‘शतरंज की कुछ चालें अभी बाकी हैं’, जयराम रमेश के ट्वीट का क्या है मतलब?

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प्रियंका गांधी

नई दिल्ली, 4 मई (The News Air) : अमेठी और रायबरेली, इन दो हाई प्रोफाइल सीटों के ऊपर चढ़ी सस्पेंस की चादर शुक्रवार सुबह हट गई। अमेठी से केएल शर्मा और रायबरेली से राहुल गांधी को उतारकर कांग्रेस ने इन दो सीटों की पूरी पिक्चर शीशे की तरह साफ कर दी। राहुल गांधी अब केरल की वायनाड के बाद यूपी की रायबरेली से भी चुनाव लड़ेंगे, लेकिन प्रिंयका गांधी को फिर एक बार टिकट न देकर कांग्रेस ने चौंकाया भी है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि प्रियंका गांधी सुपरस्टार कैंपेनर हैं, राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस को उनकी जरूरत है, इसलिए वह चुनाव नहीं लड़ रही हैं। बात यहां खत्म हो जाती तो क्या था। जयराम रमेश ने बाद में एक ट्वीट किया जिसमें लिखा कि यह एक लंबा चुनाव है। शतरंज की कुछ चालें अभी भी खेलनी बाकी हैं, थोड़ा इंतजार करिए। रमेश के एक्स पर ट्वीट की यह अंतिम लाइन क्या इस ओर इशारा कर रही है कि, आगे प्रियंका गांधी को किसी सीट से चुनाव लड़ाया जा सकता है?

प्रियंका गांधी भी उतरेंगी मैदान में?

हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए इंटरव्यू में पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि पार्टी चाहती थी कि प्रियंका और राहुल दोनों चुनाव लड़ें, लेकिन हकीकत में, मेरे और पार्टी के कई लोगों के लिए यह स्पष्ट था कि चूंकि पीएम मोदी ने प्रचार अभियान को पूरी तरह से अलग स्तर पर ले जाकर परिवार, इंदिरा और राजीव गांधी पर हमला किया है, इसलिए प्रियंका भाजपा के हमलों का जवाब देने में सक्षम हैं। वह पूरे देश में प्रचार कर रही हैं। प्रियंका राजनीति के लिए बनी हैं और वह हर तरह से स्वाभाविक हैं। लोगों के साथ उनका जुड़ाव, उनके प्रचार की शैली, उनका व्यक्तित्व, इसलिए यह समय की बात है कि वह चुनावी राजनीति में कब आएंगी। वह राजनीति में पूरी तरह से शामिल हैं, हमें किसी गलतफहमी में नहीं रहना चाहिए। जयराम रमेश ने यह भी कहा कि प्रियंका के चुनाव न लड़ने का एक बहुत महत्वपूर्ण कारण यह है कि वह कांग्रेस की ‘सुपरस्टार’ प्रचारक हैं जो बीजेपी का जोरदार तरीके से मुकाबला कर रही हैं।

जयराम रमेश का वो ट्वीट क्या है?

अमेठी और रायबरेली से उम्मीदवार तय होने के बाद जयराम रेमश ने ट्वीट किया। जयराम ने लिखा कि राहुल गांधी के रायबरेली से चुनाव लड़ने की खबरों पर कई लोगों की राय है। याद रखें, वह राजनीति और शतरंज के एक अनुभवी खिलाड़ी हैं। पार्टी नेतृत्व बहुत चर्चा के बाद और एक बड़ी रणनीति के हिस्से के रूप में अपने निर्णय लेता है। इस एकल निर्णय ने भाजपा, उसके समर्थकों और उसके चापलूसों को भ्रमित कर दिया है। भाजपा के स्वघोषित चाणक्य, जो ‘परम्परा सीट’ के बारे में बात करते थे, अब निश्चित नहीं हैं कि कैसे प्रतिक्रिया दें। रायबरेली न केवल सोनिया जी की बल्कि खुद इंदिरा गांधी की भी सीट रही है। यह विरासत नहीं है, यह एक जिम्मेदारी और कर्तव्य है।

जहां तक गांधी परिवार का सवाल है, यह सिर्फ अमेठी-रायबरेली नहीं है, उत्तर से लेकर दक्षिण तक पूरा देश गांधी परिवार का गढ़ है। राहुल गांधी उत्तर प्रदेश से तीन बार और केरल से एक बार सांसद रह चुके हैं। प्रधानमंत्री विंध्य से नीचे की एक भी सीट से चुनाव लड़ने का साहस क्यों नहीं जुटा पाए हैं? कांग्रेस परिवार लाखों कार्यकर्ताओं की अपेक्षाओं और आकांक्षाओं पर बना है। कल एक प्रख्यात पत्रकार अमेठी में कांग्रेस पार्टी के एक जमीनी कार्यकर्ता से व्यंग्यात्मक रूप से पूछ रहा था, टिकट पाने की आपकी बारी कब होगी? यह तो है! कांग्रेस का एक आम कार्यकर्ता अमेठी में भाजपा के अहंकार को तोड़ देगा।

प्रियंका जी जोर-शोर से प्रचार कर रही हैं और अकेले ही नरेंद्र मोदी के झूठ को चुप करा रही हैं। जिस तरह से उन्होंने मार्च 1985 में संपत्ति शुल्क के उन्मूलन पर प्रधानमंत्री द्वारा फैलाई जा रही अफवाहों का जवाब दिया, वह एक तीखी फटकार थी। इसलिए यह महत्वपूर्ण था कि वह केवल एक निर्वाचन क्षेत्र तक ही सीमित न रहें। वह देश भर में प्रचार कर रही हैं। आज स्मृति ईरानी की एकमात्र पहचान यह है कि वह राहुल गांधी के खिलाफ अमेठी से चुनाव लड़ती हैं। अब उनकी राजनीतिक प्रासंगिकता समाप्त हो गई है। अर्थहीन बयान देने के बजाय, स्मृति ईरानी को अब स्थानीय विकास के बारे में जवाब देना होगा। उन्हें बंद अस्पतालों, इस्पात संयंत्रों और आईआईआईटी के बारे में बोलना होगा। यह एक लंबा चुनाव है।

शतरंज की कुछ चालें अभी भी खेलनी बाकी हैं। थोड़ा इंतजार कीजिए।

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