पता हो कि, शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर सिंह ने बिहार के नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी के 15वें दीक्षांत समारोह में छात्रों को संबोधित करने के दौरान एक विवादित बयान में रामचरितमानस और मनुस्मृति को समाज को बांटने वाली किताब करार दिया था। साथ ही उन्होंने कहा था कि, इस किताब से समाज में नफरत फैलती है।
इधर मामले पर अयोध्या के महंत जगद्गुरु परमहंस आचार्य ने भी अपनी कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। साथ ही उन्होंने मंत्री चंद्रशेख को भी पद को बर्खास्त करने की मांग की थी। वहीं उन्होंने कहा था कि, शिक्षा मंत्री की जीभ काटने वाले को वो अब खुद 10 करोड़ रुपये का इनाम भी देंगे। जिस पर चंद्रशेखर सिंह ने पलटकर बयान दिया था कि, “मेरी जीभ काटने पर फतवा दिया है। हमारे पुरखे सच्चाई को लेकर अपनी जीभ कटवाते रहे हैं इसलिए हम भी अपने बयान पर अडिग हैं।”
मालूम हो कि, ऐसे ही स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) ने भी ऐसे ही श्री रामचरित मानस पर टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि, ‘रामचरितमानस की कुछ पंक्तियों में जाति, वर्ण और वर्ग के आधार पर यदि समाज के किसी वर्ग का अपमान हुआ है तो वह निश्चित रूप से धर्म नहीं है। यह अधर्म है, जो न केवल भाजपा बल्कि संतों को भी हमले के लिए आमंत्रित कर रहा है।’
उन्होंने आगे कहा था कि,’रामचरित मानस की कुछ पंक्तियों में तेली और कुम्हार जैसी जातियों के नामों का उल्लेख है जो इन जातियों के लाखों लोगों की भावनाओं को आहत करती हैं।’ उनके इस बयान के बाद हर कोई उनकी आलोचना कर रहा था।कई जगहों पर उनका विरोध भी किया गया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इसी दौरान बीजेपी के एक नेता ने मौर्य की जीभ काटने वाले को 5 लाख रुपए का इनाम देने का भी ऐलान कर दिया था।
जानकारी दें कि, मौर्य प्रदेश की पिछली BJP सरकार में कैबिनेट मंत्री थे। मगर 2022 के विधानसभा चुनाव से ऐन पहले उन्होंने इस्तीफा देकर समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया था। उन्होंने कुशीनगर जिले की फाजिलनगर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गए थे। बाद में सपा ने उन्हें विधान परिषद का सदस्य बना दिया था।