दिल्ली, 17 सितंबर (The News Air)
शिरोमणी अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने पार्टी के वरिष्ठ नेतृत्व के साथ तीनों कृषि अधिनियमों को तत्काल निरस्त करने के साथ साथ प्रमुख फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मल्य पर सुनिश्चित खरीद सुनिश्चित करने की कानूनी गांरटी देने की मांग की है।
सुखबीर सिंह बादल गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब से संसद तक तीनों कानूनों के पारित होने के एक साल बाद आयोजित विशाल विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे थे। दिल्ली पुलिस द्वारा लगाए गए कड़े प्रतिबंधों के बावजूद हजारों की संख्या में पार्टी कार्यकर्ता एकत्र हुए तथा गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब पर ‘अरदास’ करने के बाद संसद तक मार्च किया। वरिष्ठ नेतृत्व ने संसद से विरोध प्रदर्शन करते हुए काला दिवस पर गिरफ्तारियां दी।
पार्टी ने कार्यकारी मजिस्ट्रेट के माध्यम से प्रधानमंत्री को ज्ञापन सौंपा। इसमें केंद्र से मांग की गई कि काले कानूनों को निरस्त करने के अलावा, किसानों के जीवन को प्रभावित करने वाला कोई भी कानून लाने से पहले उनके साथ परामर्श किया जाए।
इससे पहल सरदार सुखबीर सिंह बादल ने विरोध प्रदर्शन को संबोधित करते हुए कहा कि पार्टी तीनों कृषि अधिनियमों को निरस्त करने के लिए लगातार लड़ाई लड़ेगी। उन्होने पंजाबियों को यह भी आश्वासन दिया कि शिअद-बसपा गठबंधन की सरकार बनने के बाद पंजाब में इस अधिनियम को लागू नही किया जाएगा।
इस अवसर पर प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा , सरदार बलविंदर सिंह भूंदड़ और सरदारनी हरसिमरत कौर बादल सहित अकाली दल की वरिष्ठ लीडरशीप ने पार्टी वर्करों को राष्ट्रीय राजधानी पहुंचने से रोकने के लिए निंदा की। उन्होने कहा कि कुछ कार्यकर्ताओं को तो 20 किलोमीटर तक चलना पड़ा।
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के प्रदेश अध्यक्ष जसवीर सिंह गढ़ी ने कहा कि 2024 में केंद्र में नई सरकार बनने के बाद बसपा संसद में तीनों काले कानूनों को निरस्त करने के लिए प्रतिबद्ध है।
इससे पहले सरदार सुखबीर सिंह बादल ने विरोध प्रदर्शन करते हुए कहा कि शिरोमणी अकाली दल ने केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया और यहां तक कि किसानों के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए एनडीए के साथ बरसों पुराना गठबंधन छोड़ दिया था। उन्होने कहा कि सच्चाई यह थी कि डाॅ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने बिल संसद में पेश किया था। उन्होने कहा कि सरकार को विपक्ष के सामना करने के बाद पीछे हटना पड़ा था। ‘‘ पंजाब में कांग्रेस पार्टी ने बाद में निजी मंडियों को लाने के लिए एपीएमसी अधिनियम में संशोधन भी किया और कांग्रेस पार्टी के 2022 पार्टी घोषणा पत्र में राष्ट्रव्यापी करने का वादा किया था। उन्होने यह भी उदाहरण दिया कि कैसे मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह मुख्यमंत्रियों की सात सदस्यीय समिति का हिस्सा थे, जिन्होने इन तीनों कृषि अध्यादेशों को अंतिम रूप दिया था।
अकाली दल अध्यक्ष ने कहा कि जहां तक अकाली दल का सवाल है, यह एकमात्र विपक्षी दल था , जिसने संसद में तीनो कृषि विधेयकों का विरोध किया था। उन्होने कहा कि किसान नेताओं की अपील के बावजूद कि राजनीतिक दलों को कार्यवाही का बहिष्कार नही करना चाहिए, कांग्रेस पार्टी और आप दोनों ने तीनों विधेयकों का विरोध करने के बजाय संसद से वाकआउट करने का रास्ता चुना था।
बादल ने कहा कि अकाली दल को किसान हितैषी होने के बारे में किसी प्रमाण पत्र की आवश्यकता नही है। ‘‘ हम एकमात्र ऐसी पार्टी हैं, जिसने किसानों और उनके अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी है। हमने खेती के काम, पक्के पानी के चैनलों का निर्माण और किसानों को मुफ्त नहरी पानी के लिए मुफ्त बिजली देना सुनिश्चित किया था ’’।
बादल ने दिल्ली पुलिस के साथ साथ आप सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के बावजूद विरोध प्रदर्शन को सफल बनाने के लिए दिल्ली सिख प्रबंधन कमेटी का भी आभार व्यक्त किया। उन्होने दिल्ली के मुख्यमंत्रही अरविंद केजरीवाल द्वारा एसवाईएल मुददे सहित पंजाब के सभी मुददों पर दोहरे मापदंड अपनाने और यहां तक कि राज्य के थर्मल प्लांटों को चलाने का विरोध करने और पराली जलाने के लिए किसानों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग करने की भी निंदा की है।
हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि अगर एनडीए सरकार ने तीनों काले कानूनों को रदद नही किया तो वह न केवल पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में विधानसभा हारेगी, बल्कि 2024 में राष्ट्रीय चुनाव भी हार जाएगी। सरदार भूंदड़ और प्रो. चंदूमाजरा ने बताया कि किस तरह अकाली दल ने किसानों की आशंकाओं को उच्चतम स्तर पर उठाते हुए तीनों विधेयकों को पारित करने से रोकने का भरसक प्रयास किया है।
इस अवसर पर वरिष्ठ नेता गोबिंद सिंह लौंगोवाल, महेशइंदर सिंह ग्रेवाल, बिक्रम सिंह मजीठिया, गुलजार सिंह रणीके, डा. दलजीत सिंह चीमा, सुरजीत सिंह रखड़ा, जगमीत सिंह बराड़ , अनिल जोशी तथा हरमीत कालका भी मौजूद थे।