कोई तालाब में डूब मरा, किसी की गाड़ी पलटी और हो गया खेल…हिरासत के दौरान मौत और एनकाउंटर का इतिहास पढ़िए

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नई दिल्ली : यूपी के मंगेश यादव एनकाउंटर का विवाद अभी थमा भी नहीं था कि उसके साथी अनुज प्रताप सिंह भी एनकाउंटर में मारा गया। यूपी में एनकाउंटर का मामला गरम है ही, उधर महाराष्ट्र के बहुचर्चित बदलापुर यौन उत्पीड़न मामले के आरोपी अक्षय शिंदे का सोमवार को एनकाउंटर हो गया। पुलिस थिअरी के मुताबिक, उसने पुलिस अधिकारी की पिस्टल छीन कर फायरिंग की और जवाबी कार्रवाई में मारा गया। विपक्ष इसे फेक एनकाउंटर बता रहा है।भारत में एनकाउंटर और उन पर विवाद कोई नहीं बात नहीं है। राजनीतिक दल कभी धर्म तो कभी जाति देखकर फर्जी एनकाउंटर करने के आरोप भी लगाते हैं। आइए नजर डालते हैं, हाल के दिनों में हुए कुछ चर्चित एनकाउंटर्स पर।
बदलापुर कांड का आरोपी अक्षय शिंदे एनकाउंटर में ढेर

पिछले महीने महाराष्ट्र के बदलापुर में एक स्कूल की बच्चियों से दरिंदगी की घटना से जनाक्रोश भड़क गया। बड़ी तादाद में आक्रोशित लोग सड़क पर उतर गए। दबाव में आई एकनाथ शिंदे सरकार ने आनन-फानन में जांच समिति का गठन किया। आरोपी अक्षय शिंदे 1 अगस्त को ही स्कूल में संविदा कर्मचारी के तौर पर रखा गया था। संयोग से 23 सितंबर को जिस दिन यूपी में सुल्तानपुर डकैती कांड के आरोपी अनुज प्रताप सिंह का एनकाउंटर हुआ, उसी दिन महाराष्ट्र में अक्षय शिंदे भी एनकाउंटर में मारा गया। दोनों ही मामले में परिवार फर्जी एनकाउंटर का आरोप लगा रहा है। विपक्ष भी इन एनकाउंटरों पर सवाल उठा रहा है।

सुल्तानपुर डकैती कांड के दो आरोपी मुठभेड़ में ढेर

पिछले महीने 28 अगस्त को यूपी के सुल्तानपुर में एक जूलरी शॉप में हथियारों के दम पर डकैती हुई थी। उसके एक हफ्ते बाद ही 5 सितंबर को दो आरोपियों का एनकाउंटर हुआ। पुलिस मुठभेड़ में मंगेश यादव नाम के आरोपी की मौत हो गई, जबकि दूसरे आरोपी अजय यादव के पैर में गोली लगी। उसका अभी इलाज चल रहा है। इस मामले ने काफी तूल पकड़ा।

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर जाति देखकर एनकाउंटर का आरोप लगाया। कहा कि यादवों को चुन-चुनकर मारा जा रहा। सवाल उठाया कि मामले में सीएम के सजातीय ठाकुर आरोपियों को क्यों नहीं मारा गया? अखिलेश मंगेश यादव के घर भी गए। यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय भी उसके घर गए। एनकाउंटर को लेकर योगी सरकार पर विपक्ष के हमलों की धार अभी कुंद ही नहीं हुई थी कि 23 सितंबर को सुल्तानपुर कांड के एक और आरोपी पुलिस मुठभेड़ में ढेर हो गया। आरोपी का नाम था अनुज प्रताप सिंह। इस बार मुठभेड़ में मारे गए आरोपी के पिता ने अखिलेश यादव को ये कहकर कोसा कि लो अब ठाकुर का एनकाउंटर हो गया, अब तो कलेजे को ठंडक मिल गई होगी।

