उत्तरकाशी, 4 दिसंबर(The News Air) उत्तरकाशी के सिलक्यारा में हुए टनल हादसे ने प्रदेश को सुर्खियों में ला दिया है। निर्माणाधीन सुरंग में काम करते समय अचानक से सुरंग में भूस्खलन होने से 41 मजदूर 17 दिनों तक फंसे रहे।
हालांकि अभी सुरंग में सन्नाटा पसरा हुआ है। मजदूरों के रेस्क्यू होने के बाद से वहां काम बंद है।
इस हादसे से कई सवाल भी खड़े हो गए हैं कि आखिर क्या इसी तरह पहाड़ों पर विकास होगा? क्या आल वेदर रोड योजना के तहत मानकों को दरकिनार कर टनल निर्माण किया जाएगा। आल वेदर रोड के तहत इस टनल का काम 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था।
लेकिन इस हादसे के बाद अब 2024 तक इस का पूरा होना मुश्किल लग रहा है।
आपको बता दें कि सिलक्यारा सुरंग की डीपीआर में जो भूगर्भीय जांच की रिपोर्ट लगी हुई है, वह गलत निकली। निर्माण से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि सर्वे रिपोर्ट में इस पहाड़ में हार्ड रॉक बताई गई थी, लेकिन जब निर्माण शुरू हुआ तो भुरभुरी मिट्टी निकली। इसी वजह से अब दोबारा जियो सर्वे कराया जाएगा।
सिलक्यारा सुरंग 4500 मीटर (4.5 किमी) लंबी है। सिलक्यारा की ओर से करीब 2,350 और दूसरे बड़कोट छोर से करीब 1,600 मीटर तक सुरंग खोदी जा चुकी है। बीच का करीब 483 मीटर हिस्सा ही बचा हुआ है। इसकी खोदाई पूरी होने के बाद सुरंग आरपार हो जाएगी।
इस सुरंग का निर्माण 853.79 करोड़ रुपये की लागत से हो रहा है।
एनएचआईडीसीएल के निदेशक अंशु मनीष खल्खो का कहना है कि टनल हादसे के बाद अभी तो टनल में सन्नाटा है। पर इसी महीने से सिलक्यारा सुरंग का निर्माण कार्य भूगर्भीय सर्वे, सेफ्टी ऑडिट के साथ शुरू होगा। यानी मलबा हटाने और सुरंग का निर्माण कार्य इसी माह से शुरू होगा। इस बार कंपनी कोई भी गलती नहीं करने वाली है।