असम में पुलिस हिरासत से भागते हुए डूबने से आरोपी की मौत

ठीक एक महीने पहले 24 अगस्त को असम के नगांव जिले में एक नाबालिग बच्ची से गैंगरेप के मुख्य आरोपी तफजुल इस्लाम की तालाब में डूबने से मौत हो गई। वैसे तो ये एनकाउंटर नहीं था लेकिन आरोपी की मौत पुलिस हिरासत के दौरान हुई। असम पुलिस के मुताबिक, क्राइम सीन रीक्रिएट करने के लिए आरोपी को घटनास्थल पर ले जाया जा रहा था तभी वह भागने लगा और तालाब में कूद गया। आरोपी की डूबने से मौत हो गई।

विकास दुबे एनकाउंटर

4 साल पहले 3 जुलाई 2020 को पुलिस की एक टीम कानपुर के बिकरू गांव में विकास दुबे नाम के गैंगस्टर को गिरफ्तार करने गई थी। वहां दुबे और उसके गुंडों की फौज ने एक डीएसपी समेत 8 पुलिसकर्मियों को गोलियों से छलनी कर मार डाला। इस कांड ने योगी सरकार को हिला डाला। विकास दुबे और उसके गैंग की धर-पकड़ तेज हो गई। दुबे को उज्जैन से गिरफ्तार किया गया। उसे सड़क के रास्ते कानपुर लाया जा रहा था लेकिन पुलिस के मुताबिक रास्ते में वो गाड़ी पलट गई जिसमें विकास दुबे को बैठाया गया था। दावे के मुताबिक, गाड़ी पलटने के बाद दुबे एक पुलिसकर्मी की पिस्टल छीनकर भागने लगा और एनकाउंटर में मारा गया। बाद में विकास दुबे गैंग के कई अपराधियों की भी अलग-अलग पुलिस मुठभेड़ में मौत हुई। इस कांड के बाद यूपी की सियासत खूब गरम हुई थी। विपक्षी दलों ने योगी सरकार पर ‘ब्राह्मणों’ को निशाना बनाने का आरोप लगाया था।

हैदराबाद में वेटरनरी डॉक्टर से हैवानियत के आरोपियों का हुआ था फर्जी एनकाउंटर

नवंबर 2019 में हैदराबाद में एक वेटरनरी डॉक्टर की गैंगरेप के बाद हत्या हुई थी। दरिंदों ने हत्या के बाद शव को जलाने की भी कोशिश की थी। इस कांड के बाद तेलंगाना समेत पूरे देश में जबरदस्त आक्रोश फैल गया। पुलिस ने इस मामले में 4 आरोपियों मोहम्मद आरिफ, चिंताकुंता, चेन्नाकेशवल्लू और जोल शिवा को गिरफ्तार किया। 6 दिसंबर 2019 को पुलिस क्राइम के रीक्रिएशन के लिए चारों आरोपियों को घटनास्थल पर ले गई। पुलिस के मुताबिक, वहां आरोपियों ने पुलिस की पिस्टल छीनकर भागने की कोशिश की और इस सिलसिले में सभी चारों आरोपी एनकाउंटर में मारे गए। आरोपियों के एनकाउंटर में मारे जाने की खबर जंगल में आग की तरह पूरे देश में फैल गई। बड़ी तादाद में लोग मौके पर पहुंच गए और जश्न मनाया। पुलिस की खूब वाहवाही हुई। एनकाउंटर का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और शीर्ष अदालत ने उसकी जांच के लिए आयोग का गठन किया। जांच आयोग ने अपनी रिपोर्ट में एनकाउंटर को पूरी तरह फर्जी करार दिया और इसमें शामिल 10 पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा चलाने की सिफारिश की।

आनंदपाल एनकाउंटर

राजस्थान में 2017 में हुए आनंदपाल एनकाउंटर की भी काफी चर्चा हुई। इस कुख्यात गैंगस्टर पर 5 लाख रुपये का इनाम रखा गया था। उसे पकड़ने में राजस्थान पुलिस नाकाम हो रही थी जिस वजह से उसकी खूब किरकिरी हो रही थी। आखिरकार राजस्थान के सालासर में पुलिस के साथ ‘मुठभेड़’ में वह मारा गया।

जेल से भागे 8 आतंकियों का एनकाउंटर

2016 में मध्य प्रदेश की भोपाल सेंट्रल जेल से सिमी के 8 आतंकी भाग गए थे। भागते वक्त आतंकियों ने एक पुलिस कॉन्स्टेबल की हत्या भी कर दी। बाद में पुलिस ने पहाड़ी के पास इन सभी आतंकियों को घेर लिया और उन्हें एनकाउंटर में ढेर कर दिया।

गुजरात का इशरत जहां, सोहराबुद्दीन शेख, तुलसी प्रजापति एनकाउंटर

नरेंद्र मोदी के गुजरात का मुख्यमंत्री रहते सूबे में कई ऐसे एनकाउंटर हुए थे जो काफी चर्चित हुए। फेक एनकाउंटर के आरोप लगे। 15 जून 2004 को गुजरात पुलिस और क्राइम ब्रांच ने गांधीनगर में एक वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट के नजदीक 4 संदिग्ध आतंकियों को मुठभेड़ में मार गिराया था। इनमें मुंबई के नजदीक मुंब्रा की रहने वाली इशरत जहां, उसका दोस्त प्राणेश पिल्लई उर्फ जावेद शेख और दो पाकिस्तानी नागरिक अमजलाली राना और जीशान जोहर शामिल थे। पुलिस के मुताबिक, ये चारों पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा जुड़े थे। ये मामला अदालत में भी पहुंचा। पुलिस अफसरों के खिलाफ केस चले लेकिन सभी पुलिसकर्मी अदालत से बाइज्जत बरी हो गए।

इशरत जहां एनकाउंटर के अगले साल 2005 में गुजरात और राजस्थान पुलिस ने एक जॉइंट ऑपरेशन में अहमदाबाद में सोहराबुद्दीन शेख को एनकाउंटर में ढेर किया था। शेख 2003 में गुजरात के तत्कालीन गृह मंत्री हरेन पांड्या की हत्या का आरोपी था। इसी मामले में एक और आरोपी और शेख का शार्प शूटर तुलसी प्रजापति भी 2007 में पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था।

बटला हाउस एनकाउंटर

13 सितंबर 2008 को देश की राजधानी दिल्ली सीरियल बम धमाकों से दहल गई थी। करोल बाग, कनाट प्लेस, इंडिया गेट और ग्रेटर कैलाश में एक के बाद एक कई धमाके हुए। 6 दिन बाद 19 सितंबर को जामिया नगर में स्थित बटला हाउस में इंडियन मुजाहिदीन के आतंकियों और दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के बीच मुठभेड़ हुई। इस मुठभेड़ में दो आतंकी आतिफ अमीन और साजिद मारे गए। दो आतंकी आरिज और शहजाद को भागते वक्त पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। इस एनकाउंटर में दिल्ली पुलिस के जांबाज पुलिस अफसर मोहन चंद शर्मा ने सर्वोच्च बलिदान दिया। इस मामले पर भी खूब सियासत हुई। फर्जी एनकाउंटर के आरोप लगे लेकिन अदालत में ये साबित हुआ कि एनकाउंटर असली था। इस कांड पर एक फिल्म भी बनी थी जो सुपरहिट रही थी।

कई और एनकाउंटर भी रहे चर्चित

इनके अलावा कई और एनकाउंटर देशभर में चर्चित रहे। इनमें 1982 में वडाला में गैंगस्टर मान्या सुर्वे का एनकाउंटर, 2019 में यूपी में रेत माफिया पुष्पेंद्र यादव का एनकाउंटर, 2006 में राजस्थान में दारा सिंह उर्फ दारिया एनकाउंटर जैसे केस शामिल हैं। इसके अलावा अलग-अलग समय पर हुए एनकाउंटर में कई दस्यु सरगना भी मारे जा चुके हैं। इनमें 2007 में दस्यु सरगना ददुआ का यूपी के चित्रकूट जिले के मानिकपुर थाना क्षेत्र में हुआ एनकाउंटर भी शामिल है। पुलिस मुठभेड़ में ददुआ के अलावा उसके 5 साथी भी ढेर हुए थे।

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